BJP का जनजागरण: झूठ और भ्रम का महाजाल
नागरिकता संशोधन अधिनियम पर विरोध की अभूतपूर्व लहर से सकते में आई बीजेपी अब खुद को संभालने में लगी है। दो जनवरी से पार्टी डैमेज कंट्रोल में जुट गई है।
नए कानून के आने के बाद से अबतक बीस दिन निकल चुके हैं। हर दिन जबरदस्त प्रदर्शन हो रहे हैं। बीजेपी ने अब जनजागरण अभियान शुरू किया है, इसमें पार्टी के बड़े नेता जनता से रूबरू होंगे। इससे पहले बीजेपी ने घर-घर जाकर लोगों से मिलने और फोटो खिंचवाने के कार्यक्रम की खानापूर्ति की थी।
लेकिन बीजेपी के इस कैंपेन में एक अलग चीज है, वह यह कि बीजेपी के ऐसे नेता, जो संवैधानिक पदों पर बैठे हुए हैं, वे सीएए के पक्ष में माहौल बनाने के लिए झूठ और बनावटी तथ्यों को फैलाने में लगे हैं।
बीजेपी के कैंपेन में उन तथ्यों पर चर्चा नहीं है, जिनके विरोध में लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। इस जवाबी कैंपेन से सिर्फ नफरती कानून और सिटीजनशिप सर्वे के खिलाफ ताकतवर विरोध प्रदर्शनों के असर को ही समझा जा सकता है। इसके बावजूद बीजेपी कैंपेन के झूठ का पर्दाफाश करना जरूरी है।
CAA पर अधूरा सच
बीजेपी क्या कह रही है, इसका अंदाजा हम गृहमंत्री अमित शाह के बयानों से लगा सकते हैं। बिहार के वैशाली में एक जनसभा को संबोधित करते हुए शाह ने 16 जनवरी को कहा, ''CAA किसी की नागरिकता छीनने के बारे में नहीं है, बल्कि यह पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए प्रताड़ित लोगों को अधिकार देने के बारे में है।'' शाह ने विशेषतौर पर हिंदू, सिख, क्रिश्चियन, जैन, पारसी और बौद्ध लोगों का जिक्र किया। यह सही है। CAA इसी बारे में है।
लेकिन शाह ने यहां यह नहीं बताया कि सिर्फ एक समुदाय-मुस्लिमों को इससे बाहर रखा गया। 6 समुदायों से आने वाले अवैध प्रवासियों को भी नागरिकता मिलने में तेजी आएगी, लेकिन मुस्लिमों को नहीं।
बीजेपी अध्यक्ष ने प्रताड़ना को बढ़ाचढ़ाकर भी बताया, वो भी सिर्फ पड़ोसी देशों में हिंदुओं का। मानवाधिकार की बात करने वालों को निशाना बनाते हुए उन्होंने कहा, ''हजारों लड़कियों का रेप किया गया, दर्जनों मंदिर तोड़ दिए गए.....''
दरअसल शाह यह तस्वीर बनाना चाह रहे हैं कि बीजेपी पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में हमले का शिकार हिंदुओं के लिए सही काम कर रही है। इसका राजनीतिक संदेश पार्टी यह देना चाहती है कि विपक्षी पार्टियां बीजेपी को हिंदुओं का भला करने से रोक रही हैं, सिर्फ बीजेपी हिंदुओं के बारे में सोचती है।
बीजेपी की यह बात इसलिए छलावा है कि विरोध प्रदर्शन में कोई भी प्रताड़ित लोगों को आसरा दिए जाने का विरोध नहीं कर रहा है। दरअसल विरोध सिर्फ इस परोपकारी काम से एक समुदाय-मुस्लिम, को छोड़े जाने का है। इससे मुस्लिमों के खिलाफ भेदभाव का बीज बोया जा रहा है और ऐसा करना संविधान की मूल आत्मा-शब्दों के खिलाफ है।
बीजेपी हिंदुओं को बचाने का काम कर रही है और विपक्षी पार्टियां इसके विरोध में हैं, यह झूठ (या आधा सच) लगातार दोहराया जा रहा है। इसका संदेश साफ है: हिंदुओं को जीतने की कोशिश की जाए।
शायद CAA लाने के पीछे की मंशा भी यही थी।
NRC-NPR पर चुप्पी
नागरिकता कानून से एक और मुद्दा जुड़ा हुआ है। शाह लगातार बोलते रहे हैं कि CAA के बाद नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (NRC) बनाया जाएगा। इसका मक़सद अवैध प्रवासियों की पहचान कर उन्हें बाहर करना है। भारत के पड़ोसियों के परिप्रेक्ष्य में, और अब CAA द्वारा मुस्लिमों को छोड़कर सभी को नागरिकता देने के प्रावधान से तार्किक नतीजा यही मिलता है कि NRC के ज़रिए सिर्फ मुस्लिमों को निशाना बनाया जाएगा। केवल अवैध प्रवासी ही नहीं, बल्कि किसी को भी जो अपने माता-पिता के जन्म समेत मांगे गए दूसरे सबूत पेश नहीं कर पाएगा।
विरोध प्रदर्शन की पूरी लहर ही CAA और NRC दोनों के ही खिलाफ है। लोगों को शांत करने के लिए सरकार ने कहा कि सिर्फ पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) बनाया जाएगा। लेकिन इसका भी विरोध हुआ, क्योंकि इसमें माता-पिता के जन्म की जानकारी मांगी जा रही है, जो ''संशयपूर्ण नागरिकता'' की घोषणा की तरफ पहला कदम है।
अमित शाह अपने भाषणों में NPR-NRC पर कोई भी बात करने से बच रहे हैं। वह कुछ भी साफ नहीं करते। वो किसी को शिक्षित भी नहीं करते। उन्होंने पहले यह बताने का प्रयास किया कि NPR में दस्तावेज़ जांच नहीं होगी। वहीं पीएम मोदी ने कहा कि NRC की तो कोई चर्चा ही नहीं हुई। लेकिन यह दोनों नेता, जगह के मुताबिक अपनी बात बदल लेते हैं।
संसद में अमित शाह द्वारा दो बार NRC करवाए जाने की बात के बावजूद, 22 दिसंबर को मोदी ने खुलकर कहा कि NRC पर कोई चर्चा ही नहीं है। फिर अब जो अभियान चालू हो रहा है, उसमें NPR और NRC पर इन दोनों ने पूरी तरह चुप्पी साध रखी है।
यह न केवल हंसने वाली बात है, बल्कि साफ झूठ भी है। शाह को पता होना चाहिए था कि प्रदर्शनकारी NRC-NPR के भी उतने ही खिलाफ हैं, जितने CAA के। उन्हें इस मुद्दे पर बात साफ करनी चाहिए थी।
शायद चुप रहकर भी एक मुद्दे का हल किया जा सकता है।
BJP का अभियान और इसकी सामग्री हमें खतरनाक मोड़ की तरफ ले जा रही है। नागरिकता संशोधन कानून पर समर्थन हासिल करने के लिए पार्टी इस मुद्दे को हिंदुओं से जुड़ा मुद्दा बताने की कोशिश कर रही है। वे पूरे देश को सांप्रदायिक तौर पर बांट देना चाहते हैं। इस बात की कल्पना करना भी कंपा देने वाला है। पर हो सकता है, इसका उद्देश्य ही यही है।
अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।
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