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दलित भोजनमाता को दिल्ली में नौकरी के 'आप' के दावे पर सवाल.. दिल्ली में तो यह पद ही नहीं

उत्तराखंड के सीमांत ज़िले चंपावत में दलित भोजनमाता के हाथ का खाना खाने से सवर्ण बच्चों के इनकार और उन्हें काम से हटाए जाने की ख़बर जब नेशनल मीडिया और सोशल मीडिया की सुर्खियां बनी तो दिल्ली के समाज कल्याण, महिला और बाल विकास मंत्री राजेंद्र पाल ने 26 दिसंबर को प्रेस कांफ़्रेंस कर उन्हें दिल्ली में सरकारी नौकरी देने का ऐलान कर दिया।
दलित भोजनमाता को दिल्ली में नौकरी के 'आप' के दावे पर सवाल.. दिल्ली में तो यह पद ही नहीं

उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी ने सियासी पारा गरम कर दिया है। सोमवार, 3 जनवरी, को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने देहरादून में रैली की और सभी पूर्व सैनिकों को नौकरी देने की पांचवीं गारंटी दी। इससे पहले वह चार गारंटी यानी चार वादे कर चुके हैं। आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता इससे उत्साहित हैं लेकिन चंपावत की दलित भोजनमाता को दिल्ली में सरकारी नौकरी का वादा या गारंटी को लेकर आम आदमी पार्टी मुश्किल में पड़ सकती है। दरअसल आम आदमी पार्टी ने दलित भोजनमाता सुनीता देवी को दिल्ली में भोजनमाता के पद पर ही नौकरी देने का प्रस्ताव दिया था। अचरज की बात यह है कि दिल्ली में भोजनमाता का पद ही नहीं है, वहां तो मिड-डे-मील बनाने का काम एनजीओ को आउटसोर्स है। अब दलित संगठन (भीम आर्मी) इसे गरीब दलित महिला के साथ मज़ाक बता रहे हैं तो बीजेपी-कांग्रेस राजनीतिक फ़ायदे के लिए उठाया गया कदम। 

आप का नौकरी का प्रस्ताव 

उत्तराखंड के सीमांत ज़िले चंपावत में दलित भोजनमाता के हाथ का खाना खाने से सवर्ण बच्चों के इनकार और उन्हें काम से हटाए जाने की ख़बर जब नेशनल मीडिया और सोशल मीडिया की सुर्खियां बनी तो दिल्ली के समाज कल्याण, महिला और बाल विकास मंत्री राजेंद्र पाल ने 26 दिसंबर को प्रेस कांफ़्रेंस कर उन्हें दिल्ली में सरकारी नौकरी देने का ऐलान कर दिया। 

उन्होंने उत्तराखंड में भाजपा की सरकार और मुख्यमंत्री पुष्कर धामी पर जातिवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया और दावा किया कि दिल्ली सरकार सुनीता देवी को दिल्ली में खाना बनाने की नौकरी देगी। 26 दिसंबर को ही उन्होंने अपने ट्विटर पर यह ऐलान भी कर दिया कि दिल्ली सरकार ने सुनीता देवी को सरकारी नौकरी दी है। 

इसके बाद 28 दिसंबर को आम आदमी पार्टी के चंपावत विधानसभा प्रभारी मदन सिंह महर ने सुनीता देवी से मुलाकात की और पार्टी की तरफ़ से उन्हें दिल्ली में भोजनमाता के पद पर नियुक्ति का प्रस्ताव दिया। 

दिल्ली में तो भोजनमाता का पद ही नहीं है

इस सब के बाद पता यह लगा कि दिल्ली में तो भोजनमाता का पद ही नहीं है। दिल्ली के राजकीय विद्यालय शिक्षक संघ के पश्चिम ज़िला सचिव संत राम कहते हैं कि मिड-डे-मील बनाने का काम विभिन्न एनजीओ को दिया गया है, वहां स्कूलों में खाना बनता ही नहीं है। हालांकि कोविड आने के बाद तो यह भी बंद है, मार्च 2020 से सूखा राशन दिया जा रहा है।

आम आदमी पार्टी के चंपावत प्रभारी मदन सिंह महर को इस बात की जानकारी नहीं है। वह कहते हैं कि उन्हें पार्टी आलाकमान से आदेश मिला कि सुनीता देवी से मिलें और उन्हें पार्टी की तरफ़ से यह प्रस्ताव दे दें। हालांकि वह कहते हैं कि अगर भोजनमाता का पद नहीं होगा तो सुनीता देवी को कोई और सरकारी नौकरी, जैसे कि परिचारिका की, दी जाएगी जिसमें कम से कम 18-20 हज़ार रुपये मिलते हों।

