राजस्थान: चुरू किसानों का पैदल मार्च जारी, 2 जून को करेंगे चूरू कलेक्ट्रेट का अनिश्चितकालीन घेराव
राजस्थान के किसानों ने इस भीषण गर्मी मे पैदल लांग मार्च का आह्वान किया है, ये पैदल मार्च अखिल भारतीय किसान सभा के आह्वान पर 28 मई को चुरू साहवा(तारानगर) से शुरु किया गया, जिसमें फसल बीमा,नहर,बिजली आदि मुद्दों को लेकर हुंकार भरी जा रही है। इसी तरह सरदारशर क्षेत्र के किसान 29 मई और सिद्धमुख, राजगढ़ के किसान 31 मई को हजारों की संख्या चुरू कलेक्ट्रेट की ओर बढ़ेगे और 2 जून को कलेक्ट्रेल का अनिश्चितकालीन घेराव करेंगे।
बीते दो दिनों से सैकड़ों की संख्या मे किसान विपरीत मौसम में भी पैदल चल रहे है। इनके पैदल मार्च को ग्रामीणों का पूरा समर्थन मिल रहा है। इस मार्च मे महिला किसान भी बड़ी संख्या मे पैदल चल रही है। जबकि किसानों को बरसात और गर्मी दोनों का प्रकोप समय-समय पर झेलना पड़ रहा है। लेकिन ये किसान पूरे हौसले के साथ लगातार अपनी यात्रा जारी रखे हुए है।
किसान सभा के नेता और राज्य कमेटी सदस्य कॉमरेड निर्मल कुमार जिनके नेतृत्व में ये पैदल मार्च निकाला जा रहा है, उन्होंने कहा कि ये मार्च किसान अपने हकों के लिए निकाल रहा है। किसान अपने नुकसान, फसल की भरपाई की मांग कर रहा है लेकिन सरकार और बीमा कंपनी किसानों के साथ धोखा कर रही है। वो कहते है कि साल 2021 में बीमा कंपनी एसबीआई जनरल इंश्योरेंस ने तारानगर, सरदारशहर, चूरू, राजगढ़, सिद्धमुख के 181 पटवार हलकों की क्रॉप कटिंग रिपोर्ट पर ऐतराज कर फसल बीमा क्लेम की गणना सेटेलाइट व वेदर बेस्ट मेथड डाटा के आधार पर करने की मांग राज्य सरकार से की थी। राज्य सरकार ने 15 फरवरी 2022 को स्वीकार कर भारत सरकार को मामला भेज दिया था। भारत सरकार ने भी इसे मंजूर कर 24 मार्च 2022 को उपरोक्त आंकड़े उपलब्ध करवा दिए।
आपको बता दें जिले के किसान खरीफ 2021 की क्रॉप कटिंग रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग को लेकर लगातार जिले में प्रदर्शन करते रहे हैं। 18 जुलाई 2022 को चूरू कलेक्टर सहित जिला प्रशासन के साथ लिखित समझौते के बाद 22 जुलाई को जिला प्रशासन ने क्रॉप कटिंग रिपोर्ट अखिल भारतीय किसान सभा को उपलब्ध करवाई। इससे पहले बीमा कंपनी ने 7 जुलाई 2022 को 252 करोड़ का क्लेम इन पांच तहसील के 181 पटवार हलकों के किसानों को दिया था।
निर्मल ने बताया कि साल 2021 में बहुत ज्यादा फसलें ख़राब हो गईं। क्रॉप कटिंग के आधार पर जब मुआवजा ज्यादा बना, तो उससे बचने के लिए बीमा कंपनी ने आरोप लगाए कि किसानों ने पटवारी व कृषि पर्यवेक्षकों से मिलीभगत कर ज्यादा नुकसान दिखा दिया। कंपनी ने इसी बात को लेकर पहले राज्य सरकार और फिर केंद्र सरकार को भ्रमित कर सेटेलाइट से मुआवजा देना तय कर लिया।
सेटेलाइट में हरियाली के आधार पर फसलों का नुकसान तय होता है। इन क्षेत्रों में पौधे तो हरे दिख रहे थे, लेकिन उनके दाने पूरी तरह खराब हो गए। कंपनी ने सेटेलाइट के हिसाब से पौधों को हरा दिखाते हुए नुकसान कम दिखा दिया। क्रॉप कटिंग में पटवारी व कृषि पर्यवेक्षक पौधों के लगी फलियों के दानों के आधार पर नुकसान तय करते हैं, उस हिसाब से मुआवजा ज्यादा बन रहा था। क्लेम की मांग को लेकर किसान डेढ़ साल से ज्यादा समय से संघर्ष