आईसीजे ने इज़राइल को गज़ा में नरसंहार रोकने का दिया आदेश
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) ने गज़ा में चल रहे युद्ध पर इज़राइल के ख़िलाफ़ दक्षिण अफ्रीका के अनुरोध को मानते हुए नरसंहार रोकने उपाय करने का फैसला सुनाया है। यह अनुरोध प्रिटोरिया द्वारा दायर एक आवेदन का हिस्सा है, जिसमें इज़राइल पर नरसंहार के अपराध की रोकथाम और सजा पर कन्वेंशन के तहत अपने दायित्वों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है।
26 जनवरी को जारी एक फैसले में, न्यायालय ने तय किया कि इस मामले पर उसका अधिकार है और इसलिए, मुकदमे को खारिज करने के इज़राइल के अनुरोध को खारिज कर दिया।
शुक्रवार के फैसले को पढ़ते हुए, न्यायाधीश जोन डोनोग्यू ने दोहराया कि प्रोविजनल/अनंतिम उपायों के अनुरोध के चरण में, अदालत को यह पता लगाने की जरूरत नहीं है कि नरसंहार कन्वेंशन के तहत इज़राइल ने दायित्वों का कोई उल्लंघन किया है या नहीं। लेकिन यह देखना है कि क्या जो शिकायत की गई है वह “दिखाई दे रही है” जो इसके प्रावधानों के अंतर्गत आती हैं।
आईसीजे के आदेश में कहा गया है कि, "अदालत के विचार में, दक्षिण अफ्रीका के मुताबिक इज़राइल ने गज़ा में जो हमले और कृत्य किए हैं वे कन्वेंशन के प्रावधानों के अंतर्गत आते हैं।"
न्यायालय ने यह भी माना कि गज़ा में रहे फ़िलीस्तीनियों का बड़ा हिसा कन्वेंशन के अनुच्छेद II के तहत संरक्षित समूह है, जो जारी नरसंहार को "एक राष्ट्रीय, जातीय समूह, नस्लीय या धार्मिक समूह को पूरी तरह या आंशिक रूप से नष्ट करने के इरादे से किए गए हमले" के रूप में परिभाषित करता है।”
“न्यायालय ने यह भी नोट किया कि 7 अक्टूबर 2023 के हमले के बाद इज़राइल ने जो सैन्य हमले किए हैं उसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में मौतें हुई हैं और लोग ज़ख़्मी हुए हैं, साथ ही घरों और संपत्ति का का बड़े पैमाने पर विनाश हुआ है, अधिकांश आबादी को विस्थापन झेलना पड़ा और नागरिक बुनियादी ढांचे को नुकसान झेलना पड़ा है।”
डोनाघ्यू ने संयुक्त राष्ट्र के मानवतावादी प्रमुख, मार्टिन ग्रिफिथ्स के बयानों का हवाला दिया, जिन्होंने 5 जनवरी को कहा था कि गज़ा "मौत और निराशा की जगह बन गया है", और लोग रोजाना "अपने अस्तित्व के खतरे" को झेल रहे हैं। उन्होंने डब्ल्यूएचओ के बयानों का हवाला देते हुए, निकट पूर्व में फ़िलिस्तीन शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) के प्रमुख फिलिप लाज़ारिनी के बयानों का भी हवाला दिया, जिन्होंने 13 जनवरी को कहा था कि "वक़्त तेजी से अकाल की ओर बढ़ रहा है।"
न्यायालय ने फ़िलिस्तीनी लोगों के नरसंहार से बचने और सुरक्षा के अधिकार को मान्यता दी है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि आईसीजे ने वरिष्ठ इज़रायली अधिकारियों द्वारा दिए गए उन बयानों पर ध्यान दिया – जिन्हे प्रिटोरिया ने नरसंहार करने के इरादे के सबूत के रूप में पेश किया था।
डोनाघ्यू ने इजरायली रक्षा मंत्री योव गैलेंट की "गज़ा की पूर्ण घेराबंदी", फिलीस्तीनियों को "मानव जानवर" के रूप में संदर्भित करने और "सब कुछ खत्म करने" के उनके आह्वान को प्रमुखता से पढ़ा। इज़रायली राष्ट्रपति इसहाक हर्ज़ोग की टिप्पणी का भी उल्लेख किया गया जिसमें कहा गया था कि "एक पूरा राष्ट्र जिम्मेदार है" और "हम तब तक लड़ेंगे जब तक हम उनकी रीढ़ नहीं तोड़ देते।"
