जामिया को लेकर वीडियो वार : जेसीसी ने कहा- हाथ में पत्थर नहीं, पर्स है
बीते 15 दिसंबर, 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया हिंसा मामले में कुछ नए वीडियो सामने आये हैं। इन वीडियो में साफ दिखा रहा है कि पुस्तकालय के अंदर अर्धसैनिक बलों के द्वारा किस तरह की क्रूरता और बर्बरता की गई थी। यह विश्वविद्यालय कैंपस में अभूतपूर्व हिंसा थी जिसमें कई छात्रों को गंभीर रूप से चोटें आई। हिंसा की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एलएलएम के एक छात्र ने अपनी बाईं आंख खो दी।
वीडियो ने दिखाया कि सशस्त्र बलों के जवानों ने एम फिल / पीएचडी अनुभाग में पुस्तकालय का दरवाजा तोड़ दिया। इसके बाद छात्रों ने अपनी जान बचाने के लिए उनके आगे हाथ जोड़कर विनती की, हालांकि जवानों पर इसका कोई असर नहीं हुआ। उन्होंने छात्रों की अंधाधुंध पिटाई शुरू कर दी। एक छात्र के सिर पर वार करते हुए देखा जा सकता है। दिलचस्प बात यह है कि जवनों को मारपीट के बाद सीसीटीवी कैमरों को नष्ट करते हुए भी देखा जा सकता है।
जामिया के एमबीए की छात्रा निला खान ने कहा कि जब इमारत के बाहर हंगामा हो रहा था तो वे नई लाइब्रेरी में पढ़ रही थीं। बाद में, उन्हें दिखाई दिया कि छात्रों को ग्राउंड फ्लोर पर पीटा जा रहा हा। उन्होंने कहा, "चूंकि 15 दिसंबर रविवार था, हर विभाग बंद था। कई छात्र परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे। अचानक, हमने उन छात्रों की चीखें सुनीं, जिनकी पिटाई हो रही थी। डर के कारण, कुछ छात्र पहली मंजिल पर भाग गए। अपनी जान बचाने के लिए। छात्रों की पिटाई करते हुए, वे (पुलिस बल) लगातार सांप्रदायिक गालियां दे रहे थे। तुम पाकिस्तान क्यों नहीं जाते। तुम्हे आजादी चाहिए, ये लो आजादी ।
इस दृश्य को देखने के बाद हम दौड़े। हमारे जीवन के लिए यह सबसे भयानक दृश्य था।” चेहरा ढंकने पर दिल्ली पुलिस के आरोपों पर टिप्पणी करते हुए खान ने कहा, " पुलिस ने शाम 5:30 बजे से परिसर में आंसू गैस के गोले दागने शुरू कर दिए थे। परिसर पूरी तरह से धुएं से भरा हुआ था। इसलिए, पुलिस अधिकारियों सहित अधिकांश लोगों ने भी अपने मुंह को रूमाल से ढक रखा था। यह सब जानते हैं कि अगर आंसू गैस सांस के जरिये अंदर प्रवेश करती है, तो इससे आप को बहुत परेशानी होती है। यही कारण है कि हमने अपने चेहरे को ढँक लिया।”
लाइब्रेरी के एमफिल / पीएचडी अनुभाग में उपस्थित एक अन्य छात्र एमडी मुस्तफा ने अपने अनुभव बताए। उन्होंने कहा, "पुलिस बल द्वारा अन्य छात्रों को बेरहमी से पीटे जाने के बाद वे घबरा गए थे। इसलिए, हमने दरवाजे को टेबल से बंद करने का फैसला किया, लेकिन पुलिस ने आखिरकार प्रवेश किया और छात्रों को पीटा। छात्रों को ग्राउंड फ्लोर पर लाया गया। फिर से पीटा गया। मेरे दोनों हाथ फ्रैक्चर हो गए। मुझे लगभग 7 बजे हिरासत में लिया गया। मैंने अधिकारियों से कहा कि मुझे बहुत दर्द हो रहा है, लेकिन वे मुझे ट्रामा सेंटर में रात के 3 बजे ले गए।