कर रहे हैं। कि ख़रीफ 2021 का फसल बीमा क्लेम सरकार ने क्रॉप कटिंग रिपोर्ट को खारिज कर सेटेलाइट आंकड़े के आधार पर दिया था। सरकार के इस निर्णय के खिलाफ पिछले साल किसानों ने आंदोलन व चक्का जाम किया था तब 18 जुलाई 2022 को जिला प्रशासन के साथ क्रॉप कटिंग रिपोर्ट के आधार पर फसल बीमा क्लेम देने का लिखित समझौता हुआ था। उस समझौते को लागू करवाने सहित 13 सूत्रीय मांग पत्र को लेकर जिले के किसानों द्वारा लॉन्ग मार्च किया जा रहा है। सरकार किसानों की बात को नहीं मानती हैं तो कलेक्ट्रेट का अनिश्चितकालीन घेराव होगा।। पैदल मार्च को लेकर गांव-गांव में तैयारियां गई है।
13 सूत्रीय मांग पत्र में क्या है किसानों की मांग
1. 18 जुलाई 2022 चक्का जाम समझौता लागू करो व खरीफ 2021 का फसल बीमा क्लेम क्रोप कटिंग रिपोर्ट के आधार पर जारी करो।
2. रबी 2022- 23 का फसल बीमा क्लेम क्रोप कटिंग रिपोर्ट के आधार पर जारी किया जाए तथा खरीफ 2022 की क्रोप कटिंग रिपोर्ट पर बीमा कंपनी की आपत्ति को खारिज कर क्लेम जारी किया जाए।
3. एमएसपी गारंटी का कानून बनाया जाए तथा किसानों का संपूर्ण कर्जा माफ किया जाए।
4. कृषि कुओं को 6 घंटे अच्छी बिजली दी जाए तथा डिमांड राशि जमा करवाने वाले सभी किसानों को तुरंत बिजली कनेक्शन दिया जाए।
5. प्रीमियम नहीं कटने, कम जमीन का कटने, पोर्टल पर अपलोड नहीं करने तथा पटवार मंडल बदले जाने के कारण बकाया फसल बीमा क्लेम किसानों को तुरंत दिया जाए।
6. ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में आबादी भूमि का विस्तार कर 20 साल से अधिक समय से बसे हुए लोगों को रिहायशी पट्टे जारी किए जाएं।
7. मनरेगा में 200 दिन काम व 600 रूपये मजदूरी प्रतिदिन दी जाएं।
8. शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में पेयजल व 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित कर ढाणियों में पानी व बिजली के कनेक्शन दिए जाए।
9. चौधरी कुंभाराम आर्य नहर का घटाया गया रकबा पुनः 2.40 लाख हेक्टर कर नहर का निर्माण कार्य पूरा किया जाए।
10. नहर निर्माण के लिए अवाप्त की गई कृषि भूमि का मुआवजा सिंचित डीएलसी दर का 4 गुना तुरंत दिया जाए।
11. सिद्धमुख नहर के अंतर्गत आने वाली भूमि का चकबंदी कार्य तुरंत पूरा किया जाए।
12. स्वीकृत 2.20 लाख, 1.32 लाख, 33हजार केवीए GSS का निर्माण तुरंत करवाया जाए और नए 33 हजार केवीए के GSS और फिडरो की स्वीकृति जारी कर तुरंत निर्माण किया जाए।
13. श्रमिक कल्याण योजनान्तर्गत मिलने वाले लाभ (छात्रवृत्ति, कन्या विवाह, संतानोत्पति, मृत्यू दावा आदि) जो पिछले पांच वर्ष से बंद पड़े है श्रमिकों को दिये जाए।
इन्ही मांगों को लेकर किसानों लांग मार्च व चूरू कलेक्ट्रेट घेराव करने फैसला किया है। अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेश महामंत्री छगनलाल चौधरी ने बताया कि जिले भर से चलने वाले आंदोलन कलेक्ट्रेट पर पहुंचेगा।
आपको बता दें कि हमेशा की तरह एक बार फिर से किसानों की आवाज को बुलंद करने के लिए अखिल भारतीय किसान सभा मैदान में है। इस बार किसान आर-पार की लड़ाई लड़ेगा। जब तक किसानों को उनका हक नहीं मिलेगा तब तक किसान सभा का आंदोलन जारी रहेगा।
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।