Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

नशे की दलदल में पंजाब: आला पुलिस अफसरों पर कार्रवाई की तैयारी

पूर्व डीजीपी शशिकांत कहते हैं कि, "असली इंसाफ़ अब मिलेगा। पंजाब में नशा तस्करों ने पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर राज्य के नौजवानों को बर्बाद कर दिया।"
police
प्रतीकात्मक तस्वीर। PTI

जगजाहिर तथ्य है कि समूचा पंजाब इस वक्त नशों की गहरी दलदल में बेतहाशा धंसा हुआ है। कोई दिन ऐसा नहीं जाता जब नशों के चलते नौजवानों की मौत की खबर न आती हो। बीते तीन दशक से राज्य में आने वाली हर सरकार इस वादे और दावे के साथ सत्ता में आती है कि वह नशों के बहते छठे दरिया को रोक देगी लेकिन अंततः नाकाम रहती है। सबसे बड़ी वजह तस्करों और आला से लेकर नीचे तक के पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों का 'गठजोड़' है। प्रमाण हैं कि इस गठजोड़ को सियासी शह भी हासिल है।

शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व ताकतवर मंत्री बिक्रमजीत सिंह मजीठिया सबसे बड़ी मिसाल हैं; जो लंबा अरसा जेल में रहने के बाद अब जमानत पर बाहर हैं। पूर्व कांग्रेस सरकार ने उन पर शिकंजा कसा था। खैर, अब पंजाब में हजारों करोड़ रुपए के नशे के काले कारोबार में फंसे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली एक विशेष याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने कहा है कि वह दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई को तैयार है। विशेष याचिका तीन सीलबंद रिपोर्ट्स के आधार पर है और उसकी कोई प्रति पंजाब सरकार के पास नहीं। लिहाजा सरकार ने हाईकोर्ट में कहा है कि इन तीन सीलबंद रिपोर्टों के आधार पर अदालत जो भी निर्देश देगी, उस पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी।

पंजाब ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन के एआईजी सरबजीत सिंह ने हलफनामे के जरिए हाईकोर्ट को बताया कि नशा तस्करी में संलिप्त होने के आरोपी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ उच्च न्यायालय ने जांच का आदेश दिया था। आदेशानुसार दिसंबर 2017 में तत्कालीन डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को जांच की जिम्मेदारी दी गई थी। चट्टोपाध्याय ने 1 फरवरी 2018, 15 मार्च 2018 और उसी वर्ष 8 मई को तीन रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में हाई कोर्ट को सौंपी थी।

गौरतलब है कि पूर्व पुलिस महानिदेशक (जेल) शशिकांत ने पंजाब में ड्रग्स के कारोबार को लेकर हाईकोर्ट को विशेष पत्र लिखा था। इस पत्र का संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने सन 2013 में जनहित याचिका के तौर पर इस मामले की सुनवाई शुरू की थी। इसमें एक मानवाधिकार संस्था की तरफ से एडवोकेट नवकिरण सिंह ने भी अपना पक्ष रखा था व पुलिस और तस्करों के बीच गठजोड़ पर जांच की मांग की थी। उस वक्त पंजाब पुलिस ने इंद्रजीत नाम सिंह के एक बदनाम पुलिस अधिकारी को इस सिलसिले में गिरफ्तार किया था और आरोप लगे थे कि राज्य के मोगा जिले के एसएसपी राजजीत सिंह की भूमिका भी संदिग्ध है। इस वक्त एसटीएफ के मुखिया वरिष्ठ पुलिस अधिकारी हरप्रीत सिंह सिद्धू थे। राजजीत ने अदालत में अर्जी दाखिल की थी कि उनके मामले की जांच सिद्धू किन्हीं कारणों से निष्पक्ष नहीं कर सकते। इसके बाद हाईकोर्ट ने डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय, एडीजीपी प्रबोध कुमार और आईजी कुंवर विजय प्रताप सिंह की एसआईटी गठित कर जांच के आदेश दिए थे। इस जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सीधे हाईकोर्ट को दी थी। इसके अतिरिक्त सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय ने अलग से दो रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में हाईकोर्ट को सौंपी थी।

लंबी-लंबी तारीखों के बाद अब यह मामला 'निर्णायक मोड़' पर आ गया है। इस बीच चार मुख्यमंत्री आए और गए। लेकिन मसला जस का तस रहा। पंजाब में अब भगवंत मान की अगुवाई में आम आदमी पार्टी की सरकार है। वह भी इस वादे और दावे के साथ सत्ता में आई थी कि पुलिस अधिकारियों और नशा तस्करों के गठजोड़ को तोड़ेगी। फिलहाल परनाला वहीं का वहीं बह रहा है। इंतजार है हाईकोर्ट में दाखिल की गई सीलबंद रिपोर्ट खुलने की। यकीनन तीनों रिपोर्ट्स जाहिर होने के बाद पंजाब के कई बड़े और छोटे पुलिस अफसरों पर गाज गिरेगी और कुछ सियासतदान भी जेल की सलाखों के पीछे होंगे।

पूर्व डीजीपी शशिकांत कहते हैं, "असली इंसाफ अब मिलेगा। पंजाब में नशा तस्करों ने पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर राज्य के नौजवानों को बर्बाद कर दिया।" वहीं एडवोकेट नवकिरण सिंह के अनुसार, "बिक्रमजीत सिंह मजीठिया के खिलाफ तो सरकार ने एफआईआर दर्ज की लेकिन ड्रग रैकेट में फंसे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। अब वे बेनकाब होंगे।"

उधर, पुलिस महकमे में खलबली है। हाईकोर्ट किसी भी वक्त कतिपय आला पुलिस अधिकारियों और निचले स्तर के पुलिसकर्मियों पर सख्त एक्शन के आदेश दे सकता है। दागदार खाकीधारियों के खिलाफ कार्रवाई नशों की अंधेरी सुरंग में गए पंजाब को कुछ तो राहत दिलाएगी। 

(जालंधर स्थित लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest