किसान संगठनों ने शिवराज को कृषि मंत्री बनाने पर विरोध जताया
संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान जारी कर 6 जून 2017 को मंदसौर (मध्य प्रदेश) में 6 किसानों की हत्या के लिए जिम्मेदार शिवराज सिंह चौहान को केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय आवंटित करने के मामले में एनडीए सरकार के फैसले का कड़ा विरोध किया है। बयान के मुताबिक, “किसानों की हत्या तब की गई थी जब वे सी2+50 फीसद न्यूनतम समर्थन मूल्य, कर्ज़ माफी और किसानों की आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं के खिलाफ आंदोलन में भाग ले रहे थे। एनडीए सरकार का यह निर्णय 2014 और 2019 में पूर्ण बहुमत से बनी पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा प्रदर्शित अहंकार और असंवेदनशीलता का प्रतीक है। इसने पूरे देश में किसानों और ग्रामीण लोगों में रोष पैदा कर दिया है।”
बयान में इस पर भी चिंता जताई है कि, “एनडीए सरकार की पहली मंत्रीमंडल की बैठक में बढ़ते कृषि संकट और किसानों की आत्महत्या (भारत में प्रतिदिन 31 किसान आत्महत्या कर रहे हैं) को संबोधित करने और किसानों की लंबे समय से लंबित पड़ी मांगों जैसे कि सी2+50 फीसद की गारंटीकृत एमएसपी, व्यापक कर्ज़ माफी, बिजली के निजीकरण को निरस्त करना, उत्पादन की लागत में कमी लाना और सुनिश्चित बीमा एवं पेंशन के मामले में किसानों के हक़ में कोई निर्णय नहीं लिया गया है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की बकाया राशि 20,000 करोड़ रुपये जारी करने के नाम पर हो-हल्ला मचाया जा रहा है, जो कि पहले से चल रही एक योजना है जिस के तहत हर किसान परिवार को औसतन 500 रुपये प्रति माह की अपर्याप्त राशि दी जाती है। इससे किसानों को संतुष्ट होना नामुमकिन है क्योंकि खेतिहर किसान को लाभकारी एमएसपी देने की हुकूमत की अनिच्छा और कृषि क्षेत्र को कॉर्पोरेट के हवाले करने की नीतियों को भी छुपाता है।”
बयान में यह भी कह गया है कि, “इन निर्णयों से यह साफ हो जाता है कि एनडीए और भाजपा ने 159 ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्रों में अपनी हार से कोई सबक नहीं सीखा है, जिसमें 63 में से 60 सीटें अकेले भाजपा ने हारी है। किसानों को इस बात का कोई भ्रम नहीं है कि, कृषि में कॉर्पोरेट नीतियों में भाजपा कोई बदलाव करेगी। किसानों को मजदूरों, छोटे व्यापारियों और छोटे उत्पादकों के साथ हाथ मिलाकर पूरे भारत में व्यापक आंदोलनों के एक और दौर के लिए तैयार होना होगा। संयुक्त किसान मोर्चा जनता की विशाल एकता बनाते हुए, एनडीए सरकार पर दबाव बनाने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि आम लोगों के विकास के लिए सरकार की कॉर्पोरेट हित वाली नीतियों को बदला जा सके और नीतियों को किसान और मजदूर के हित में मोड़ा जा सके।”
इस संदर्भ में, संयुक्त किसान मोर्चा ने चुनाव के बाद के परिदृश्य का आकलन करने के लिए 10 जुलाई 2024 को नई दिल्ली में अपनी जनरल बॉडी बैठक तय की है। इस बैठक में देश भर से विभिन्न राज्यों के एसकेएम के घटक किसान संगठनों के नेता शामिल होंगे।
बयान में कहा गया है कि, “जनरल बॉडी में लाभकारी आय, उत्पादन की लागत में कमी, कर्ज़ माफी सहित ठोस मांगों पर भविष्य की कार्ययोजना पर विचार किया जाएगा। साथ ही कृषि के निगमीकरण की नीति के विपरीत, सामूहिक और सहकारी खेती, कृषि आधारित औद्योगीकरण एवं सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा समर्थित विपणन प्रणाली पर केन्द्रित वैकल्पिक नीति को लागू करवाने के लिए रूप-रेखा बनाई जाएगी।”
बयान में यह भी कहा गया है कि, “एसकेएम एक महिला सुरक्षाकर्मी द्वारा सांसद और फिल्म कलाकार कंगना रनौत को थप्पड़ मारने को उचित नहीं मानता है, लेकिन ऐतिहासिक किसान आन्दोलन के खिलाफ उनके अहंकारी और दुर्भावनापूर्ण बयानों की भी आलोचना करता है।”
बयान के मुताबिक, एसकेएम का एक प्रतिनिधिमंडल 13 जून 2024 को लखीमपुर खीरी के शहीदों के परिवारों से मुलाकात करेगा और उन किसानों को कानूनी सहायता देना जारी रखेगा जिन्हें भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने इस घटना के मामले में गलत तरीके से फंसाया है।
अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) ने भी मंगलवार को अलग से जारी एक बयान में शिवराज सिंह चौहान को कृषि मंत्री बनाए जाने की निंदा की है और उन्हें मध्य प्रदेश के मंदसौर की घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया है, जहां आंदोलन के दौरान पुलिस कार्रवाई में छह किसान मारे गए थे। बयान में किसान सभा ने ‘पीएम किसान निधि’ की 17वीं किस्त जारी करने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले को भी “आंखों में धूल झोंकने वाला” बताया और भाजपा-एनडीए पर 159 ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्रों में अपनी हार से सबक नहीं लेने का आरोप लगाया है।
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