BHU छात्रा से बदसलूकी मामला: 7 बिंदुओं पर सहमति के बाद ख़त्म हुआ छात्रों का आंदोलन
उत्तर प्रदेश के काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) स्थित छात्रों का आंदोलन गुरुवार, 02 नवंबर की देर रात खत्म हो गया। दरअसल बुधवार की देर रात आईआईटी की एक छात्रा के साथ छेड़छाड़ और बदसलूकी की वारदात से आक्रोशित हज़ारों छात्र करीब 15 घंटे से आंदोलन कर रहे थे। प्रदर्शनकारी स्टूडेंट्स सुरक्षा की गारंटी चाहते थे। उन्होंने बीएचयू प्रशासन के सामने सात सूत्रीय मांग रखी, जिस पर सहमति बनने के बाद देर रात प्रदर्शनकारी स्टूडेंट्स ने आंदोलन समाप्त करने की घोषणा की।
बीएचयू आईआईटी की एक छात्रा के साथ बुधवार की रात तीन बाइक सवार मनचलों ने शर्मसार करने वाली घटना को अंजाम दिया था। आईआईटी स्टूडेंट्स को जैसे ही इस वारदात की जानकारी मिली तो वो आक्रोशित हो गए। इस घटना के विरोध में छात्रों का एक बड़ा हुजूम एकजुट हुआ। प्रशासनिक अफसरों के अलावा पुलिस और बीएचयू के अधिकारियों ने आंदोलनकारी स्टूडेंट्स को समझाने की कोशिश की, लेकिन उनका आंदोलन जारी रहा।
छात्रा के साथ बदसलूकी, छेड़छाड़ और वीडियो बनाने वाले आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग लिए प्रदर्शनकारी छात्रों ने निदेशक के ख़िलाफ़ जमकर नारेबाज़ी की। आंदोलनकारी स्टूडेंट्स के हाथ में बैनर-पोस्टर थे। राजपूताना हॉस्टल के बाहर नारेबाज़ी और प्रदर्शन तेज़ हो गया। काफी जद्दोजहद के बाद पीड़ित छात्रा की तहरीर पर तीन अज्ञात बाइक सवारों के ख़िलाफ़ लंका थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई।
बाद में छात्रों का आंदोलन आईआईटी बीएचयू के निदेशक दफ्तर तक पहुंच पहुंच गया। छात्रों का बड़ा हुजूम वहां धरना-प्रदर्शन करने लगा। आंदोलनकारी स्टूडेंट्स निदेशक से मिलने की ज़िद पर अड़े थे। उनका कहना था कि आईआईटी के डायरेक्टर कहते हैं कि वो हमारे अभिभावक हैं। जब स्टूडेंट्स को दिक्कत हो रही है वो तो आकर हमारी समस्याओं का निराकरण करें।
आंदोलन में शामिल छात्राओं का कहना था कि "जब हम रोड से आते-जाते हैं तो बाइकर्स अचानक आते हैं और छेड़छाड़ करके चले जाते हैं। हम बस इतना चाहते हैं कि ऐसी सिक्योरिटी हो कि इस तरह की घटना न हो। स्ट्रीट लाइट ठीक नहीं रहती है तो हम पहचान ही नहीं पाते कि छेड़छाड़ करने वाले कौन हैं? यहां एक भी महिला सुरक्षाकर्मी नहीं है। यहां जो सिक्योरिटी गार्ड हैं, उनसे शिकायत करो तो वो कुछ करते ही नहीं हैं। ऐसा लगता है कि बिना पावर के बैठा दिए गए हैं।"
हाथों में पोस्टर लेकर कैंपस में नारे लगाते आंदोलनकारी स्टूडेंट्स का कहना था कि "स्टूडेंट्स सड़क पर उतरने के लिए मजबूर हैं। उनकी बात अगर सत्ता नहीं सुनेगी तो कौन सुनेगा? महिला सुरक्षा का दावा करने वाले कहां हैं? कहां हैं बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा लगाने वाले? जवाब दें! अगर बेटी शोहदों से ही नहीं बचेगी तो पढ़ेगी कैसे? आईआईटी छात्रा के साथ छेड़छाड़ और बदसलूकी की