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गुरुग्राम: हथियारों से लैस भीड़ ने मस्जिद में की तोड़फोड़, नमाज़ियों से मार-पीट का भी आरोप

पुलिस ने इस मामले में दंगा, धार्मिक भावनाएं भड़काने, आपराधिक धमकी, हमले और गैरक़ानूनी रूप से जमा होने संबंधित धाराएं लगाई हैं। हालांकि, अभी तक किसी को गिरफ़्तार करने की कोई ख़बर सामने नहीं आई है।
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प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार : सोशल मीडिया

राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा के गुरुग्राम में एक बार फिर नमाज़ को लेकर विवाद सुर्खियों में है। खबरों के मुताबिक यहां एक गांव में नमाज़ के दौरान मस्जिद में भीड़ द्वारा तोड़-फोड़ करने और मुसलमानों को प्रताड़ित करने का मामला सामने आया है। पुलिस का कहना है कि उन्होंने इस मामले में 8-10 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिसमें दंगा, धार्मिक भावनाएं भड़काने, आपराधिक धमकी और हमले से संबंधित धाराएं लगाई गई हैं। हालांकि, अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है।

बता दें कि बीते साल गुरुग्राम में नमाज़ को लेकर बड़ा विवाद देखने को मिला था। हिंदूवादी समूहों ने ज़ोर-शोर से सार्वजनिक स्थानों पर नमाज़ बंद करने को लेकर हंगामा किया था। इससे पहले खुले में नमाज़ के ख़िलाफ़ प्रदर्शन साल 2018 में शुरू हुए थे। वार्ताओं के बाद मुसलमान समूह खुले में नमाज़ के स्थलों की संख्या को 108 से कम करके 37 करने पर राज़ी हो गए थे। हालांकि हर बार यहां का शासन-प्रशासन नमाज़ के मुद्दे पर धार्मिक रूप से विभाजित नज़र आता है।

क्या है पूरा मामला?

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, भोरा कलां गांव में बीते बुधवार, 12 अक्टूबर को एक मस्जिद में 200 से अधिक लोगों की हथियारों से लैस भीड़ ने घुसकर तोड़-फोड़ की और नमाज़ अदा कर रहे लोगों को भी पीटा। इसके साथ ही उन्होंने उनके परिवार को गांव से बाहर निकालने की धमकी भी दी। रिपोर्ट में मुस्लिम समुदाय के व्यक्तियों के हवाले से लिखा गया है कि मस्जिद की मरम्मत चल रही थी और इसी को लेकर हमला किया गया है।

भोरा कलां गांव में चार मुस्लिम परिवार रहते हैं और इस घटना की एफआईआर गांव के ही नज़र मोहम्मद नाम के एक पूर्व जवान ने करवाई है। नज़र मोहम्मद ने बताया कि घटना बुधवार रात की है लेकिन अभी तक इसमें किसी की गिरफ़्तारी नहीं हुई। उन्होंने बताया कि विवाद की शुरुआत बुधवार सुबह से हुई जब राजेश चौहान उर्फ बाबू, अनिल भदोरिया और संजय व्यास की अगुवाई में करीब 200 लोगों की भीड़ मस्जिद में घुसी थी और नमाज़ियों को धमकाया था।

नज़र मोहम्मद ने एक्सप्रेस को बताया, "बीते बुधवार को दो बार भीड़ मस्जिद में घुस आई थी। करीब 200 लोगों ने हमें घेर लिया था और हमारे धार्मिक स्थल में घुस गए थे। हमें गांव छोड़ने की धमकी दी गई। हर दिन हमें प्रताड़ित किया जा रहा है। जब हम नमाज पढ़ रहे थे तो कुछ लोगों ने हमला किया, जिसमें कुछ नमाजी घायल भी हुए हैं। उन्होंने वहां ताला भी लगा दिया था और उनके पास बंदूके थीं हमारी मांग है कि पुलिस हमें सुरक्षा मुहैया कराए।"