यह देखते हुए कि गज़ा पट्टी में इजरायल के सैन्य अभियान जारी थे। इजरायल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा था कि युद्ध में अभी "कई और महीने" लगेंगे - ऐसे समय में जब फ़िलिस्तीनियों के पास भोजन, पानी, बिजली, दवाएं या हीटिंग की सुविधा नहीं पहुंच पा रही थी। साथ ही यह संकेत है कि मातृ और नवजात मृत्यु दर में वृद्धि होने की उम्मीद है- न्यायालय ने कहा कि "अदालत अपना अंतिम निर्णय सुनाए इससे पहले गाजा पट्टी में विनाशकारी मानवीय हालात और भी खराब होने का गंभीर खतरा है।"
न्यायालय ने आगे कहा कि गज़ा में हालात को संभालने करने के लिए इज़राइल ने जो कदम उठाए और उसके अटॉर्नी जनरल की टिप्पणी कि नागरिकों को जानबूझकर नुकसान पहुंचाने का आह्वान किया जाना जैसे उकसावे को अपराध मानना, अपर्याप्त है।
अदालत का मानना है कि मुक़दमे पर अंतिम निर्णय लंबित रखना जरूरी है। क्योंकि "इस बात का वास्तविक और खतरा है कि न्यायालय द्वारा प्रशंसनीय पाए गए अधिकारों पर अपूरणीय पूर्वाग्रह पैदा होगा... अदालत ने माना कि इसलिए यह शर्त जरूरी है कि अंतिम निर्णय से पहले प्रोविजनल/अनंतिम उपाय पूरे हों।”
दक्षिण अफ्रीका ने जिस पहले प्रोविजनल उपाय की मांग की उसमें गज़ा में इजरायल के सैन्य हमलों को तत्काल निलंबित करना था। 25 जनवरी को, हमास ने यह भी कहा था कि अगर आईसीजे ने आदेश दिया तो वह युद्धविराम का पालन करेगा, जब तक कि इज़राइल भी ऐसा ही करता है।
आईसीजे ने अपने आदेश में इस अनुरोध का कोई उल्लेख नहीं किया जैसा कि पर्यवेक्षकों ने रेखांकित किया है, सैन्य कार्रवाई, युद्धविराम, या आत्मरक्षा के प्रश्न पर चर्चा नहीं की गई थी - 2004 में अपनी सलाहकार राय में, आईसीजे ने निर्धारित किया था कि इज़राइल ऐसा नहीं उस क्षेत्र के संबंध में अधिकार का दावा नहीं कर सकता है जिस पर उसने कब्जा किया हुआ है।
हालांकि, इसने कई प्रोविजनल/अनंतिम उपायों का संकेत दिया है जिनमें से प्रत्येक को 17-न्यायाधीश का भारी बहुमत मिला है, जो प्रभावी रूप से बाध्यकारी है और जिस राष्ट्र को वे संबोधित हैं, उस पर "अंतर्राष्ट्रीय कानूनी दायित्व" डालते हैं - इस मामले मे, यह इजराइल है।
सबसे पहले, 2 के मुकाबले 15 वोटों से, इज़राइल को "कन्वेंशन के दायरे में आने वाले सभी कृत्यों को रोकने के लिए अपनी शक्तियों के भीतर सभी उपाय करने होंगे।" इन कृत्यों में शामिल हैं 1) समूह के सदस्यों की हत्या करना, 2) गंभीर शारीरिक या मानसिक क्षति पहुंचाना" और 3) जानबूझकर समूह के जीवन की ऐसी स्थितियों को भड़काना जो समूह के संपूर्ण या आंशिक रूप से भौतिक विनाश को अंजाम देने के लिए बनाई गई हों और 4) ऐसे उपाय करना जो समूह के भीतर जन्म देने से रोकें।
दूसरा, जिसे 15 वोट मिले में कहा गया कि, इज़राइल तत्काल प्रभाव से यह सुनिश्चित करेगा कि उसकी सेना बिंदु 1 में वर्णित कोई भी कार्य नहीं करेगी। 16 बनाम 1 वोट में कहा गया कि, इज़राइल प्रत्यक्ष और सार्वजनिक उकसावे को रोकने और गज़ा में फिलिस्तीनियों के संबंध में नरसंहार करने या दंडित करने से बचने अपनी शक्ति के भीतर सभी उपाय करेगा।
चौथा, 16 वोटों के आदेश में यह पाया गया कि, इज़राइल को गज़ा में "जीवन की प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटने के लिए तत्काल आवश्यक बुनियादी सेवाओं और मानवीय सहायता के प्रावधान को सुनिश्चित करने के लिए तत्काल और प्रभावी उपाय करने होंगे।” 15 बनाम दो वोटों से दिए गए निर्णय में, इज़राइल को नरसंहार कन्वेंशन के तहत आरोपों से संबंधित "विनाश को रोकने और सबूतों के संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी उपाय" भी करने होंगे। अपने आवेदन में, दक्षिण अफ्रीका ने यह भी अनुरोध किया था कि इज़राइल "उक्त साक्ष्यों के संरक्षण और प्रतिधारण को सुनिश्चित करने में सहायता करने के लिए तथ्य-खोज मिशनों, अंतर्राष्ट्रीय जनादेशों और अन्य निकायों द्वारा गाजा तक पहुंच से इनकार करने या अन्यथा प्रतिबंधित करने के लिए कार्य नहीं करेगा।"
