बुल्ली बाई और साइबर हिंसा : शक्ति असंतुलन का एक उदाहरण
सार्वजनिक क्षेत्र में मुखर मुस्लिम महिलाओं को शर्मसार करने और उन पर उंगलियां उठाने के पिछले कुछ महीनों से जारी अभियानों की एक श्रृंखला में सामने आया नवीनतम ऐप 'बुली बाई' विवाद ने कानूनी ढांचे में सुधार की आवश्यकता को एक बार फिर से उजागर कर दिया है। गौरी आनंद और हिंदुजा वर्मा ने विदेश-आधारित सोशल मीडिया के प्लेटफार्मों के जरिए से भारत में महिलाओं के प्रति ऑनलाइन किए जाने वाले उत्पीड़न के मुद्दे पर लिखा है-
मुंबई पुलिस ने 1 जनवरी को GitHub पर होस्ट किए गए एक ऐप "बुली बाई" के डेवलपर्स के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिसने लगभग 100 मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें उनकी अनुमति के बिना हासिल कर उनका बेजा इस्तेमाल किया, और उन्हें इस एप के अन्य उपयोगकर्ताओं के लिए नकली-नीलामी करने में इस्तेमाल किया। ऐप को बढ़ावा देने वाले ट्विटर हैंडल के खिलाफ भी एक प्राथमिकी रिपोर्ट (एफआइआर) दर्ज की गई है। एक सामाजिक कार्यकर्ता खालिदा परवीन की शिकायत के आधार पर उस ऐप (जिसे अब हटा दिया गया है) के खिलाफ हैदराबाद में भी एक प्राथमिकी दर्ज की गई है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी तुरंत प्राथमिकी दर्ज करने के लिए दिल्ली पुलिस आयुक्त को एक पत्र लिखा है।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब साइबर जगत में महिलाओं के खिलाफ इस तरह कोई अपराध किया गया है। इसके पहले, मई 2021 में, 'लिबरल डोगे' नाम के एक YouTube अकाउंट के जरिए भारत और पाकिस्तान की मुस्लिम महिलाओं की 87,000 दर्शकों के लिए नकली नीलामी की गई थी। फिर इसके बाद जुलाई 2021 में, "सुल्ली डील्स" नामक एक ऐप, जिसे GitHub पर भी होस्ट किया गया, उसने भी सोशल मीडिया पर डाली गईं महिलाओं की तस्वीरों का इस्तेमाल करके 80 से अधिक मुस्लिम महिलाओं की प्रोफाइल तैयार किया था, और उन्हें "दिन के सौदे" के रूप में पेश किया था। पुलिस ने उस समय इस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी, लेकिन किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई थी। इसके बाद, नवम्बर 2021 में, सुल्ली डील्स टैग का उपयोग करके मुस्लिम महिलाओं की मॉक-नीलामी करने के लिए लोकप्रिय सोशल ऑडियो ऐप, क्लबहाउस पर भी अकाउंट बनाए गए थे।
उपरोक्त उन सभी उदाहरणों में, ज्यादातर में मुस्लिम पृष्ठभूमि की मुखर महिलाओं को सूचीबद्ध किया गया है, और उनकी तस्वीरों में हेर-फेर किया गया है। इनमें इस्मत आरा-एक खोजी पत्रकार, सईमा-एक रेडियो जॉकी, शबाना आज़मी एवं स्वरा भास्कर-अभिनेत्रियां, फातिमा नफ़ीस-जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र नजीब अहमद की 65 वर्षीय माँ, जो 2016 में अपने परिसर से गायब हो गया था, और पाकिस्तानी नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई के साथ कई अन्य लोग समेत ऐप पर प्रोफाइल तैयार की गई हैं, उनमें से कुछ किशोर वय की लड़कियां भी हैं। "सुल्ली" और "बुली" दोनों ही अपमानजनक अपशब्द हैं, जिनका इस्तेमाल मुस्लिम समुदाय की महिलाओं के लिए किया जाता है।
"GitHub पर महिलाओं की तस्वीरों को अपलोड करने और उन्हें नीलाम करने की बार-बार की घटनाएं सीधे-सीधे ऑनलाइन सुरक्षा के लिहाज से लोगों को एक परेशान करने वाली प्रवृत्ति की ओर इशारा करती हैं।"
सौभाग्य से, बुल्ली बाई ने जब सबका ध्यान खींचा है, तो परिणामस्वरूप चौथी बार के बाद कुछ अपेक्षित कार्रवाई हुई है। इस बार, मामले में मुख्य आरोपितों 21 वर्षीय इंजीनियरिंग छात्र विशाल कुमार झा और 18 वर्षीय इंजीनियरिंग उम्मीदवार श्वेता सिंह को क्रमशः बेंगलुरु और उत्तराखंड से गिरफ्तार किया गया है। महानगर अदालत ने विशाल को 10 जनवरी तक के लिए रिमांड पर लिया है, जबकि महिला को गिरफ्तार कर लिया गया है। इस मामले में और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
दोनों मुख्य आरोपितों के विरुद्ध (अब तक की जांच के आधार पर) पर धारा 153 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना), 153बी (भारत के संविधान के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा रखने वाले किसी भी वर्ग के लोगों पर किसी भी धार्मिक, नस्लीय, भाषा या क्षेत्रीय समूह या जाति या समुदाय के सदस्य होने के कारण कोई भी आरोप प्रकाशित करना), 295A (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के उद्देश्य से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य), 354 (शील भंग करने के इरादे से किसी भी महिला पर हमला करने या उनके खिलाफ आपराधिक बल का उपयोग करने), 500 (मानहानि करने), और भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की धारा 509 (एक महिला की शील का अपमान), और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67 (कामुक प्रवृत्ति को भड़काने वाली किसी सामग्री को प्रकाशित करना) के तहत आरोप लगाए गए हैं।
अपने ट्राईलीगल जो टेलीकॉम, मीडिया और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काम करता है, उसके एक पार्टनर निखिल नरेंद्रन का मानना है कि एक तर्क यह दिया जा सकता है कि ऐप पर परोसी गई सामग्री अश्लील है, और यह तर्क भी दिया जा सकता है कि यह कामोद्दीपन बढ़ाने वाला या कामेच्छाओं को जगाने वाला है। हालाँकि, इस मामले में आरोपितों के इन गुनाहों को साबित करने के लिए कानूनी एजेंसियों को एक नई मिसाल कायम करनी होगी। इस मोर्चे पर, अश्लीलता के मामले में आइपीसी (धारा 292, 293, और 294) और आइटी अधिनियम (धारा 67) के प्रावधान लागू किए जा सकते हैं। निखिल की राय में, महिलाओं के चित्रों के अश्लील प्रस्तुतीकरण (निषेध) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों को भी लागू किया जा सकता है, क्योंकि ऐप पर डाली गई सामग्री बेहद "अपमानजनक है, वह महिलाओं को बदनाम करती है और वह सार्वजनिक नैतिकता के भी खिलाफ है।"
केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा की है कि साइबर सुरक्षा घटनाओं की निगरानी के लिए जिम्मेदार नोडल एजेंसी इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस सिस्टम को इस मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनाने के लिए कहा गया है।
GitHub क्या है? क्या यह मंच जिम्मेदार है?
दरअसल, GitHub एक क्लाउड-आधारित ओपन-सोर्स सॉफ़्टवेयर रिपॉजिटरी सेवा है, जो डेवलपर्स को अपने कोड को संग्रहित करने और उसे प्रबंधित करने की अनुमति देती है, और इसमें किए गए किसी भी बदलाव पर नजर रखती है। GitHub एक ओपन-सोर्स वर्जन नियंत्रित एक सॉफ्टवेयर है, जो प्रत्येक डेवलपर के कंप्यूटर पर कोडबेस और इसकी हिस्ट्री उपलब्ध होने की अनुमति देता है, और GitHub कोडिंग प्रतिभागियों या टीम के सदस्यों को यूजर्स के अनुकूल इंटरफेस के माध्यम से आसानी से बेहतर सहयोग करने में सक्षम बनाता है।
“एमएलएटी प्रक्रिया एक लंबी और थकाऊ प्रक्रिया है और इसमें सुधार की सख्त जरूरत है। …[इस तरह के सुधार] को उन मानकों पर आम सहमति बनाने पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो कानून प्रवर्तन एजेंसी को डेटा तक समय पर पहुंच को नियंत्रित करेंगे।"
इस प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग दो नकली नीलामी ऐप बनाने और उसे होस्ट करने के लिए किया गया था, जो महिलाओं के सोशल मीडिया अकाउंट्स से बिना उनकी जानकारी या अनुमति के ही उनकी तस्वीरें चुरा लेते थे, और इस ऐप के उपयोगकर्ताओं को इन महिलाओं पर बोली लगाने के लिए आमंत्रित करते थे।
GitHub ने इसमें शामिल लोगों की पहचान का खुलासा किए बिना ही ऐप को हटा दिया है और एक बयान जारी कर कहा है,"GitHub अपने ऐप पर इसके यूजर्स से सम्मानजनक और सभ्य सामग्री की अपेक्षा करता है और हिंसा की धमकियां देने वाले और ऐसे वक्तव्यों की अनुमति नहीं देता है, जो किसी व्यक्ति या समूह पर उनकी पहचान के आधार पर हमलावर होता है।"
दिल्ली स्थित थिंक टैंक, द डायलॉग के एक प्रोग्राम मैनेजर कार्तिक वेंकटेश ने द लीफलेट से बातचीत में कहा, "अंतर्वर्त्ती नियमों के तहत, जब सामग्री को ऐप पर होस्ट किया जाता है तो मंच एक "निष्क्रिय पाइपलाइन" के रूप में कार्य करता है। वह अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित होने वाली सामग्री के मामले में सामुदायिक दिशानिर्देशों से बंधा होता हैं, जिनमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि इस मंच पर किसी भी तरह की "दुष्टतापूर्ण और या उत्पीड़क सामग्री" या "अश्लील सामग्री" डालने की अनुमति नहीं है।" GitHub पर महिलाओं की तस्वीरों को अपलोड करने और उनकी बोली लगाने की बार-बार की घटनाएं सीधे-सीधे ऑनलाइन सुरक्षा के लिहाज से एक परेशान करने वाली प्रवृत्ति की ओर इशारा करती हैं।"
जैसा कि GitHub की जिम्मेदारी अंतर्वर्त्ती नियमों के तहत कहा गया है, नरेंद्रन कहते हैं कि "यदि GitHub सामग्री को हटा लेता है तो यह उत्तरदायी नहीं होगा, बशर्ते कि यह उचित आवश्यकताओं के तहत किया गया हो।"
एमएलएटी प्रक्रिया के तहत सूचना संग्रह
अब चूंकि GitHub का मुख्यालय विदेश में है, लिहाजा भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों को कोई भी सूचना पाने या उन्हें जुटाने के लिए पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (MLAT) प्रक्रिया से गुजरना होगा। एमएलएटी दो या दो से अधिक देशों के बीच आपराधिक या सार्वजनिक कानूनों को लागू करने के लिए सूचनाओं को एकत्र करने और उनके आदान-प्रदान की सुविधा के लिए एक समझौता है। इसके तहत सहायता के लिए किए जाने वाले अनुरोधों में लोगों, स्थानों, या चीजों की जांच करने और उनकी पहचान करने, उनसे पूछताछ करने, हिरासत में लिए व्यक्ति के पारगमन कराने या इन्हें हासिल करने वाले देश में कानून प्रवर्तन एजेंसियों से अन्य सहायता की मांग शामिल हो सकती है, उन परिस्थितियों में जब जांच का उद्देश्य उसके क्षेत्र के भीतर हो। GitHub संयुक्त राज्य अमेरिका से बाहर स्थित है। भारत ने अमेरिका के साथ आपराधिक मामलों में पारस्परिक कानूनी सहायता संधि पर दस्तखत किया हुआ है।
वेंकटेश ने कहा, “इस उदाहरण में, चार प्रमुख हितधारक हैं-महिलाएं, प्लेटफॉर्म (GitHub), कानून प्रवर्तन, और ऐप/डेवलपर्स के मालिक। किसी मामले में जांच करने के लिए और यह सुनिश्चित करने के लिए कि वे अश्लील सामग्री परोसने वाले अपराधियों के खिलाफ महिलाओं की शिकायतों पर आवश्यक सबूत इकट्ठा करते हैं, पुलिस को उस प्लेटफार्म पर जाना चाहिए और उससे इसका डेटा उपलब्ध कराने का अनुरोध करना चाहिए। चूंकि GitHub एक विदेशी कंपनी है, इसलिए डेटा साझा करने के अनुरोधों के क्रियान्वयन के लिए नियमन के तरीके का अनुसरण किया जाता है, जिसमें एमएलएटी प्रक्रिया से गुजरना भी शामिल है। एमएलएटी प्रक्रिया एक लंबी और थकाऊ प्रक्रिया है और इसमें सुधार की सख्त जरूरत है।”
