दिल्ली: पहलवानों पर पुलिसिया बर्बरता के ख़िलाफ प्रदर्शन, ‘’न्याय मिलने तक जारी रहेगा संघर्ष’’
यौन शोषण के आरोपी और भाजपा के सांसद बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी और खिलाड़ियों के लिए न्याय की मांग को लेकर राजधानी दिल्ली में सैकड़ों की संख्या मे लोग जुटे। इसमें संयुक्त किसान मोर्चा (SKM), सेंट्रल ट्रेड यूनियन और कई महिला संगठन शामिल हुए। इन सभी संगठनों ने 1 जून को दिल्ली के जंतर मंतर के पास विरोध प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन में सैकड़ों की संख्या में महिला, मज़दूर और नौजवान शामिल हुए, जबकि दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर मे खाप सरपंचों की एक पंचायत हुई। इस पंचायत में आंदोलन को और तेज करने का ऐलान किया गया।
दिल्ली प्रदर्शन में शामिल लोगों का कहना था कि 28 मई को महिला पहलवानों और आम नागरिकों पर बर्बर दमन कर भाजपा सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि वह बृजभूषण के साथ खड़ी है, न कि उन पहलवानों के साथ जिन्होंने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पदक जीतकर देश को गौरवान्वित किया है।
ज्ञात हो कि 28 मई को महिला पहलवानों को उस समय हिरासत में लिया गया था, जब भारत के लोकतंत्र के नए प्रतीक, नए संसद का उद्घाटन किया जा रहा था। इसको केवल लोकतंत्र की हत्या ही कहा जा सकता है। महिला पहलवानों और कार्यकर्ताओं पर हमला भाजपा सरकार के महिला-विरोधी चरित्र को बेनकाब करता है जो बेहद ही ओछे राजनीतिक फायदे के लिए आरोपी सांसद बृजभूषणको बचाने पर तुली हुई है। 28 मई को आम नागरिकों व महिला पहलवानों के दमन ने पूरे देश को शर्मसार किया है।
ये प्रदर्शन सेंट्रल दिल्ली के जंतर मंतर के पास हुआ। हालांकि पहले ये जंतर मंतर पर होना था, लेकिन पुलिस की अनुमति नहीं मिलने के कारण इसे दूसरी जगह पर करना पड़ा। इस प्रदर्शन की शुरुआत "इंकलाब जिंदाबाद, दिल्ली पुलिस ‘डाउन-डाउन’ और बृज भूषण सिंह को तुरंत गिरफ्तार करो" जैसे नारों के साथ हुई, इसके बाद दिल्ली पुलिस ने अस्थायी रूप से बैरिकेड्स का घेरा बनाया। प्रदर्शनकारियों ने उसके भीतर ही शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि आरोपी को गिरफ्तार करने में देरी का मकसद जांच को प्रभावित कर उसे बचाना है।
ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी) की कार्यकर्ता प्रकाश देवी, जो अपने हाथों से तख्ती पकड़े हुए थीं। उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया कि बृजभूषण को समर्थन हासिल करने के लिए स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति दी गई है, जबकि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम अपराध होने पर तत्काल गिरफ्तारी का होनी चाहिए।
उन्होंने आगे कहा, 'हमें फैजाबाद में POCSO एक्ट में बदलाव की मांग को लेकर एक धार्मिक सभा के आयोजन की खबरें मिल रही हैं। क्या यह शर्मनाक नहीं है? कि एक कानून को तथाकथित संतों द्वारा बदलने के लिए कहा जा रहा है। जिनका प्राथमिक काम न्याय के लिए खड़ा होना था। हालांकि, जिस तरह से मामले को अब तक ट्रीट किया गया है, उससे मैं हैरान नहीं हूं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जम्मू में कठुआ मामले में भाजपा कार्यकर्ताओं ने बलात्कारियों के पक्ष में तिरंगा रैली निकाली थी। कुलदीप सिंह सेंगर भी यौन शोषण का आरोपी था। हाथरस में बलात्कार पीड़िता के परिवार को उसके शव से दिखाने से इनकार कर दिया गया और उत्तर प्रदेश पुलिस ने उसके शरीर का जबरदस्ती अंतिम संस्कार कर दिया। बिलकिस बानो के बलात्कारियों को माला पहनाई गई।”
उन्होंने कहा कि संघर्ष अब बेटियों को न्याय दिलाने की लड़ाई में बदल गया है। “मैं एक मां हूं और मैं यह अच्छी तरह जानती हूं कि हमारी बेटियों ने जीवन भर क्या-क्या सहा है। यदि हमारी बेटियां अपनी सामान्य दिनचर्या से देर से पहुंचती हैं, तो पहले विचार हमेशा किसी दुर्घटना के बारे में होते हैं। मेरा मानना है कि सड़कों पर उतरना ही एकमात्र विकल्प है क्योंकि इन अपराधों को रोकना हमारी प्राथमिकता है।” छात्र संगठन के कार्यकर्ता हाथों मे ढपली लिए नारों को बुलंद करते हुए अपना समर्थन पहलवानों के दे रहे थे। उन्होंने अपने बयान मे कहा कि भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह द्वारा यौन उत्पीड़न के खिलाफ पिछले कई महीनों से विरोध कर रही महिला पहलवानों को रविवार को बर्बरतापूर्वक हिरासत में लेकर जंतर-मंतर पर उनके विरोध स्थल को हटा दिया गया। इस पूरे प्रकरण के दौरान आरोपी