अंत में, इज़राइल को आदेश की तारीख (26 जनवरी) से एक महीने के भीतर "इस आदेश को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए किए गए सभी उपायों" पर आईसीजे को एक रिपोर्ट जमा करनी होगी। इसे पक्ष में 15 वोटों से मंजूरी दे दी गई।
आईसीजे के क़ानून के तहत, यह अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को आदेशित अनंतिम उपायों के बारे में सूचित करेगा। यह देखते हुए कि न्यायालय के पास प्रवर्तन तंत्र का अभाव है, इन उपायों को कैसे लागू किया जाएगा, इस पर सवाल खड़े हुए हैं।
प्रधान मंत्री नेतन्याहू ने नरसंहार के आरोप को "झूठा" और "अपमानजनक" बताते हुए शुक्रवार के फैसले का जवाब दिया, और कहा कि "इज़राइल हमास के खिलाफ अपना बचाव करना जारी रखेगा।"
हमास के वरिष्ठ अधिकारी, सामी अबू ज़हरी ने रॉयटर्स को बताया कि यह फैसला एक "महत्वपूर्ण घटना है जो गज़ा में कब्जे को अलग करने और उसके अपराधों को उजागर करने में योगदान देता है।" हम अदालत के फैसले को लागू करने के लिए इयाराइल को मजबूर करने का आह्वान करते हैं।
फ़िलिस्तीनी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि यह फैसला "इजरायल की आपराधिकता और दंडमुक्ति की गहरी संस्कृति को तोड़ता है, जो फ़िलिस्तीन में उसके दशकों से चले आ रहे कब्जे, बेदखली, उत्पीड़न और रंगभेद की विशेषता रही है...सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे इस नरसंहार में शामिल नहीं हों...यह अब एक बाध्यकारी कानूनी दायित्व है।”
न्यायालय के फैसले से नरसंहार कन्वेंशन के प्रति अन्य देशों के दायित्वों पर महत्वपूर्ण सवाल उठेंगे।
जैसा कि दक्षिण अफ्रीका ने शुक्रवार को अपने बयान में कहा था कि, “अब अन्य देश गज़ा में फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ नरसंहार के गंभीर खतरे के अस्तित्व पर ध्यान दे रहे हैं। इसलिए, उन्हें इज़राइल द्वारा नरसंहार को रोकने के लिए स्वतंत्र रूप से और तुरंत कार्य करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे स्वयं नरसंहार कन्वेन्शन का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं, जिसमें नरसंहार रोकने में सहायता करना या सहायता करना भी शामिल है।
"यह आवश्यक रूप से सभी देशों पर इसराइल की सैन्य कार्रवाइयों को वित्त पोषण और सुविधा प्रदान करना बंद करने का दायित्व डालता है, जो संभवतः नरसंहारक हैं।"
इसमें आगे चेतावनी दी गई है कि "(सुरक्षा परिषद में) अलग-अलग देशों द्वारा उपयोग की जाने वाली वीटो शक्ति को अंतरराष्ट्रीय न्याय को विफल करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, कम से कम नरसंहार के उल्लंघन में इज़राइल के कृत्यों और चूक के कारण गज़ा में लगातार बिगड़ती स्थिति की रोशनी में ऐसा नहीं होने दिया जाएगा।"
सौजन्य: पीपल्स डिस्पैच
मूल अंग्रेजी लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
ICJ Upholds South Africa’s Case Against Israel, Orders Measures to Prevent Genocide in Gaza
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