CITU, AIDWA ने की अंतरिम बजट की निंदा, राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन का आह्वान!
सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (CITU) और ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक विमेन एसोसिएशन (AIDWA) ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन द्वारा पेश अंतरिम बजट की कड़ी आलोचना की और इसे झूठ की मनगढ़ंत कहानी और आम लोगों, श्रमिकों, किसानों और विशेष रूप से महिलाओं के हितों के साथ विश्वासघात करते हुए आवश्यक क्षेत्रों के निजीकरण की एक ज़बरदस्त कोशिश बताया।
सीटू ने अंतरिम बजट की निंदा करते हुए इसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार द्वारा सत्ता हासिल करने की एक भ्रामक चाल बताया है, जो औसत आय में वृद्धि और मध्यम मुद्रास्फीति के निराधार दावों पर निर्भर है। यूनियन ने, आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों, बेरोजगारी और वास्तविक मजदूरी में गिरावट की कड़वी हक़ीक़त को उजागर किया, जिसे ILO और UNO जैसी अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्टों द्वारा उजागर किया गया है।
पिछली सरकार से वर्तमान सरकार के प्रदर्शन की तुलना करने की वित्त मंत्री की कोशिश को सीटू ने खारिज कर दिया और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के तहत सार्वजनिक उपक्रमों के अभूतपूर्व निजीकरण की ओर इशारा किया है। यूनियन ने रक्षा अनुसंधान और विकास को निजी कंपनियों के लिए खोलने और निजी क्षेत्र को ब्याज मुक्त ऋण के लिए पर्याप्त धनराशि आवंटित करने को लेकर चिंता ज़ाहिर की।
सीटू ने कृषि और किसानों के कल्याण के लिए आवंटित अव्ययित राशि को रेखांकित करके भाजपा के दावों पर सवाल उठाया है। सीटू का कहना है कि "अंतरिम बजट में श्रमिकों और किसानों के लिए सकारात्मक कदमों का अभाव है, इसे सरकार की मजदूर विरोधी, किसान विरोधी और जन विरोधी नीतियों की निरंतरता के रूप में देखा जा रहा है।" इसके विरोध में, सीटू ने इन नीतियों के ख़िलाफ़ हड़ताल सहित राष्ट्रव्यापी जन लामबंदी का आह्वान किया है।
वहीं दूसरी ओर, AIDWA ने केंद्र सरकार के अंतरिम बजट पर गहरी निराशा व्यक्त करते हुए इसे "चुनाव पूर्व प्रचार" करार दिया है। AIDWA ने आर्थिक संकट, महिलाओं के घटते वैतनिक रोजगार और बढ़ती भुखमरी के बीच सरकार के 'महिला सशक्तिकरण' के दावों की आलोचना की। AIDWA ने महिलाओं के विकास के लिए बजटीय आवंटन के महत्व पर जोर देते हुए वित्त मंत्री के इस दावे पर सवाल उठाया कि महिला सशक्तिकरण परिणामों पर निर्भर करता है।
AIDWA, पीएम आवास योजना और एनआरएलएम के संबंध में सरकार के 'भ्रामक' दावों को उजागर करता है, जो घोषित उपलब्धियों और वास्तविक परिणामों के बीच कथित तौर पर भारी असमानताओं को दर्शाता है। इसके अलावा AIDWA ने लड़कियों के लिए सरकार की बचत योजना की आलोचना की और महिला सशक्तीकरण के वादों को पूरा करने में सरकर को 'विफल' बताया।
CITU और AIDWA दोनों ने अपनी संबद्ध यूनियनों, सदस्यों और लोकतांत्रिक ताकतों से 16 फरवरी को एक राष्ट्रव्यापी जन आंदोलन में एकजुट होने का आह्वान किया है।
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