सांसद, जिसके खिलाफ POCSO एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है, वह नए संसद में प्रवेश कर मुस्कुराते हुए फोटो खिंचा रहा था। सांसद को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है क्योंकि वह सत्ताधारी भाजपा से है और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश में भाजपा उसके प्रभाव को भुनाना चाहती है। ज्ञात हो कि वह लगातार महिला पहलवानों को धमकियां दे रहा है। और तो और आरोपी POCSO अधिनियम को ही बदलने की धमकी दे चुका है जिसके तहत उस पर प्राथमिकी दर्ज की गयी है। इस प्रकार, अपराधियों के लिए भयमुक्ति के माहौल को सरकार द्वारा सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया जा रहा है। अपनी एकजुटता को प्रकट करने के लिए आंदोलन में आई एक लड़की नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा कि यह देखकर दुख होता है कि जब उन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता होती है तो सरकार उन्हें समर्थन नहीं दे रही है। “जब सरकार उत्पीड़कों का पक्ष चुनती है तो लड़ने का आपका साहस टूट जाता है।
विरोध में शामिल जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा कि पहलवान जंतर-मंतर वापस इसलिए गए क्योंकि निष्पक्ष जांच के वादे को पूरा नहीं किया गया था। इसलिए बृज भूषण को गिरफ्तार करने की मांग की जा रही है क्योंकि नाबालिग परिवार पर बयान बदलने का भारी दबाव है। वह कानून में ही बदलाव की मांग को लेकर 5 जून को संतों की सभा भी आयोजित कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, 'मैं पूछना चाहती हूं कि बीजेपी के पास जांच पूरी करने के लिए कितना समय है? इंसाफ के लिए धरने पर बैठना जरूरी है। क्या उचित प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए सड़कों पर पीटा जाना एक पूर्व शर्त है। उन्होंने पहली बार जनवरी में विरोध देखा। इस मुद्दे को उठाए हुए छह महीने हो चुके हैं। बृजभूषण यौन उत्पीड़क है या नहीं, इसकी जांच के लिए कितना समय चाहिए!
ऑल इंडिया एग्रीकल्चरल वर्कर्स यूनियन के संयुक्त सचिव विक्रम सिंह ने हाथों में बीजेपी डाउन डाउन स्लोगन लिखी तख्ती लिए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बृजभूषण के बचाव में तथाकथित संत इकट्ठा हो रहे हैं। “क्या यह हमारी संस्कृति है कि वे बृजभूषण का समर्थन सिर्फ इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वह राम जन्मभूमि आंदोलन में एक प्रमुख नेता थे। क्या यह उसे कानून से परे सुरक्षा की गारंटी देता है कि वह बेटियों से छेड़छाड़ करने के लिए स्वतंत्र है? वे धर्म का उपयोग घातक उद्देश्यों के लिए कर रहे हैं। यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय नियामक संस्थाएं भी पूरे मामले पर स्पष्टीकरण मांग रही हैं।”
दुनिया में कुश्ती महासंघों के शासी निकाय यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग फेडरेशन ने हाल ही में पहलवानों को न्याय न मिलने पर हैरानी जताई है और महिला पहलवानों के आरोपों की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की दिल्ली अध्यक्ष मैमूना मौल्ला , जो शुरुआती दिनों से विरोध से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया कि महिला पहलवानों का विरोध इस बात का प्रमाण है कि संघर्ष महिलाओं को सशक्त बनाता है। "मैं निश्चित रूप से कह सकती हूं कि महिलाओं ने पहले इस तरह के उत्पीड़न की शिकायत नहीं की थी। हालांकि, इस विरोध ने उन्हें एक बार नहीं बल्कि दो बार निरीक्षण करने का साहस दिया। पूरा देश उनके साथ खड़ा है। किसान, महिला, युवा और छात्र संगठनों ने अपना समर्थन दिया है। हम यहां यह कहने के लिए हैं कि हम संघर्ष में आपके साथ हैं और हम जीतेंगे।
ये प्रदर्शन सिर्फ दिल्ली में नहीं हुआ बल्कि देशभर मे कई राज्यों मे हुए । सभी जगह यौन शोषण के आरोपी भाजपा नेता की गिरफ्तारी की मांग उठाई गई है । जबकि खाप पंचायतों की बैठक के बाद राकेश टिकैत ने कहा कि इस बैठक मे कई बड़े निर्णय लिए गए लेकिन उन्हे आज सर्वजनकी नहीं किया जा रहा है । कल यानी दो जून को कुरुक्षेत्र में एक बड़ी महापंचयत होगी उसमे हम आगे की रणनीति का ऐलान करेंगे । अभी बस इतना कह सकते है कि खाप पंचायत सदस्यों की एक कमेटी राष्ट्रपति और गृह मंत्री से मिलेगा और उनसे हस्तक्षेप की मांग करेगा ।
साथ ही उन्होंने कहा ये आंदोलन अब हमारे पहलवान बच्चे नहीं बल्कि समाज लड़ेगा । पूरा समाज पहलवान बच्चियों के साथ है वो किसी एक जाति के नहीं बल्कि देश के है ।
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