वरिष्ठ नागरिकों को रेलवे किराये पर मिलने वाली छूट को सरकार ने राजस्व में कमी बताकर बंद किया: रेल मंत्री
सरकार ने रेलवे में वरिष्ठ नागरिकों (यानी सीनियर सिटीजन) को मिलने वाली एक और सरकारी मदद को बंद कर दिया है। दरअसल कोरोना से पहले रेलवे में 60 साल से पार के वरिष्ठ नागरिकों को टिकट में 50 फीसदी की छूट दी जाती थी। कोरोना के दौरान काफी लम्बे समय तक ट्रेनें रद्द रही। कोरोना की स्थिति में सुधार आने के बाद लगभग सभी ट्रेनें दुबारा चालू कर दी गयी। लेकिन कोरोना के बाद सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों और खिलाड़ियों को रेलवे टिकट में दी जाने वाली छूट को बंद कर दिया।
हाल ही में संसद का मानसून सत्र शुरू हुआ है। मानसून सत्र के दौरान 20 जुलाई को कोंग्रस के सांसद मोहम्मद फैजल पी.पी. और एंटो एन्टोनी ने वरिष्ठ नागरिकों के किराए में मिली छूट को बंद कर देने पर सवाल पूछा। इसका लिखित जवाब देते हुए रेल मंत्री अश्विन वैष्णव ने कहा है कि वरिष्ठ नागरिकों को छूट देने पर रेलवे के राजस्व में कमी आ रही थी। जिसके कारण इस छूट को बंद कर दिया गया है। साथ ही आने वाले समय में इस छूट को दोबारा से बहाल करने पर सरकार का कोई विचार नहीं है।
आगे सवाल का जवाब देते हुए रेल मंत्री अश्विन वैष्णव कहते हैं कि वरिष्ठ नागरिकों को टिकट में छूट को बंद किये जाने से पिछले 3 सालों में रेलवे के राजस्व में 4,794 करोड़ रुपये की कमी आयी है। इसमें वर्ष 2017-18 में रेलवे के राजस्व में 1,491 करोड़ रुपये की कमी हुई, वर्ष 2018-19 में 1,636 करोड़ रुपये और वर्ष 2019-20 में 1,667 करोड़ रुपये की कमी आयी है।
साल 2019 - 20 में करीब 6 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों ने रेल द्वारा आरक्षित श्रेणी में यात्रा की। हालांकि कोरोना के दौरान रेल से यात्रा करने वाले वरिष्ठ नागरिकों की संख्या में कमी आयी है। 2020-21 और 2021-22 के दौरान आरक्षित श्रेणियों में यात्रा करने वाले वरिष्ठ नागरिकों की संख्या 1.90 करोड और 5.55 करोड रही है। कोरोना महामारी को देखते हुए आने वाले समय में यात्रा करने वाले वरिष्ठ नागरिकों की संख्या में और भी कमी हो सकती है।
बड़ा सवाल यह है कि मोदी सरकार लगातार आम जनता की जेब पर हमला क्यों कर रही है ? सरकार हर तरफ से जनता के ऊपर आर्थिक बोझ लादने में लगी हुई है, जबकि बड़े-बड़े पूंजीपतियों की टैक्स में लगातार छूट दिए जा रही है। देश में आज महंगाई सबसे ज्यादा है। मंहगाई का सारा बोझ जनता के कंधों पर लाद दिया गया है।
साथ ही सरकार ने देश की लगभग सभी सार्वजानिक सम्पतियाँ निजी हाथो में दे दी है। जिसके कारण सरकारी नौकरियां कम हुई है, साथ ही सुविधाएं भी महंगाई होती जा रही है। इसका सीधा सा उदाहरण रेल विभाग है। रेलवे के प्राइवेट ट्रेनों में सफर करना एक आम आदमी के लिए बहुत ही मुश्किल है |
अब रेलवे में वरिष्ठ नागरिकों की छूट को ख़तम करना सरकार की मानसिकता को साफ जाहिर कर रहा है। करीब 6 करोड़ वरिष्ठ नागरिक हर साल रेल से यात्रा करते है, आम लोगों के लिए रेलवे, एक सस्ता सार्वजानिक विकल्प है। सरकार को छूट देकर या फिर सस्ते में लोगों को यह सुविधा मुहैया करनी चाहिए, ताकि देश के भीतर आर्थिक, सामाजिक आदि सभी तरह की गतिविधिया बढ़े लेकिन सरकार इसको अपनी आय का साधन बनाने में लगी हुई है जोकि आम लोगों के सामने समस्या पैदा कर रही है।
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