पीआरओ एक्ट श्रम और अर्थव्यवस्था के लिए खेल बदलने वाला क्यों है
अलबामा के बेसेमर में अमेजन वार हाउस के कामगारों की यूनियन की कोशिश कई वजहों से विफल हो गई है। इनमें से नियोक्ता का अपने कामगारों को यूनियन होने के नुकसान बता कर उन्हें डराने-धमकाने की चाल भी एक वजह है। रिटेल, होलसेल एंड डिपार्टमेंट स्टोर यूनियन (RWDSU) ने अपनी प्रतिक्रिया में यूनियन बनाने के प्रयासों के विरुद्ध मत दिए जाने को निराशाजनक बताया है। उसकी तरफ से जारी एक वक्तव्य में कहा गया है, “ स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव में बेसेमर, अलबामा के कार्यकर्ताओं को अपने मताधिकारों के उपयोग में अमेजन की तरफ से दखलअंदाजी की गई है।” RWDSU यूनियन के प्रमुख स्टुअर्ट एपेलबम ने दावा किया कि रिटेल क्षेत्र की इस विशालकाय कंपनी ने “अपने कर्मचारियों से एक के बाद एक होने वाले व्याख्यान में शामिल होने के लिए दबाव डाला, जो असत्य और झूठ से भरे थे, जिनमें कामगारों को यूनियन का विरोध करने वाली कंपनी की मांग को सुनना था।”
यद्यपि नेशनल लेबर रिलेशंस एक्ट 1935 कामगारों को अपने नियोक्ताओं की बदले की कार्रवाई से बिना डरे सामूहिक स्तर पर संगठित होने के अधिकार की रक्षा करता है, लेकिन इस मामले में अमेजन की अनेक चालें तकनीकी तौर पर कानूनी थीं। कामगारों को गुमराह करने तथा उनमें भय पैदा करने वाली सूचनाओं के लिए अंतहीन धन स्रोतों के साथ, अमेजन अपने कर्मचारियों का मन बार-बार बदलने में सफल होता रहेगा कि उनका दुश्मन प्रबंधन नहीं बल्कि उनका खुद का संगठन है।
हालांकि अनेक यूनियनें अमेजन के यूरोपियन कामगारों का प्रतिनिधित्व करती हैं, लेकिन अमेरिका में अमेजन कामगारों का कोई भी समूह अपने अधिकारों के लिए संगठित होने में इस हद तक सफल नहीं हो सका है, जो यह दिखाता है कि कामगारों को एक मंच पर संगठित करने के हमारे तरीके में कुछ अजीब है, जो चीजों के होने में अडंगा लगाता है। और इसे लेकर दी जाने वाली कानूनी चुनौतियों में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का कामगारों के बजाय प्राय: कॉरपोरेशन का पक्ष लेना है। न्यायालय की मौजूदा रूढ़िवादी दखल को देखते हुए, उसके इस रवैये में बदलाव होता नहीं दिखता है।
सौभाग्य से इस समस्या का समाधान है। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने मार्च के पूर्वार्ध में संगठित होने के अधिकार की रक्षा (प्रोटेक्टिंग द राइट टू ऑर्गेनाइज/पीआरओ) अधिनियम-2021 को पारित किया है। इसमें अन्य बातों के अलावा, अमेजन जैसी कंपनियों के लिए अपने कामगारों को गुमराह करना दुश्वार हो जाएगा। हालांकि यह पीआरओ अधिनियम कोई नया नहीं है और इसे पहले भी कई बार पेश किया जा चुका है। वह अपने मौजूदा रूप में, “नियोक्ताओं को अपनी ऐसी किसी भी बैठक में कामगारों से शामिल होने की मांग करने या इसके लिए उन्हें मजबूर करने के प्रयास को अमान्य श्रम-व्यवहार करार देता है, जो उन्हें श्रमिक-यूनियनों की सदस्यता लेने से हतोत्साहित करता हो, उन्हें रोकता हो।”
