पंजाब: न्यूज़क्लिक और स्वतंत्र पत्रकारिता को किसान-मज़दूर समेत कई संगठनों का समर्थन
न्यूज़क्लिक और उसके साथ जुड़े कई पत्रकारों के ख़िलाफ़ दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के विरोध में पंजाब के किसान, मज़दूर, विद्यार्थी, मानवाधिकार और सांस्कृतिक संगठनों ने आवाज़ बुलंद करते हुए इसे 'लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला' करार दिया। पंजाब में कई जगह केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस के ख़िलाफ़ प्रदर्शन भी हुए।
स्वतंत्र पत्रकारिता के पक्ष में किसान संगठन
संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल किसान संगठनों का कहना है कि न्यूज़क्लिक जैसे मीडिया संस्थान जिन्होंने किसान आंदोलन और सीएए-एनआरसी जैसे मुद्दों को निष्पक्ष ढंग से कवर किया, उन्हें उनकी निष्पक्ष और सत्ता से सवाल करने वाली पत्रकारिता के कारण झूठे आरोप लगाकर बदनाम और परेशान किया जा रहा है।
पंजाब के सबसे बड़े किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन (एकता-उगराहां) के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां न्यूज़क्लिक मामले पर कहते हैं, “न्यूज़क्लिक से जुड़े पत्रकारों और स्टाफ पर की गई यह कार्रवाई केंद्र सरकार के फासीवादी हमले का अगला क़दम है। न्यूज़क्लिक पर कार्रवाई करके मोदी सरकार एक तरह से किसान संघर्ष की निष्पक्ष कवरेज करने वाले पत्रकारों को निशाना बना रही है और इसे चीन के साथ जोड़ कर इस तरह पेश कर रही है जैसे किसान संघर्ष के पीछे किसी विदेशी ताकत का हाथ हो। यह लोक-आवाज़ और संघर्षों को दबाने की नीति है। किसानों समेत सभी जनवादी लोगों को इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठानी चाहिए।”
पंजाब के एक और प्रभावशाली किसान संगठन 'किरती किसान यूनियन' ने SYL मुद्दे और न्यूज़क्लिक पर पड़े छापों के विरोध में पंजाब भर में प्रदर्शन किए जिनमें किसानों के अलावा अन्य लोगों ने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।
'किरती किसान यूनियन' के महासचिव महासचिव राजिंदर सिंह दीप सिंहवाला ने इस मुद्दे पर अपने विचार साझे करते हुए हमें बताया, “यदि मोदी सरकार को न्यूज़क्लिक के काम से कोई दिक्कत थी वह अपने ‘गोदी मीडिया’ के ज़रिए काउंटर कर सकती थी पर मोदी सरकार को संवाद, अभिव्यक्ति की आज़ादी में विश्वास नहीं है। इसलिए सरकार यही कर सकती थी। हम मांग करते हैं कि मीडिया संस्थान और पत्रकारों के ख़िलाफ़ यूएपीए के तहत दर्ज किए केस रद्द किए जाएं। एफआईआर में ऐतिहासिक किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए मनगढंत कहानी गढ़ी है। यह सरकार विरोधी आवाज़ों को लंबे समय से दबाने की नीति का ही हिस्सा है।”
छात्रों-नौजवानों ने किया समर्थन
पंजाब में अन्य वर्गों के साथ नौजवानों और छात्रों ने भी इस कार्रवाई पर विरोध जताया है। नौजवान भारत सभा (ललकार), स्टूडेंटस फॉर सोसाइटी, पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन, पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन (शहीद रंधावा), पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन (ललकार), नौजवान भारत सभा आदि नौजवान और छात्र संगठनों ने पंजाब भर में प्रदर्शन किये। बठिंडा, फाजिल्का, फरीदकोट, चंडीगढ़, पटियाला, अमृतसर, मोगा, बरनाला, मुक्तसर, संगरूर आदि जिलों में प्रभावशाली प्रदर्शन हुए जिनमें युवाओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।
स्टूडेंट्स फॉर सोसाइटी के अध्यक्ष संदीप ने हमसे बात करते हुए कहा, “ये हमले लोकतांत्रिक आवाज़ों को केंद्र सरकार द्वारा दबाने की नीति का हिस्सा है। अब केंद्र की हुकूमत को सवाल करने वाले लेखकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों को कभी पुलिस द्वारा, कभी एन.आई.ए. के छापों द्वारा लगातार तंग-परेशान किया जा रहा है। यह सरकार 24 का चुनाव जीतने के लिए माओवाद, लेफ्ट-आतंकवाद और चीन जैसे नेरिटिव खड़े कर रही है।”
इसके अलावा पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन (ललकार) के महासचिव अमनदीप सिंह भी न्यूज़क्लिक और पत्रकारों पर की गई कार्रवाई को दमनकारी बताते हुए इसे बोलने की आज़ादी पर हमला बताया।
सांस्कृतिक और साहित्यिक संगठनों ने बुलंद की आवाज़
पंजाब के सांस्कृतिक और साहित्यिक संगठनों ने भी पत्रकारों की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की है। पंजाबी लेखकों के दो बड़े संगठनों ‘केंद्रीय पंजाबी लेखक सभा’ और ‘प्रगतिशील लेखक संघ, पंजाब’ ने भी इस पर अपना रोष प्रकट किया है।
‘केंद्रीय पंजाबी लेखक सभा’ के महासचिव डॉ. सुखदेव सिंह सिरसा अपनी भावनाओं को प्रकट करते हुए कहते हैं, “इस बात से यह स्पष्ट है कि मोदी सरकार बहुत दबाव में है, डरी हुई है। वह अपने ख़िलाफ़ उठने वाली किसी भी आवाज़ को सहन नहीं कर सकती। इसीलिए ईमानदार और निडर पत्रकारों, बुद्धिजीवियों और कार्यकर्ताओं को परेशान कर रही है। मैं चाहता हूं कि हमारे लेखकों को भी सिर्फ निंदा करने वाले बयानों तक सीमत न रह कर अपने डर और लालसाओं को त्याग कर न्यूज़क्लिक जैसे मीडिया संस्थानों और सत्ता को सवाल करने वाले पत्रकारों, बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ खड़े होकर बड़े स्तर पर रोष प्रदर्शन करने चाहिए।”
पंजाब के पड़ोसी राज्य हरियाणा के ‘जन संघर्ष मंच हरियाणा’ ने भी न्यूज़क्लिक संस्थान और पत्रकारों के पक्ष में कुरुक्षेत्र जिले में प्रभावशाली रोष प्रदर्शन किया। जन संघर्ष मंच हरियाणा के अध्यक्ष फूल सिंह ने अपने विचार कुछ इस तरह प्रकट किये, “यह स्वतंत्र मीडिया संस्थानों और निष्पक्ष पत्रकारों को धमकाने और पत्रकारिता से रोकने के लिए उठाया गया केंद्र का तानाशाही क़दम है। जन साधारण को चाहिये कि मीडिया की आज़ादी और बोलने की आज़ादी को बचाने के लिए मोदी सरकार के ख़िलाफ़ पुरज़ोर आवाज़ बुलंद की जाए।”
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