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MSP आदि लंबित मांगों पर फिर होगा किसान आंदोलन, दिल्ली नहीं, इस बार चुनावी राज्य रहेंगे केंद्र में: SKM का ऐलान

"संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने एक बार फिर से आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा है कि एमएसपी की कानूनी गारंटी और ऋण माफी सहित अपनी लंबित मांगों को लेकर आंदोलन फिर से शुरू किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि इस बार दिल्ली कूच नहीं, बल्कि देश व्यापी आंदोलन होगा और चुनावी राज्य इसके केंद्र में रहेंगे। यही नहीं, इससे पूर्व मांगों की बाबत प्रधानमंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता को ज्ञापन सौंपा जाएगा।"
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केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी सहित अन्य मांगों को लेकर एक बार फिर से आंदोलन छेड़ने का ऐलान किया है। आंदोलन से पहले एसकेएम के नेता 16 से 18 जुलाई तक प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और सांसदों को मांगों से जुड़ा ज्ञापन सौंपेंगे। इसके बाद आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने के लिए केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के साथ बैठक करेंगे। 

किसान नेता और पश्चिम बंगाल से माकपा के पूर्व सांसद हन्नान मोल्लाह ने बताया कि बुधवार को हुई एसकेएम की आमसभा में फिर से आंदोलन शुरू करने पर सहमति बनी है। इस बार पूरे देश में आंदोलन होगा। मोल्लाह ने बताया कि 9 दिसंबर, 2021 को केंद्र सरकार और एसकेएम के बीच हुए समझौते को भुला दिया गया है। न तो एमएसपी पर कानूनी गारंटी दी गई और न ही कई अन्य मांगें मानी गईं। यह भी तब जब केंद्र सरकार और एसकेएम के बीच समझौते पर भारत सरकार के कृषि सचिव ने हस्ताक्षर किए हैं। ऐसे में पिछली बार हमने दिल्ली का घेराव किया था, इस बार अखिल भारतीय स्तर पर आंदोलन करेंगे।

'कॉर्पोरेट छोड़ो दिवस' मनाएगा एसकेएम

एसकेएम ने अपने बयान में कहा है कि सभी सांसदों को मांगों का एक चार्टर सौंपा जाएगा। संगठन ने कहा कि 9 अगस्त को एसकेएम अपनी मांगों के समर्थन में देश भर में प्रदर्शन करके "भारत छोड़ो दिवस" ​​को "कॉर्पोरेट भारत छोड़ो दिवस" ​​के रूप में मनाएगा।

जनरल बॉडी मीटिंग में 17 राज्यों के किसान शामिल 

10 जुलाई को संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी जनरल बॉडी मीटिंग बुलाई जिसमें 17 राज्यों के किसान और विभिन्न किसान संगठनों के 143 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इसमें डॉ. अशोक धावले, डॉ. दर्शन पाल, युद्धवीर सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल, रेवुला वेंकैया, मेधा पाटकर, सत्यवान, रुलदू सिंह मानसा, डॉ. सुनीलम, अविक साहा, डॉ. आशीष मित्तल, तजिंदर सिंह विर्क और कंवरजीत सिंह शामिल थे। गुरुवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉ. सुनीलम, अविक साहा, पी कृष्णप्रसाद, आर वेंकैया और प्रेम सिंह गहलावत मौजूद रहे।

बीजेपी की कम सीटें आने में किसान आंदोलन का हाथ?

एसकेएम नेताओं ने दावा किया कि किसानों के आंदोलन का ही असर है जो भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा चुनाव में अलग-अलग राज्यों के करीब 159 ग्रामीण संसदीय क्षेत्रों में हार का मुंह देखना पड़ा है। इसी के चलते इस बार संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली नहीं आएगा। किसान नेताओं से जब यह सवाल किया गया कि क्या वह फिर से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली कूच करेंगे तो उन्होंने कहा कि इस बार पूरा फोकस देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन पर रहेगा। खासतौर पर विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में ज्यादा फोकस होगा। इनमें महाराष्ट्र, झारखंड, जम्मू-कश्मीर और हरियाणा शामिल है।

हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए एसकेएम की प्रदेश समन्वय समिति भाजपा के खिलाफ अभियान की रणनीति तय करेगी। संयुक्त संघर्ष के लिए ट्रेड यूनियनों के साथ तालमेल किया जाएगा। एसकेएम ने लोकसभा चुनाव में 400 पार का नारा देने वाली भाजपा को 240 सीटों तक सीमित रखने के लिए देश के किसान और मजदूरों को धन्यवाद दिया है।

एसकेएम का दावा है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को किसान आंदोलन के प्रभाव वाले राज्यों में 38 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा और ग्रामीण बहुल 159 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। यूपी के लखीमपुर खीरी में अजय मिश्रा टेनी और झारखंड के खूंटी में अर्जुन मुंडा (पूर्व कृषि मंत्री) की हार को किसानों के संघर्ष का नतीजा बताया।

एसकेएम अपनी मांगों को लेकर पूरे देश में प्रदर्शन करेगा

संगठन ने यह भी कहा कि आने वाली 9 तारीख को एसकेएम अपनी मांगों को लेकर पूरे देश में प्रदर्शन करेगा। वह भारत छोड़ो दिवस को कॉरपोरेट भारत छोड़ो दिवस के तौर पर मनाएंगे। एसकेएम ने यह भी मांग रखी है कि देश को डब्ल्यूटीओ से भी बाहर निकल जाना चाहिए। वहीं, अब बात अगर एसकेएम की पंजाब यूनिट की करें तो वह जल संकट, कर्ज के बोझ, पीएम मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए की सत्ता और संसाधनों के केंद्रीयकरण की नीति के खिलाफ सीएम भगवंत मान और उनके मंत्रियों के घर के बाहर विरोध-प्रदर्शन करेंगे।

यह सब कुछ केवल इतने पर ही नहीं रूकेगा बल्कि सभी राज्यो में जल संकट और जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर एक सेमिनार भी रखा जाएगा। MSP कानून, कर्ज माफी, फसल की बीमा, किसानों के पेंशन, बिजली के निजीकरण को बंद करने के साथ ही साथ सिंधु और टिकरी बॉर्डर पर शहीद किसानों का स्मारक बनाने की मांग रखी जाएगी।

क्या हैं प्रमुख मांगें

एसकेएम ने सभी फसलों की खरीद के साथ सी2 लागत पर डेढ़ गुना एमएसपी की कानूनी गारंटी, किसानों की कर्जमाफी, पेंशन, एग्री इनपुट पर जीएसटी समाप्त करने, बिजली का निजीकरण रोकने, फसल बीमा योजना में सुधार, पराली के मुद्दे और कृषि के लिए अलग बजट सहित कई मांगें उठाई हैं। साथ ही किसान आंदोलन के दौरान सभी शहीदों के परिवारों को मुआवजा देने, किसानों पर दर्ज केस वापस लेने तथा 736 शहीद किसानों की याद में सिंघु या टिकरी बॉर्डर पर शहीद स्मारक बनाने की मांग भी की है।

साभार : सबरंग 

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