पुलिस बर्बरता के वीडियो के सामने आने के बाद दिल्ली पुलिस ने भी एक वीडियो जारी किया जिसमे कहा गया की लाइब्रेरी में उपद्रवी गुस्से थे और वो उन पर काबू पाने के लिए अंदर घुसी थी। इस वीडियो के आधार पर तथाकथित मुख्यधारा के समाचार पत्रों और चैनलों ने खबर जारी की और कहा छात्रों के हाथ में पत्थर थे। इसके बाद जामिया की समवन्य समिति ने एक अन्य वीडियो को जारी करते हुए स्पष्ट किया की जिस छात्र के हाथ में पत्थर बताया जा रहा है उसके हाथ में पर्स है।
जामिया समवन्य समिति ने कहा- "मीडिया के कुछ बंधु सच को बिना जाने ये न्यूज़ चला रहे है कि लाइब्रेरी के अंदर इस स्टूडेंट के हाथ में पत्थर है जबकि आप गौर से देखेंगे तो आपको नज़र आयेगा की इस स्टूडेंट्स के हाथ मे पत्थर नही बल्कि पर्स है जो कि बीच मे खुला भी है। लाइब्रेरी में पढ़ने वाले अक्सर स्टूडेंट अपने पीछे के पॉकेट में पड़े पर्स की पढ़ते वक्त टेबल पे निकाल कर रख देते है ताकि चेयर पे बैठने में कोई परेशानी न हो और आराम से बैठ कर पढ़ाई कर सकें। मीडिया के उस सेक्शन जो सच को जाने बिना स्टूडेंट के हाथ मे पर्स के जगह पत्थर दिखा है, घोर निंदनीय है।”
पुलिस ने बताया कि वह 15 दिसंबर की इस घटना की अपनी जांच के तहत इस वीडियो को और कुछ घंटे बाद सामने आये अन्य दो वीडियो की जांच करेगी।
जामिया समन्वय समिति ने सीसीटीवी फुटेज प्रतीत हो रहे 48 सेकेंड का यह वीडिया जारी किया है जिसमें कथित तौर पर अर्द्धसैनिक बल और पुलिस के करीब सात-आठ कर्मी ओल्ड रीडिंग हॉल में प्रवेश करते और छात्रों को लाठियों से पीटते दिख रहे हैं। ये कर्मी रूमाल से अपने चेहरे ढंके हुए भी नजर आ रहे हैं।
विशेष पुलिस आयुक्त (खुफिया विभाग) प्रवीर रंजन ने कहा कि यह वीडियो पुलिस के संज्ञान में आया है और वह वर्तमान जांच प्रक्रिया के तहत उसकी भी जांच करेगी।
सूत्रों ने बताया कि जेसीसी ने बस 48 सेंकेंड का वीडिया जारी किया किया है जिसमें इस प्रकरण का बस एक ही पक्ष दिखाया गया था।
उसने (जेसीसी) दूसरे वीडियो नहीं दिखाये जिनमें दंगाई परिसर में दाखिल होते हुए नजर आ रहे हैं और कुछ अन्य उन्हें पुलिस से बचा रहे हैं।
पांच मिनट 25 सेंकेंड के दूसरे क्लिप में लोग हड़बड़ी में विश्वविद्यालय के पुस्तकाल में प्रवेश करते हुए कथित रूप से नजर आ रहे हैं। कुछ ने अपने चेहरे ढंके हुए हैं। जब ये सभी पुस्तकालय में दाखिल हो जाते हैं तो तब वहां मौजूद लोग मेजों और कुर्सियों से मुख्य द्वार जाम करते हुए देखे जा सकते हैं। इसमें इस घटना के समय और तारीख का ब्योरा नहीं है।
दो मिनट 13 सेकेंडे के तीसरे वीडियो में चेहरे ढंके हुए कुछ लोग बीच सड़क पर नजर आते हैं । कम से कम दो के हाथों में पत्थर बताए जाते हैं। यह फुटेज 15 दिसंबर के छह बजकर चार मिनट का है।
पहला वीडियो जामिया समन्वय समिति (जेएमसी) ने जारी किया है। यह जामिया मिल्लिया इस्लामिया के वर्तमान और पूर्व छात्रों का संगठन है जिसे 15 दिसंबर को कथित पुलिस बर्बरता के बाद गठित किया गया था।
Police barbarity on it's peak. Police tried to break the CCTV too.
