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एनआईआईएसटी ने बायोमेडिकल कचरे के निपटारे का अभिनव समाधान विकसित किया

एनआईआईएसटी का कहना है कि इस तकनीक को अपनाकर अत्यंत प्रभावी तरीके से बड़े पैमाने पर संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है।
NIIST
प्रतीकात्मक तस्वीर। PTI

नयी दिल्ली: रोगजनक बायोमेडिकल कचरे के निपटारे में एक अनूठे प्रयास को गति देने के उद्देश्य से तिरुवनंतपुरम स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर इंटरडिसिप्लिनरी साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एनआईआईएसटी) ने एक अभिनव समाधान विकसित किया है जिससे इस कचरे को मिट्टी में मिलाने योग्य पदार्थ में बदलकर उसका सुरक्षित और टिकाऊ प्रबंधन किया जा सकता है।

एनआईआईएसटी का कहना है कि इस तकनीक को अपनाकर अत्यंत प्रभावी तरीके से बड़े पैमाने पर संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है।

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की एकमात्र अंतःविषय अनुसंधान प्रयोगशाला एनआईआईएसटी की बायोमेडिकल कचरे के निष्पादन की यह प्रौद्योगिकी, नवीन एवं उपयोगिता-संचालित प्रौद्योगिकियों की श्रृंखला में से एक है जिन्हें भारत मंडपम में मंगलवार से शुरू हुए दो दिवसीय सीएसआईआर स्थापना दिवस समारोह में पेश किया गया।

एनआईआईएसटी द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में वर्ष 2020 में प्रतिदिन 770 टन से अधिक अनुमानित मेडिकल कचरा निकला ।

कोविड-19 महामारी के फैलने के परिणामस्वरूप देश में खतरनाक बायोमेडिकल कचरे की मात्रा में भारी वृद्धि हुई। विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्ल्यूएचओ) ने संक्रमण के अनियंत्रित प्रसार को रोकने के लिए ऐसे कचरे के प्रबंधन और निपटारे के लिए कुशल तरीकों के विकास करने का आह्वान किया था। 

एनआईआईएसटी ने मूत्र, लार और रक्त, बैक्टीरिया, रूई, ऊतक, , सुई और सीरिंज सहित तरल एवं ठोस जैव चिकित्सा कचरे दोनों के सहज रूप से होने वाले और तात्कालिक कीटाणुशोधन के लिए एक दोहरी कीटाणुशोधन-ठोसीकृत प्रणाली विकसित की है। प्रयोगशाला की यह अग्रणी प्रणाली सड़ने योग्य कचरे को मिट्टी में मिलाने वाले पदार्थों में बदल देती है, जबकि इसमें डिस्पोजेबल वस्तुओं को सीधे रीसाइक्लिंग के लिए अलग कर दिया जाता है।

इस तरह का कीटाणुरहित मेडिकल कचरे का पृथक्करण, परिवहन और निपटान स्वास्थ्य सुविधा की लागत में उल्लेखनीय कमी के साथ आसान और सुरक्षित है और रेड-बैगिंग (मेडिकल कचरे को रखने की एक विधि) की तुलना में कम महंगा है।

एनआईआईएसटी ने इस प्रक्रिया के लिए तीन प्रकार के पेटेंट दाखिल किए हैं जो न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप के साथ रोगजनक बायोमेडिकल कचरे का प्रबंधन करते हैं और उसे कीटाणुरहित तथा ठोस बनाते हैं।

समारोह में अन्य प्रौद्योगिकियों के अलावा वीगेन चमड़े ने सबका ध्यान आकर्षित किया जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी लोकप्रिय हो रहा है। विगेन चमड़े से बने बैग, बेल्ट और जैकेट समान्य चमड़े की तुलना में 50 फीसदी तक सस्ते हैं और इनका निर्माण कैक्टस से किया गया है। यह उत्पाद पारंपरिक चमड़े से बने उत्पादों की तरह मजबूत और लंबा टिकने वाले हैं।

सीएसआईआर- एनआईआईएसटी के निदेशक डॉ. सी. आनंदरामकृष्णन ने पीटीआई-भाषा से कहा,''बायोमेडिकल कचरे का उचित निपटान बेहद आवश्यक है और अस्पतालों पर इस कचरे को लेकर बहुत दबाव है। हमारी प्रौद्योगिकी के साथ अस्पतालों से बायोमेडिकल कचरे को एकत्रित कर इसे मिट्टी जैसे उत्पाद में बदला जा सकता है। इस मिट्टी का उपयोग समान्य मिट्टी की तरह किया जा सकता है जिसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है।''

वीगेन लेदर पर पूछे गए एक सवाल पर निदेशक ने कहा,'' यह प्रौद्योगिकी देश के उन इलाकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण जहां कम बारिश होती है। किसान अपने खेतों में कैक्टस लगा सकते हैं जिससे आसानी से वीगेन चमड़ा बनाया जा सकता है। यह प्रौद्योगिकी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए बेहद कारगर साबित होगी जो रोजगार के साथ पार्यावरण को भी लाभ पहुंचाएगी।

सीएसआईआर स्थापना दिवस समारोह में देश भर की विभिन्न सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के 40 मंडप शामिल होंगे और यह समारोह 27 सितंबर 2023 को समाप्त होगा।

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