अमेरिका की प्रतिनिधि सभा में पुलिस सुधार बिल पास, फंड कटौती की मांग जारी
संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिनिधि सभा ने बुधवार 3 मार्च को डेमोक्रेटिक पार्टी के पुलिस सुधार अधिनियम पारित कर दिया। पार्टी लाइन पर वोट विभाजन में सदन ने जॉर्ज फ़्लॉयड जस्टिस इन पुलिसिंग एक्ट को पारित करने के पक्ष में 220-212 से मतदान किया। ये अधिनियम देश भर के पुलिस विभागों में व्यापक सुधारों को लागू करने की मांग करता है। जून 2020 में इस बिल को पहले इस सदन में पेश किया गया था। जॉर्ज फ्लॉयड की हिरासत में मौत की प्रतिक्रिया में नस्लवाद के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के बाद इस बिल को लाया गया था। फ्लॉयड की हत्या के बाद उनके नाम पर इस बिल का नाम रखा गया।
अन्य चीजों के अलावा ये बिल पुलिस दुर्व्यवहार या अत्यधिक बल के इस्तेमाल की जांच करने के लिए फेडरल जस्टिस डिपार्टमेंट और स्टेट अटॉर्नी जनरल को शक्ति प्रदान करेगा। यह फेडरल इनफोर्समेंट एजेंसियों द्वारा बलों के इस्तेमाल के सीमित करने के लिए यूनिफॉर्म्ड ऑफिसर पर डैशबोर्ड कैमरा और बॉडी कैमरा के इस्तेमाल को सुनिश्चित करेगा। यह पुलिस के दुर्व्यवहार के लिए फेडरल रजिस्ट्री का निर्माण करेगा। यह पुलिस के लिए हथियारों और मिलिट्री ग्रेड उपकरणों के हस्तानांतरण के सीमित करेगा।
पुलिस द्वारा कई मौतों के लिए जिम्मेदार "नो-नॉक वॉरंट" और "चोकहोल्ड्स" को प्रतिबंधित करते हुए इस बिल के जरिए पुलिसिंग में प्रक्रियात्मक आमूल चूल परिवर्तन लाने की भी कोशिश की जाएगी। एक डेटा प्रोजेक्ट मैपिंग पुलिस वायलेंस के अनुसार कानून प्रवर्तन एजेंसियां साल 2020 में 1,127 हत्याओं के लिए जिम्मेदार हैं जिनमें से 28% केवल अश्वेत थें जो कि उनकी आबादी के लगभग 13% की जनसांख्यिकीय हिस्सेदारी की तुलना में बड़ी संख्या है। पिछले सप्ताह इस बिल को पेश करने के दौरान पेलोसी ने अपने बयान में कहा, "जॉर्ज फ्लॉयड जस्टिस इन पोलिसिंग एक्ट सिस्टेमिक रेसिज्म से निपटेगा, पुलिस की बर्बरता पर अंकुश लगाएगा और लोगों की जिंंदगी को बचाएगा।"
इस बिल को जून 2020 में इस सदन द्वारा पारित किया गया था लेकिन कांग्रेस के गतिरोध के चलते अटक गया था क्योंकि तब रिपब्लिकन पार्टी ने सीनेट में बहुमत हासिल कर लिया था जिसने इसका विरोध किया था। इस बिल का पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भी कड़ा विरोध किया गया था जिन्होंने अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदनों द्वारा इस बिल के पारित होने पर वीटो की बात कही थी। इस साल 24 फरवरी को फिर से कांग्रेस के अधिवेशन में इस बिल को फिर से पेश किया गया था और अब इस सदन के बाद सीनेट में पेश किया जाएगा।
चूंकि सीनेट रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स के बीच 50-50 से विभाजित है ऐसे में उपराष्ट्रपति कमला हैरिस इस सदन के पीठासीन अधिकारी के रूप में टाई-ब्रेकर वोट करती हैं। डेमोक्रेट को अभी भी सीनेट में देरी का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि इसे 60 वोटों की जरुरत पड़ेगी।
इस बिल के व्यापक दायरे और पिछले वर्ष के विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस हत्या और संस्थागत नस्लवाद के खिलाफ जनता को लामबंद करने वाले एक्टिविस्टों, स्थापित नागरिक अधिकार समूहों से प्राप्त समर्थन के बावजूद इन समूहों ने कहा है कि उम्मीद के अनुसार इस बिल में कमी है।
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