वारदात जघन्य अपराध है, जिसने बीएचयू की सुरक्षा व्यवस्था को तार-तार कर दिया है। यह पहली बार नहीं है कि कैंपस में ऐसी घटना हुई है। छात्रों ने परिसर में सुरक्षा को लेकर बार-बार चिंता जताई है, हालांकि प्रशासन पर्याप्त कार्रवाई करने में विफल रहा है। हाल की घटनाओं के मद्देनज़र आईआईटी बीएचयू छात्र पार्लियामेंट ने शैक्षणिक गतिविधियों का बहिष्कार किया है। हम बीएचयू कैंपस की सुरक्षा में सुधार के लिए तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह करते हैं। हम अपने छात्रों पर आगे कोई भी हमला बर्दाश्त नहीं करेंगे।
बीएचयू स्टूडेंट्स के आंदोलन को कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का भी समर्थन मिला। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म 'एक्स' पर बीजेपी सरकार पर निशाना साधा। प्रियंका गांधी ने लिखा, "क्या अब बीएचयू-परिसर और आईआईटी जैसे शीर्ष संस्थान भी सुरक्षित नहीं हैं? प्रधानमंत्री जी के निर्वाचन-क्षेत्र में एक छात्रा का अपने ही शिक्षण-संस्थान के भीतर निर्भय होकर पैदल चलना क्या अब संभव नहीं रहा? धिक्कार है।" कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के ट्वीट के बाद देश भर में इस घटना की चर्चा ने ज़ोर पकड़ लिया।
बीएचयू का नया आदेश
पुलिस और प्रशासनिक अफसर पूरे दिन आंदोलनकारी स्टूडेंट्स को समझाने की कोशिश करते रहे, लेकिन वो टस से मस नहीं हुए। धरना स्थल पर पूरे दिन नारेबाज़ी और प्रदर्शन का दौर चला। आंदोलनकारी स्टूडेंट्स इस बात पर अड़े थे कि पहले अपराधियों की गिरफ्तारी की जाए।
इस मामले के तूल पकड़ने पर आईआईटी प्रशासन ने आंदोलनकारी स्टूडेंट्स को देर रात बातचीत के लिए बुलाया। आंदोलनकारी स्टूडेंट्स के एक समूह ने आईआईटी कैंपस में सुरक्षा मामले को प्रमुखता से उठाया। इसके अलावा कई मांगें सामने रखीं - परिसर के अंदर बाहरी वाहनों की एंट्री को रोकने के लिए रात में बैरिकेडिंग हो और इसके लिए सिंगल एग्जिट और एंट्री पॉइंट हो। परिसर के अंदर केंद्रीकृत सीसीटीवी प्रणाली हो। हिंसक अपराधियों पर कॉलेज द्वारा कानूनी कार्रवाई बढ़ाई जाए। सीसीटीवी की संख्या बढ़ाई जाए। इसके साथ ही घटनाओं पर तत्काल कानूनी कार्रवाई की जाए।"
आंदोलनकारी स्टूडेंट्स ने बीएचयू प्रशासन के सामने सात सूत्रीय मांग-पत्र रखा, जिसमें आईआईटी कैंपस को अलग करने का मुद्दा प्रमुख था।
काफी जद्दोजहद के बाद आईआईटी-बीएचयू प्रशासन ने प्रदर्शनकारी छात्रों की मांगों पर सहमति जताई। आखिरकार आईआईटी प्रशासन को आंदोलकारी छात्रों की बात माननी पड़ी। तय हुआ कि जिला प्रशासन और आईआईटी गार्ड सीसीटीवी के ज़रिए कैंपस में कड़ी नज़र रखेंगे। पूरे परिसर में लाइटों की व्यवस्था की जाएगी। किसी भी आपात स्थिति में प्रॉक्टर कार्यालय में एक सब इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अधिकारी के साथ पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे।
बीएचयू में इन सात बिंदुओं पर बनी सहमति