Via- @MaktoobMedia #JamiaViolence #JamiaCCTV #ShameonDelhiPolice pic.twitter.com/dRucOJoEs3— Jamia Coordination Committee (@Jamia_JCC) February 17, 2020
हालांकि विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया है कि पहला वीडियो उसने जारी नहीं किया है। विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी अहमद अजीम ने कहा, ‘‘हमारे संज्ञान में आया है कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया के डॉ. जाकिर हुसैन पुस्तकालय में पुलिस बर्बरता के बारे में कोई वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहा है। यह स्पष्ट किया जाता है कि इस वीडियो को विश्वविद्यालय ने जारी नहीं किया है।’’
जनसंपर्क अधिकारी के अनुसार जेसीसी विश्वविद्यालय के गेट नंबर सात के बाहर मौलाना मोहम्मद अली जौहर रोड पर संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ आंदोलन चला रही है।
अजीम ने कहा, ‘‘ यह स्पष्ट किया जाता है कि जेसीसी विश्वविद्यालय का कोई आधिकारिक निकाय नहीं है। जेसीसी के साथ किसी भी संवाद को विश्वविद्यालय के साथ संवाद नहीं समझा जाए।’’
Another CCTV Footage of Reading hall.
Via - @MaktoobMedia#ShameonDelhiPolice #JamiaCCTV #JamiaViolence pic.twitter.com/2Gc54P7qOt— Jamia Coordination Committee (@Jamia_JCC) February 17, 2020
विश्वविद्यालय 15 जनवरी को उस वक्त युद्ध क्षेत्र में तब्दील हो गया था, जब पुलिस उन बाहरी लोगों की तलाश में विश्वविद्यालय परिसर में घुस गयी थी, जिन्होंने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान इस शैक्षणिक संस्थान से कुछ ही दूरी पर हिंसा और आगजनी की थी।
विश्वविद्यालय के विधि के एक छात्र ने आरोप लगाया था कि पुलिस कार्रवाई में उसकी एक आंख की रोशनी चली गई।
जामिया समन्वय समिति ने कहा कि उसे यह वीडियो “गुमनाम” स्रोत से प्राप्त हुआ है।
उसने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय ने लाइब्रेरी में पुलिस की कार्रवाई का वीडियो राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के साथ साझा किया है, जो इस प्रकरण की जांच कर रहा है।
ट्विटर पर वीडियो साझा करते हुए कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा,‘‘...इस वीडियो को देखने के बाद जामिया में हुई हिंसा को लेकर अगर किसी पर एक्शन नहीं लिया जाता है तो सरकार की नीयत पूरी तरह से देश के सामने आ जाएगी।’’
उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और दिल्ली पुलिस पर यह “झूठ’’ बोलने का भी आरोप लगाया कि पुस्तकालय के भीतर जामिया के छात्रों की पिटाई नहीं की गई थी।
उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘‘देखिए कैसे दिल्ली पुलिस पुस्तकालय में छात्रों को अंधाधुंध पीट रही है। एक लड़का किताब दिखा रहा है लेकिन पुलिसकर्मी लाठियां चलाए जा रहे हैं।’’
देखिए कैसे दिल्ली पुलिस पढ़ने वाले छात्रों को अंधाधुंध पीट रही है। एक लड़का किताब दिखा रहा है लेकिन पुलिस वाला लाठियां चलाए जा रहा है।
गृह मंत्री और दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने झूठ बोला कि उन्होंने लाइब्रेरी में घुस कर किसी को नहीं पीटा।..1/2 pic.twitter.com/vusHAGyWLh
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) February 16, 2020
उन्होंने लिखा, ‘‘गृह मंत्री और दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने झूठ बोला कि पुस्तकालय में किसी को नहीं पीटा गया।’’
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि पुलिस की कार्रवाई, “अत्यधिक अविवेकपूर्ण’’ और “अस्वीकार्य” है।
येचुरी ने ट्वीट किया, “विश्वविद्यालयों में छात्रों पर पुलिस कार्रवाई का अमित शाह द्वारा किया गया हर बचाव गलत, भ्रामक और राजनीति से प्रेरित है। दिल्ली पुलिस मोदी-शाह के अधीन है और वे लाइब्रेरी में पढ़ रहे छात्रों से इस तरह से पेश आते हैं। शर्मनाक है।”
This is unconscionable & unacceptable. Every defence of police action on students in universities, offered by Amit Shah, is untrue, misleading & politically motivated. Delhi police comes directly under Modi-Shah & this is how it treats young students studying in a library. Shame. https://t.co/SQYxFVeSDp
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) February 16, 2020
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ ने भी विश्वविद्यालय में बल प्रयोग को लेकर दिल्ली पुलिस की आलोचना की और उन पर पांच जनवरी को जेएनयू परिसर में आतंकवादियों को घुसाने का आरोप लगाया।
(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ )
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