Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

DIGIPUB ने न्यूज़क्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ़्तारी पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की सराहना की  

DIGIPUB द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि पत्रकारों के जीवन, स्वतंत्रता और आजीविका को ख़तरे में डालकर उनके ख़िलाफ़ क़ानूनों को हथियार नहीं बनाया जाना चाहिए।
NC

नई दिल्ली: भारत में स्वतंत्र डिजिटल समाचार पोर्टलों और कई स्वतंत्र पत्रकारों द्वारा गठित समूह (न्यूज़क्लिक भी इसका हिस्सा है) DIGIPUB ने बुधवार, 15 मई, 2024 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है, जिसमें न्यूज़क्लिक के संस्थापक और मुख्य संपादक प्रबीर की गिरफ्तारी पर रोक लगाई गई है और दिल्ली पुलिस द्वारा पुरकायस्थ की गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए उन्हें तुरंत रिहा करने का आदेश दिया। 

जारी किए गए एक बयान में, DIGIPUB ने कहा कि “हमें खुशी है कि सुप्रीम कोर्ट ने आखिरकार हस्तक्षेप किया। हम सरकार से उन स्वतंत्र मीडिया संस्थानों के खिलाफ जानबूझकर और प्रतिगामी लड़ाई में सावधानी और संयम बरतने का आग्रह करते हैं जिनसे वे सहमत नहीं है।''

पुरकायस्थ और समाचार पोर्टल के HR प्रमुख अमित चक्रवर्ती को दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने 3 अक्टूबर, 2023 को सुबह-सुबह करीब 80 पत्रकारों, कंट्रीब्योटर्स, फ्रीलांसर्स और कर्मचारियों के घरों पर छापा मारकर गिरफ्तार कर लिया था। इस साल जनवरी में सरकारी गवाह बनने के बाद चक्रवर्ती को हाल ही में रिहा कर दिया गया था।

DIGIन्यूयॉर्क टाइम्स के एक लेख में बिना किसी सबूत के लगाए गए आरोपों के बाद छापे मारे गए। आऱोप लगाया गया कि पोर्टल को चीनी सरकार द्वारा 'प्रोपगेंडा फैलाने' के लिए वित्त पोषित किया जा रहा था। पुरकायस्थ पर कठोर आतंकवाद विरोधी कानून, यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) के तहत मामला दर्ज किया गया और गिरफ्तार कर लिया गया था।

DIGIPUB के बयान में कहा गया है कि पुरकायस्थ को उनकी गिरफ्तारी के बाद रिमांड आदेश पारित करने से पहले रिमांड आवेदन की प्रति प्रदान नहीं की गई थी।

बयान में कहा गया है कि, "सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह प्रबीर को उनके वकील को सूचित किए बिना मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने में दिल्ली पुलिस द्वारा दिखाई गई 'जल्दबाजी' से हैरान है।" 

DIGIPUB, जिसके सदस्यों में द न्यूज़ मिनट, द वायर, न्यूज़लॉन्ड्री, द क्विंट, ऑल्ट न्यूज़, आर्टिकल 14, बूमलाइव, कोबरापोस्ट, स्क्रॉल, HW न्यूज़ और कई स्वतंत्र पत्रकार और सदस्य शामिल हैं। उसने कहा है कि उन्होंने न्यूज़क्लिक के खिलाफ पुलिस और एजेंसी की कार्रवाई की लगातार निंदा की है, "जहां पत्रकारों से पूछताछ की गई, उनके उपकरण जब्त किए गए और उनके घरों पर छापे मारे गए...।"

“लोकतंत्र में, कोई सरकार स्वतंत्र प्रेस के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों को खुला नहीं छोड़ सकती है, खासकर उचित प्रक्रिया के अभाव में ऐसा करना गलत है। पत्रकारों के खिलाफ कानूनों को हथियार नहीं बनाया जाना चाहिए, उनके जीवन, स्वतंत्रता और आजीविका को खतरे में नहीं डालना चाहिए।” उक्त बातें टीएनएम की धन्या राजेंद्रन, एनएल के अभिनंदन सेखरी और द क्विंट के रितु कपूर द्वारा हस्ताक्षरित बयान में कही गई हैं।  

एक एक्स पोस्ट में, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने भी पुरकायस्थ की गिरफ्तारी और रिमांड को रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया है। भारतीय महिला प्रेस कोर ने भी एक पोस्ट में इस आदेश की सराहना की है।

“प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने न्यूज़क्लिक के संस्थापक और मुख्य संपादक प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ्तारी और रिमांड को “अवैध” बताकर रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया है। उन्हें पिछले साल 3 अक्टूबर को कठोर यूएपीए कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था।” 

पोस्ट में कहा गया है कि, "हम पत्रकारों के खिलाफ यूएपीए लगाने पर चिंता जताकर व्यक्त करते हैं क्योंकि सरकार मीडियाकर्मियों के बीच डर पैदा करना चाहती है..."। 

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest