बिहार: मुआवज़े की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस कार्रवाई में कई किसान घायल
बिजली संयंत्र के लिए भूमि अधिग्रहण के मुआवजे की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन जबरन खत्म कराने के पुलिस के कथित कार्रवाई से नाराज सैकड़ों किसान बुधवार को बिहार के बक्सर जिले में पुलिस से भिड़ गए। पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारी किसानों पर लाठीचार्ज करने से कई किसान घायल हो गए और किसानों द्वारा किए गए पथराव में कुछ पुलिस अधिकारी भी घायल हो गए।
चौसा ब्लॉक में 11,000 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे सतलुज जल विद्युत निगम (एसजेवीएन) के 1,320 मेगावाट के कोयला बिजली संयंत्र के मुख्य द्वार के पास प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प हो गई।
एक किसान रंजीत तिवारी ने न्यूज़क्लिक को बताया, "महिलाओं के साथ किसान भूमि अधिग्रहण के मुआवजे की मांग को लेकर पिछले 11 दिनों से निर्माणाधीन बिजली संयंत्र के गेट के पास शांतिपूर्ण धरना दे रहे हैं। लेकिन बुधवार दोपहर को, जब हमने अपना विरोध समाप्त करने से इनकार कर दिया, तो पुलिस ने बल प्रयोग किया और हमें तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया गया। उसके बाद प्रदर्शनकारी किसान पुलिस से भिड़ गए"
तिवारी ने कहा कि बिजली संयंत्र के लिए भूमि अधिग्रहण के मुआवजे की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करना किसानों का मौलिक अधिकार है।
एक अन्य किसान, हरि नारायण राऊ ने कहा कि किसान 500 दिनों से अधिक समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ है। उन्होंने कहा, "भूमि मुआवजे के लिए यह एक लंबा विरोध है।"
किसान नई जमीन दर के अनुसार मुआवजे की मांग कर रहे हैं। पिछले साल, सैकड़ों किसानों ने कई दिनों तक विरोध प्रदर्शन किया और विरोध प्रदर्शन हिंसक भी हो गया।
जिला पुलिस अधिकारी धीरज कुमार ने दावा किया कि प्रदर्शनकारी किसानों ने पुलिस टीम पर हमला किया और कुछ पुलिस वाहन क्षतिग्रस्त हो गए। उन्होंने कहा, "इस घटना के बाद बिजली संयंत्र के बाहर भारी सुरक्षा बल तैनात कर दिया गया है।"
660 मेगावाट की दो इकाइयों वाले 1,320 मेगावाट के संयंत्र का निर्माण 1,283 एकड़ में सतलुज जल विद्युत निगम की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी एसजेवीएन थर्मल प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है।
राज्य ऊर्जा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, दूसरी इकाई का निर्माण केंद्र की सबसे बड़ी परियोजना है। निर्माण कार्य अगले साल की शुरुआत में पूरा होने की उम्मीद है और फरवरी में प्लांट का परीक्षण शुरू हो जाएगा और उसके तुरंत बाद परिचालन शुरू हो जाएगा।
इस परियोजना की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 मार्च, 2019 को रखी थी जो ग्रीनफील्ड सुपरक्रिटिकल थर्मल पावर तकनीक का उपयोग करेगी और इसकी लागत लगभग 11,000 करोड़ रुपये होगी।
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