अंग्रेज़ी अख़बार 'द हिंदू' को एक पीड़ित ने बताया कि उन पर तब हमला हुआ जब वो दो अन्य बुज़ुर्गों के साथ नमाज़ पढ़ रहे थे। उन्होंने कहा कि युवाओं का समूह मस्जिद में घुसा और वहां मौजूद लोगों से मारपीट की। उन लोगों ने नारेबाज़ी की और नमाज़ हॉल बंद कर सभी को मस्जिद से बाहर कर दिया। उन्होंने वहां मौजूद लोगों को जान से मारने की भी धमकी दी।

पुलिस का क्या कहना है?

इस मामले के संबंध में पुलिस का कहना है कि जब तक वो घटनास्थल पर पहुंचे, मस्जिद में हंगामा करने वाले लोग वहां से भाग चुके थे। इस घटना के बाद इलाके में पुलिस तैनात की गई थी, ताकि कानून-व्यवस्था को बनाए रखा जाए। मानेसर के डिप्टी कमिश्नर मनबीर सिंह ने द हिंदू को बताया कि मस्जिद से एक मोबाइल फ़ोन बरामद हुआ है जो भीड़ में से ही किसी का है।

उन्होंने बताया कि इस मामले में धार्मिक भावनाएं भड़काने, दंगा भड़काने की कोशिश, आपराधिक धमकी और गैरकानूनी रूप से जमा होना, इन सब मामलों में आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में तीन लोगों को नामजद किया गया है और जांच की जा रही है।

वहीं एसीपी (पटौदी) हरिंदर कुमार ने मीडिया को इस मामले की जानकारी देते हुए कहा, "कुछ परिवारों ने मिलकर यहां अपनी एक छोटी मस्जिद बनाई थी, जिसके कारण दो समुदायों के बीच लड़ाई हुई थी। हमने स्थिति को नियंत्रित किया और प्राथमिकी दर्ज की है। इस केस में 8-10 आरोपी हैं, जो कि अभी फरार चल रहे हैं। हम दोनों समुदायों से बात कर रहे हैं और मामले को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं। कोई गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ है।"

गौरतलब है कि गुरुवार, 13 अक्तूबर को देर शाम इस मामले में समझौता की भी खबर सामने आई। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में गांव के बुजुर्गों के दखल के बाद दोनों समुदायों के बीच आपसी सहमति की बात कही जा रही है। वैसे गुरुग्राम के पटौदी के जिस इलाके में नमाज को लेकर विवाद हुआ है, वहां नमाज के लिए बाहरी लोगों के आने पर 2013 में भी बात बिगड़ी थी लेकिन बाद में प्रशासन ने समझौता करा दिया था। स्थानीय लोगों के मुताबिक मजार को मस्जिद के तौर पर विकसित करने की प्रक्रिया चलने लगी तो पटौदी एसडीएम के द्वारा समझौता कराया गया था।

बहरहाल, गुरुग्राम में नमाज़ को लेकर विवादों का सिलसिला पुराना है। गुरुग्राम मुस्लिम काउंसिल की मानें तो, गुरुग्राम शहर की परिकल्पना करने वाले नगर योजनाकारों ने 42 मंदिरों के लिए जगह दी और 18 गुरुद्वारों को जगह दी। लेकिन मस्जिदों के लिए पर्याप्त जगह नहीं दी गई। पांच साल पहले मुसलमानों की दो संस्थाओं ने धार्मिक कार्यों के लिए ज़मीन के प्लॉटों की नीलामी में हिस्सा लिया था, लेकिन वो प्लॉट नहीं ख़रीद सके थे। जिस वजह से मुसलमानों को यहां नमाज़ पढ़ने के लिए मस्जिदों में जगह नहीं मिल पाती और मज़बूरन उन्हें इसके लिए दूसरे ठिकानों की तलाश करनी पड़ती है, जिसके चलते वे अक्सर विवादों में उलझ जाते हैँ।

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