समझौते के मुताबिक आईआईटी कैंपस में बाहरी लोगों एंट्री पर रोक लगा दी गई है। समझौते के बाद आंदोलनकारी स्टूडेंट्स ने देर रात धरना-प्रदर्शन खत्म करने की घोषणा कर दी। बीएचयू के कुलपति सुधीर जैन और कमिश्नर मूथा जैन ने आईआईटी कैंसप की बाउंड्री वॉल बनाने का वादा किया है। बाउंड्री वाल के ज़रिए बीएचयू और आईआईटी को अलग करने की कोशिश की जा रही है।
पीएमओ ने भी इस घटना को गंभीरता से लिया है। इस मामले में बनारस के पुलिस कमिश्नर मुथा अशोक जैन से रिपोर्ट मांगी गई है। साथ ही छात्र-छात्राओं के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। इस बीच पुलिस कमिश्नर ने लंका थाना प्रभारी इंस्पेक्टर अश्वनी पांडे को लाइन हाजिर कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि बीएचयू की आईआईटी सेकेंड ईयर की स्टूडेंट बुधवार की रात अपने एक दोस्त के साथ निकली थी। इसी बीच बाइक पर सवार तीन मनचले उनके कैंपस में घुस गए। उन युवकों ने डरा-धमका कर छात्रा और उसके दोस्त को अलग कर दिया। बाइक सवार युवकों ने छात्रा के साथ बदसलूकी की, और उसे काफ़ी देर तक बंधक भी बना कर रखा।
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लंका थाना पुलिस ने छात्रा की तहरीर के आधार पर तीन अज्ञात युवकों के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 354 (ख), 506 तथा आईटी एक्ट की धारा 66 के तहत रिपोर्ट दर्ज की है। बीएचयू कैंपस में छात्रा के साथ छेड़छाड़ और बदसलूकी की यह पहली वारदात नहीं है। साल 2017 में एक छात्रा के साथ छेड़छाड़ की घटना हुई थी और उस समय भी बीएचयू कैंपस में सुरक्षा व्यवस्था पर कड़े सवाल उठाए गए थे।
बीएचयू में छात्रा के साथ हुई छेड़छाड़ की घटना को लेकर सियासत ज़रूर गरमा गई। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने इस घटना के लिए बीएचयू प्रशासन और उत्तर प्रदेश सरकार को दोषी ठहराया। उन्होंने कहा, "आईआईटी-बीएचयू में छात्रा के साथ जो कुछ हुआ वह बीएचयू प्रशासन, केंद्र और राज्य सरकार के कानून व्यवस्था पर काला धब्बा है। यूपी में बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं हैं। बीएचयू में यह कुकृत्य होना निंदनीय है। बनारस पीएम का संसदीय क्षेत्र है। इसके बावजूद यहां कानून व्यवस्था लचर है।"
इस बीच समाजवादी पार्टी ने भी यूपी सरकार और कानून व्यवस्था को कटघरे में खड़ा किया। सपा के प्रदेश प्रवक्ता और पूर्व मंत्री मनोज राय धूपचंडी ने एक बयान में कहा, "प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में छात्राएं और महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। बीएचयू में हुई वारदात ने यह साबित कर दिया है कि बीजेपी सरकार के सुरक्षा के सभी दावे खोखले हैं। बीएचयू परिसर की सड़कों पर हज़ारों छात्रों का उतरना और अपनी सुरक्षा के लिए प्रदर्शन करना कानून व्यवस्था को आईना दिखा रहा है।"
(लेखक बनारस स्थित वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
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