महर को दिल्ली के स्कूलों के ढांचे की जानकारी न होना तो कोई अजीब बात नहीं है लेकिन दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री को भी यह बात पता न हो, यह थोड़ा अजीब लगता है।

हालांकि शिक्षक नेता संत राम कहते हैं कि दरअसल पहले राजनीतिक फ़ायदे के लिए दावे करके आम आदमी पार्टी के नेता पहले भी फंसते रहे हैं। दिल्ली में ही गेस्ट टीचर्स के मामले को लेकर इन्होंने पंजाब में झूठा दावा कर दिया और अब वह मामला इनके गले की हड्डी बन गया है। 

संत राम यह भी कहते हैं कि यह भोजनमाता के बजाय दिल्ली सरकार के स्कूलों में आया की नौकरी दो दे सकते हैं लेकिन वह भी आटसोर्स्ड है। उन्हें 7500-8000 रुपये वेतन महीने में मिल पाते हैं। पक्की नौकरी ऐसे दे ही नहीं सकते, उसके लिए प्रक्रिया लंबी है और अगर आप नियम विरुद्ध नौकरी देंगे तो उसे चुनौती देने वाले कई लोग खड़े हो जाएंगे।  

राजनीतिक स्टंट 

भीम आर्मी के कुमाऊं मंडल अध्यक्ष गोविंद बौद्ध कहते हैं कि यह पूरी तरह राजनीतिक ड्रामा है। वह कहते हैं कि अगर यह सिरियस होते तो दिल्ली में नौकरी दे ही देते। मंत्री-मुख्यमंत्री चाहे तो क्यों नहीं दे सकता नौकरी। 18-20 हज़ार की नौकरी मिले तो सुनीता देवी दिल्ली जाने को तैयार भी हैं। 

गोविंद कहते हैं कि इन्होंने दलित वोट हथियाने के लिए सुनीता देवी को दिल्ली में सरकारी नौकरी का प्रलोभन दिया। क्या दिल्ली सरकार के मंत्री को पता नहीं होना चाहिए था कि वहां भोजनमाता का पद है या नहीं? उन्हें नौकरी का प्रस्ताव देने से पहले पता होना चाहिए था कि कितने की नौकरी है, दिल्ली में 3000 की नौकरी गरीब दलित महिला के साथ मज़ाक नहीं तो क्या है? 

वह कहते हैं कि अगर आम आदमी पार्टी सुनीता देवी को दिल्ली में सम्मानजनक और अच्छे पैसे की नौकरी नहीं देती है तो फिर दलित उनके राजनीति को खत्म करने का काम करेंगे। 

कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी कहती हैं कि केजरीवाल से बड़ा ठग उन्हें कोई और नज़र नहीं आता। वह आकर हवाई दावे, वादे करते जा रहे हैं। दिल्ली में 15 लाख से ज़्यादा युवा बेरोज़गार पंजीकृत हैं। उन्हें आप बेरोज़गारी भत्ता नहीं दे रहे हैं, यहां आकर वादा कर रहे हैं। उत्तराखंड में महिलाओं को हर माह 1000 रुपये देने का वादा कर रहे हैं लेकिन दिल्ली में एक भी महिला को ऐसा कोई भत्ता नहीं दिया है। 

छह महीने में एक लाख नौकरियां देने का वादा कर रहे हैं, जो कहीं से भी व्यवहारिक नहीं लगता, यहां बैकलॉग ही 23 हज़ार नौकरियों का है। नौकरियों का ढिंढोरा तो आम आदमी पार्टी पीट रही है लेकिन धरातल पर कुछ भी नज़र नहीं आ रहा है। 

भाजपा प्रवक्ता शादाब शम्स कहते हैं कि आम आदमी पार्टी झूठ की दुकान है जिसके प्रोपराइटर अरविंद केजरीवाल हैं। वह भी कांग्रेस प्रवक्ता की तरह उत्तराखंड में किए गए वादे और दिल्ली में उनकी स्थिति के बारे में बात करते हैं। वह कहते हैं कि भोजनमाता के नाम पर भी उन्होंने उत्तराखंड की जनता को ठगने की कोशिश की लेकिन इसमें वह एक्सपोज़ हो गए हैं। 

शादाब कहते हैं कि उत्तराखंड की जनता पढ़ी-लिखी है इसलिए आम आदमी पार्टी के झूठ यहां नहीं चलेंगे। जैसे पहली दो बार इनकी ज़मानत ज़ब्त करवाई थी इस चुनाव मे भी ज़मानत ज़ब्त करवाकर उत्तराखंड की जनता जवाब देगी।
 

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