वर्किंग फैमिलीज पार्टी के राष्ट्रीय निदेशक और मूवमेंट फॉर ब्लैक लाइव के नेता मॉरिस मिशेल ने इस इंटरव्यू के दौरान मुझे बताया कि, “अगर पीआरओ अधिनियम आज कानून बन जाता है, तो इसका मतलब पूरे अमेरिका में यूनियन बनने से रोकने के लिए अमेजन की तरफ से की जाने वाली कुछ चालबाजियां गैरकानूनी हो जाएंगी।”
पीआरओ एक्ट देश के अलबामा समेत कई प्रांतों में तथाकथित “काम के अधिकार” कानूनों को समाप्त कर देगा, जिसे मिशेल “भयानक प्रतिगामी” बताते हैं। कोई भी व्यक्ति इस कानून के नाम के आधार पर यह अनुमान लगा सकता है कि ऐसे कानून किसी व्यक्ति के रोजगार मिलने के उनके अधिकार को सुनिश्चित करते हैं। होना भी यही चाहिए था। इसके बजाय “काम का अधिकार” कानूनों का नाम कामगारों को जानबूझकर भ्रम में डालने के लिए लिया गया, और यह पिछले दशक में श्रमिक-यूनियनों का बकाया सौंपे जाने को अवैध बनाने के जरिये यूनियनों की वित्तीय ताकत को कमजोर बनाने की जीओपी-निर्देशित बाध्यकारी प्रयासों का एक हिस्सा है।
अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स, जो पिछले कई वर्षों से “काम के अधिकार” के सरकारी कानूनों का समर्थन करता रहा है, ने पीआरओ एक्ट को “विगत 30 सालों की श्रम नीति के लिए गए बनाये गये प्रत्येक विफल आइडिया की एक सूची” करार दिया है, मानों वह श्रमिकों के हितों को लेकर बहुत चिंतित रहा हो। उसने चेतावनी दी है कि अगर इस अधिनियम को पारित किया गया तो यह “श्रमिकों के अधिकारों को कमजोर कर देगा, कर्मचारियों को असंबद्ध श्रम विवादों में उलझा देगा, अर्थव्यवस्था को बाधित करेगा और अमेरिका के लोगों को उनकी इच्छा के विपरीत यूनियन के बकाये को अदा करने के लिए विवश करेगा।” चैंबर दिखावा करता है कि वह श्रमिकों की चिंता करता है, जबकि उसे केवल कॉरपोरेट मुनाफे की फ्रिक है।
संगठन की काल्पनिक दुनिया में दो ताकतें हैं, जो वर्चस्व जमाने की होड़ में लगी है: उत्साही व्यापार संघ बनाम “बिग लेबर”। इस तरह की कहानियों में परोपकारी कंपनियों और उत्पीड़क यूनियनों से निर्बल मजदूरों को बहादुरीपूर्वक बचाने के लिए कदम उठाने वाले चैंबर ऑॅफ कॉमर्स की आरवेल की कल्पनाशीलता का उपयोग किया जाता है। वास्तव में, व्यवसाय-उन्मुखी संस्थान और रूढ़िवादी केवल तभी श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करते प्रतीत होते हैं जब श्रमिक वास्तव में और अधिक अधिकार प्राप्त करने के कगार पर होते हैं।
एक मूलभूत तथ्य “बिग बिजनेस” तथा इसके सहयोगियों के यूनियन विरोधी दावों की कलई खोलता है: यूनियन से जुड़े श्रमिक, भले ही यूनियन विरोधी प्रयासों के कारण उनकी संख्या बहुत कम रह गई है-गैर यूनियन वाले श्रमिकों की तुलना में उल्लेखनीय रूप से अधिक कमाते हैं।
मिशेल के अनुसार, संक्षेप में पीआरओ एक्ट ‘‘अपने श्रम को संगठित करने में श्रमिकों को सक्षम बनाने के लिए समान अवसर उपलब्ध कराने’’ के बारे में है। उन्होंने हमारी वर्तमान आर्थिक वास्तविकता की और अधिक सटीक व्याख्या करते हुए कहा कि “संगठित पूंजी ने सरकार पर कब्जा कर लिया है और हमारे जीवन पर भी कई प्रकार से कब्जा कर लिया है। यह एक्ट हमें केवल वैसी चीजों का उपयोग करने की अनुमति देता है, जो संगठित पूंजी : संगठित श्रम का प्रतिकार कर सकता है।”
वर्षों तक, अमेरिकी श्रम संगठनों ने डेमोक्रेटिक पार्टी को बिना शर्त समर्थन दिया है और उनके पास इसे प्रदर्शित करने के लिए बहुत कम रह गया है क्योंकि संघटन के स्तरों में तेज गिरावट आई है। यह कोई संयोग नहीं है कि जैसे-जैसे यूनियनें सिकुड़ती गई हैं, संपत्ति और आमदनी विषम तरीके से बढ़ती रही हैं। पीआरओ एक्ट का समर्थन करने और इस अधिनियम को पारित होने में हरसंभव सहायता करने के जरिये डेमोक्रेटिक पार्टी साबित कर सकती है कि वह वास्तव में संगठित श्रम और इसके जरिये अमेरिकी श्रमिकों की दोस्त है।
एएफएल-सीआईओ प्रेसीडेंट रिचर्ड ट्रुमका ने विधेयक को “गेम चेंजर” बताया और जोर दिया कि “अगर आप वास्तव में इस देश में विषमता-मजदूरी और संपत्ति की विषमता, अवसर और अधिकार की विषमता-को दुरुस्त करना चाहते हैं तो पीआरओ अधिनियम को पारित किया जाना इसके लिए पूरी तरह अनिवार्य है।”
मिशेल ने कहा कि, आखिरकार लेफ्ट ने “नवउदारवादी पूंजीवादी नीतियों पर चर्चा में विजय प्राप्त कर ली है” और यहां तक कि राष्ट्रपति बाइडेन ने कांग्रेस को किए गए अपने हालिया संबोधन में स्पष्ट रूप से इसे स्वीकार भी कर लिया है। उन्होंने एक आश्चर्यजनक संबोधन में कहा कि ट्रिकल डाउन (अर्थात ऊपर से नीचे) अर्थशास्त्र कभी भी कामयाब नहीं रहा है और अब समय आ गया है कि अर्थव्यवस्था को नीचे तथा बीच से बढ़ाया जाए।
अभी तक के संकेत उत्साहवर्द्धक रहे हैं क्योंकि प्रतिनिधि सभा के एक को छोड़ कर सभी डेमोक्रेट्स ने बिल पर “हां” कहा है।( केवल टेक्सास प्रतिनिधि हेनरी क्यूलर ने उनके राज्य द्वारा “काम करने के अधिकार” कानूनों के समर्थन करने के बारे में रिपब्लिकन की चर्चा के बिन्दुओं का उद्धरण देते हुए तथा बिना किसी साक्ष्य के यह दावा करते हुए कि पीआरओ एक्ट हजारों नौकरियां खत्म कर देगा, ‘‘नो’’ कहा है)
राष्ट्रपति बाइडेन, जिन्होंने खुले रूप से अलबामा में अमेजन श्रमिकों के बीच यूनियन बनाने के प्रयासों के लिए समर्थन जाहिर किया, ने कांग्रेस के अपने संबोधन में पीआरओ एक्ट को पारित कराने की भी अपील की। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि, “ मैं कांग्रेस से संगठित होने के अधिकार की सुरक्षा अधिनियम (पीआरओ एक्ट) को पारित करने तथा इसे मेरे डेस्क पर भेजने की अपील करता हूं, जिससे कि मैं यूनियन बनाने के अधिकार का समर्थन कर सकूं।”
