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युद्धवीर की गिरफ़्तारी को किसान नेताओं ने 'आवाज़ दबाने की कोशिश' बताया

"केंद्र सरकार के इस प्रकार के कार्यों से लगता है कि वह देश के किसानों की आवाज़ को दबाना चाहती है, लेकिन यह गिरफ़्तारी किसानों की आवाज़ को और उग्र करने का काम करेगी।"
Yudhvir Singh

संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) और भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय महासचिव चौधरी युद्धवीर सिंह को अंतरराष्ट्रीय किसान सम्मेलन के लिए कोलंबिया जाने से रोके जाने पर किसान संगठनों में गुस्सा है। किसान संगठनों ने कहा सरकार किसानों की आवाज़ दबाना चाहती है। हालांकि युद्धवीर सिंह को बुधवार को रिहा कर दिया गया। क्योंकि उनके बुधवार सुबह हिरासत में लिए जाने के बाद से किसानों ने कई टोल प्लाजा पर आंदोलन शुरू किया था। इसकी सूचना मिलने के बाद युद्धवीर सिंह को छोड़ दिया गया। इसके बाद BKU के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने किसानों को टोल प्लाजा खाली करने के निर्देश दिए।

अवैध हिरासत और यात्रा प्रतिबंध की कड़ी निंदा

SKM देशभर के सैकड़ों किसान संगठन का सांझा मंच है और इसके नेतृत्व में दिल्ली की सीमाओं पर एक साल से अधिक समय तक तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन चला था। इसने एसकेएम राष्ट्रीय परिषद के सदस्य चौधरी युद्धवीर सिंह को अवैध और मनमाने ढंग से हिरासत में लिए जाने एवं यात्रा प्रतिबंध लगाने की कड़ी निंदा की और संगठन ने कहा कि युद्धवीर सिंह भारतीय किसान आंदोलन के एक सम्मानित वरिष्ठ नेता हैं और एसकेएम उनकी मनमानी गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करता है।

युद्धवीर को बुधवार सुबह 2 बजे इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उस समय गिरफ्तार किया गया था, जब वह 7 अन्य प्रतिनिधियों के साथ एक अंतर्राष्ट्रीय कृषि एवं पर्यावरण सम्मेलन में भाग लेने के लिए कोलंबिया के लिए उड़ान भरने वाले थे। किसान यूनियनों और संगठनों द्वारा दर्ज कराए गए कड़े विरोध के कारण आखिरकार युद्धवीर को रिहा कर दिया गया लेकिन तब तक उनकी फ्लाइट निकल चुकी थी।

इस पर SKM ने कहा कि युद्धवीर की हिरासत/गिरफ्तारी और उनकी यात्रा पर प्रतिबंध लगाना, केंद्र सरकार द्वारा एसकेएम व जनतांत्रिक किसान आंदोलन जिसके आगे सरकार को झुकना पड़ा था, के खिलाफ प्रतिशोध के अलावा और कुछ नहीं है। केंद्र सरकार देश के किसानों की आवाज को दबाने पर तुली हुई है, लेकिन देश के किसान और जनता उसकी कोशिशें सफल नहीं होने देंगे।

AIKS ने युद्धवीर सिंह की गिरफ्तारी का कड़ा विरोध किया

किसान सभा ने युद्धवीर सिंह की गिरफ्तारी के लिए मोदी सरकार की कड़ी आलोचना तथा निंदा की। उसने अपने बयान में कहा, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था और दिल्ली पुलिस ने कहा है कि युद्धवीर सिंह के खिलाफ दिल्ली किसान आंदोलन से संबंधित एफआईआर दर्ज है।

किसान नेता ने कहा कि किसानों द्वारा दिल्ली में टोल प्लाजा की नाकाबंदी सहित, कड़े विरोध और किसान संगठनों व मंचों द्वारा कड़ी आलोचना के बाद, पुलिस को उन्हें रिहा करने के लिए मजबूर होना पड़ा तथा उन्हें विदेश जाने की अनुमति भी दी गई।

किसान सभा ने अपने बयान में कहा असहमति की सभी आवाजों को दबाने और जन प्रतिरोध के आंदोलन पर लगाम कसने की नरेंद्र मोदी सरकार और खासकर गृह मंत्रालय की घृणित कोशिशें निरर्थक साबित हो जाएगी। यह नरेंद्र मोदी शासन के अधिनायकवादी चरित्र का एक और उदाहरण है।

राकेश टिकैत ने युद्धवीर की रिहाई के बाद टोल से आंदोलन वापस लेते हुए कहा कि केंद्र सरकार के इस प्रकार के कार्यों से लगता है कि वह देश के किसानों की आवाज को दबाना चाहती है, लेकिन यह गिरफ्तारी किसानों की आवाज को और उग्र करने का काम करेगी।

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