उनके विचार से, …[इस तरह के सुधार] को उन मानकों पर आम सहमति बनाने पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो कानून प्रवर्तन एजेंसी को डेटा तक समय पर पहुंच को नियंत्रित करेंगे।" इंटरनेट के वैश्विक मिजाज को देखते हुए, इस तरह के मामलों पर सहयोग करना सभी पक्षों के लिए फायदेमंद होगा। इस दिशा में, एक डेटा सुरक्षा ढांचा, जो संस्थागत तंत्र और वैश्विक मानकों के अनुरूप डेटा न्यासियों के दायित्वों को निर्धारित करता है, उसे तेजी से डेटा साझा करने की अनुमति देगा। जहां तक विधायी सुधारों की बात है, प्लेटफार्मों के काम करने के तौर-तरीकों की जांच करने, वहां अवैध विषय-वस्तु डालने/अपराध की मंशा जाहिर करने वाली सामग्री पेस्ट किए जाने की स्थिति में सामुदायिक दिशानिर्देशों को लागू करने से उस ब्लैक बॉक्स का खुलासा करने में मदद मिलेगी, जिसका वह प्लेटफार्म इस्तेमाल करता है।”
पिछले साल, दिल्ली पुलिस ने जब सुल्ली डील ऐप के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी, तब एमएलएटी के लिए मंजूरी मांगी गई थी। केंद्र सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में पुलिस को इसकी अनुमति दी थी। इसी आधार पर पुलिस ने बुली बाई ऐप के डेवलपर के बारे में GitHub से जानकारी मांगी है। ट्विटर से भी कहा गया है कि वह अपने प्लेटफॉर्म से संबंधित आपत्तिजनक सामग्री को ब्लॉक करे और उन्हें हटा ले।
महिलाओं की ऑनलाइन सुरक्षा
महिलाओं के ऑनलाइन उत्पीड़न के मामलों में चिंताजनक वृद्धि हुई है। हालांकि इसे अक्सर पुरुष पुरुष हैं कहकर चलता कर दिया जाता है पर, इस ऑनलाइन "लॉकर रूम टॉक" में से अधिकांश बातचीत में वास्तविक दुनिया में महिलाओं के खिलाफ हिंसा करने की क्षमता होती है। निराशाजनक रूप से, साइबर अपराधों की घटना को रोकने के लिए कानून लागू करने वाली एजेंसियों द्वारा बहुत कम प्रयास किए जाते हैं।
वेंकटेश के अनुसार, "आइटी अधिनियम और आइटी नियमों के बावजूद साइबर अपराध के मामलों में अभियोजन दर कम बनी हुई है। कानून लागू करने में संसाधनों की कमी, मैनपॉवर और तकनीकी विशेषज्ञता की कमी, और साइबर अपराधों से लड़ने के लिए आवंटित वित्तीय संसाधन भी कम हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) से बाल यौन शोषण सामग्री के बारे में की गई हजारों शिकायतों के बावजूद, इन शिकायतों को प्राथमिकी में बदलने की दर अब भी बहुत कम है।”
साइबर हिंसा, विशेष रूप से बुल्ली बाई ऐप जैसे यौन स्वरों के साथ, एक बड़ी समस्या का लक्षण है-एक ऐसा समाज जो महिलाओं को राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में उनकी समान भागीदारी के उनके अधिकार से वंचित करता है; यह स्त्री द्वेषी और इस्लामोफोबिक है।
ऑनलाइन लिंग आधारित हिंसा ऑफ़लाइन हिंसा की तरह ही हानिकारक है, और इसकी जड़ समाज में लगातार बनी लैंगिक असमानता में निहित है। तो इसके चलते न केवल ऑनलाइन हिंसा जारी रहेगी, जैसे कि इसका मारक दुष्प्रभाव होगा और महिलाएं खुद को चारों तरफ से वर्जित कर लेंगी। अगर इस मसले का हल न निकाला गया तो उनके मानसिक स्वास्थ्य पर इसके दीर्घकालिक दुष्परिणाम भी होंगे। इस मामले में, किसी मसले पर मुखर हो कर अपना पक्ष रखने वाली खास कर अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं को निशाना बनाया गया है,जो स्पष्ट रूप से अपनी सत्ता का दावा करना है। इस शक्ति असंतुलन का समाधान जागरूकता से संवलित कार्यक्रमों, मामले की शिकायत दर्ज कराने और महिला से संबंधित मामलों में साइबर सुरक्षा तंत्र को बढ़ाते हुए किया जाना चाहिए, साथ ही भविष्य में इस तरह के व्यवहार को रोकने के लिए दोषियों को कड़ी सजा दिलाना चाहिए।
(गौरी आनंद एक पर्यावरण से संबंधित मामलों की अधिवक्ता हैं और द लीफलेट में शोध और संपादकीय टीम का हिस्सा हैं जबकि हिंदुजा वर्मा दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज से राजनीति विज्ञान की छात्रा हैं। लेख में व्यक्त विचार उनके निजी हैं।)
सौजन्य: दि लीफ़लेट
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