2022 की मध्यावधि द्वारा समीकरण में संभावित बदलाव से पूर्व दो साल की अवधि जिसमें डेमोक्रेट्स व्हाइट हाउस तथा कांग्रेस के दोनों चैंबरों को नियंत्रित कर सकें, को संदर्भित करते हुए मिशेल ने मुझे बताया कि “हमारे पास रूपांतरकारी बदलाव के तरीके को सृजित करने के लिए सीमित अवसर हैं, जो एजेंडा में है जिसके लिए इतने सारे लोगों ने वोट दिया है।” सदन द्वारा पीआरओ एक्ट को पारित किए जाने तथा व्हाइट हाउस द्वारा विधेयक को पूर्ण समर्थन का संकेत दिए जाने के साथ ही यह महत्वपूर्ण विधेयक पारित होने के लिए सरकार की सबसे अलोकतांत्रिक शाखा-अमेरिकी सीनेट-के कार्य क्षेत्र में आ जाएगा।
अभी तक 45 सीनेट डेमोक्रेट्स तथा दो स्वतंत्रों सदस्यों ने विधेयक के समर्थन का संकेत दिया है। आश्चर्यजनक रूप से इसमें पश्चिम वर्जिनिया के सीनेट जोई मैनशिन शामिल हैं, जो अन्य प्रगतिशील दिखने वाले विधेयकों के पारित होने मार्ग में बाधक के रूप में उभरे हैं। लेकिन वह पीआरओ एक्ट से प्रत्यक्षत : आश्वस्त दिखते हैं। अब, केवल तीन सीनेट डेमोक्रेट्स का मामला रह गया है: वर्जिनिया के मार्क वार्नर और अरिजोना के दोनों सीनेटर, मार्क केल्ली और काइसर्टन सीनेमा।
मजदूर संगठनों का एक बड़ा समूह तथा मिशेल की वर्किंग फैमिलीज पार्टी जैसे प्रगतिशील कार्यकर्ता समूह पीआरओ एक्ट को समर्थन देने के लिए उन तीनों सीनेटरों से आग्रह करने के लिए एक जबर्दस्त मुहिम चला रहे हैं। पोलिटिको के अनुसार, अप्रैल के आखिर में, “यूनियन के नेताओं ने बुधवार को निजी बातचीत में सीनेट डेमोक्रेट्स की अभियान शाखा को बताया कि जब तक वे विधेयक का पूरी तरह समर्थन नहीं करते, आगामी चुनाव में वे कानून निर्माताओं के समर्थन की उम्मीद न करें।”
निश्चित रूप से राजनीति का यही वह निर्मम तरीका है, जिसे अमेरिकी लेफ्ट को अपनाने की आवश्यकता है और जिससे कि पीआरओ एक्ट में अपेक्षाकृत मामूली सुधारों को आगे बढ़ाया जा सके ताकि अमेरिकी मजदूर उन्हीं मानकों का लाभ ले सकें, जो गैर अमेरिकी मजदूर ले रहे हैं। दशकों से देश के मध्य तथा कामकाजी वर्गों के खिलाफ कंपनियां तथा समृद्ध अभिजात्य वर्ग सफलतापूर्वक अभियान चलाते रहे हैं, इस अनवरत वर्ग-संघर्ष को देखते हुए अब गंवाने को ज्यादा कुछ नहीं बचा है।
(सोनाली कोल्हटकर एक टेलीविजन तथा रेडियो शो “राइजिंग अप विद सोनाली” जो फ्री स्पीच टीवी चैनल तथा पैसिफिका स्टेशंस पर प्रसारित होता है, की संस्थापक, मेजबान तथा एक्सक्यूटिव प्रोड्यूसर हैं। वह इंडीपेंडेंट मीडिया इंस्टीच्यूट में इकोनोमी फ़ॉर ऑल प्रोजेक्ट के लिए राइटिंग फेलो हैं।)
यह लेख इंडिपेंडेंट मीडिया इंस्टिच्यूट की एक प्रोजेक्ट इकोनोमी फ़ॉर ऑल द्वारा प्रस्तुत किया गया।
अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें।
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