Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

NEP के ख़िलाफ़ SFI का हल्ला बोल, राजधानी की सड़कों पर उतरा ‘जत्था’

SFI का अखिल भारतीय जत्था दिल्ली पहुंचा, जिसका स्वागत करने के लिए सैकडों छात्र सड़कों पर उतरे। छात्रों ने मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति और अन्य नीतियों के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद की।
sfi

कहते हैं कि छात्र-छात्राएं ग़लत कामों का, नीतियों का विरोध करते हैं... क्योंकि वो पढ़ते हैं, चीज़ों को समझते हैं। शायद हमारी सरकारें उनकी इसी समझदारी से डरती हैं, डरती हैं कि अगर छात्र-छात्राएं शिक्षित होंगे तो सवाल करेंगे, और किसको नहीं मालूम कि सरकारें सबसे ज्यादा सवालों से ही डरती हैं।

इसके चलते उन्हें कुछ फैसले ऐसे वक्त पर लेने पड़ते हैं जब स्कूल बंद हो, कॉलेज बंद हो, विश्वविद्यालय बंद हों... यानी छात्र-छात्राएं बहुत ज्यादा सक्रिय न हों। और ऐसा वक्त सरकार को कोरोना काल में मिल गया। जब पूरा देश आपदा का सामना कर रहा था तब मोदी सरकार ने आपदा में न जाने कितने अवसर ढूंढ निकाले और मौका देख दबे पांव नई शिक्षा नीति लागू कर दी।

जब कोरोना कम पड़ा और शिक्षण संस्थान फिर से खुले तब इसका जमकर विरोध हुआ, लेकिन मोदी सरकार के कान में अब तक जूं नहीं रेंगी। हालांकि छात्रों की ओर से इस नई शिक्षा नीति 2020 का विरोध लगातार जारी है।

नई शिक्षा नीति 2020 से हो रहे नुकसान के खिलाफ एसएफआई का अखिल भारतीय जत्था पूरे देश में यात्रा कर रहा है और इस नीति की सच्चाई बता रहा है। 

इसी कड़ी में 9 सितंबर यानी शुक्रवार को अखिल भारतीय जत्था दिल्ली पहुंचा। इस जत्थे के स्वागत के लिए एसएफआई के सैकड़ों छात्र सड़क पर उतरे और दिल्ली विश्वविद्यालय के खालसा कॉलेज से आर्ट फैकल्टी तक विशाल रैली निकाली। इस दौरान लोगों के हाथ में नई शिक्षा नीति के खिलाफ बैनर-पोस्टर थे। छात्रों ने मोदी सरकार उनकी नीतियों के खिलाफ नारेबाजी भी की।

जब ये रैली दिल्ली विश्वविद्यालय के आर्ट फैकल्टी पर पहुंची तब वहां पब्लिक मीटिंग का आयोजन किया गया। जिसमें डूटा की पूर्व अध्यक्ष नंदिता नारायण, डूटा के ईसी मेंबर जितेंद्र मीणा और एसएफआई के जॉइंट सेक्रेटरी दिनित डेंटा शामिल हुए। इन तीनों मेहमानों ने छात्रों को संबोधित किया और नई शिक्षा नीति 2020 के ज़रिए सरकार के प्लान को उजागर किया।

सबसे पहले नंदिता नारायण ने छात्रों को संबोधित किया। नंदिता नारायण ने इस नई शिक्षा नीति के बारे में विस्तार से समझाया और बताया कि कैसे मोदी सरकार अब शिक्षा का भी सौदा करने के मूड में है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति एक ब्लूप्रिंट है, जिसमें साफ लिखा है कि ये पब्लिक फंडेड एजुकेशन को खत्म करने के लिए लाया गया है। इसका सीधा सा मकसद संस्थानों का निजीकरण करना है। उन्होंने कहा कि आपकी शिक्षा के लिए पूरा बजट आपको कभी नहीं दिया जाता है। ये सरकार शिक्षा को पूरी तरह से डिजिटलाइज्ड करना चाहती है, और आमने-सामने का संवाद खत्म करना चाहती है। उन्होंने कहा कि डिज़िटल या ऑनलाइन पढ़ाई का नतीजा हम कोरोना काल में देख चुके हैं। नंदिता ने कहा कि ऐसा करने से एकैडमिक स्तर बहुत ज्यादा गिर जाएगा। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन पढ़ाई से शिक्षकों का पैसा बचेगा, जिससे प्रधानमंत्री अपने मित्रों की जेब भर सकेंगे।

नंदिता नारायण के बाद एसएफआई के ज्वाइंट सेक्रेटरी दिनित देंता ने छात्रों को संबोधित किया। उन्होंने भी नई शिक्षा नीति ग़रीब छात्रों को कैसे बर्बाद करेगी इसे बखूबी समझाया। उन्होंने कहा कि वो (मौजूदा सरकार) जानते हैं कि शिक्षा पर कंट्रोल कर लोगों पर अपनी विचारधारा कैसे थोप सकते हैं। वो ग़ैर वैज्ञानिक बातें करके हमारे दिमाग को भ्रमित करेंगे। गांव के अंदर स्कूलों को बंद कर दिया जाएगा, जिसकी जगह वो एक मॉडल स्कूल बनाने की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हर मां-बाप चाहता है कि उनका बेटा शुरुआती शिक्षा गांव में ही ले। सरकार कह रही है कि अगर आपके पास पैसा है तो पढ़ सकते हैं, नहीं है तो सरकारी स्कूल नहीं मिलेगा। यानी इसके बाद छात्रों के पास सिर्फ एक उपाय बचता है कि संघ के स्कूल में या शिशु मंदिर में पढ़ाई करें। 

इसे भी पढ़ेंनई शिक्षा नीति और कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट छात्रों-शिक्षकों को शिक्षा से दूर करने का माध्यम!

डूटा के ईसी मेंबर जितेंद्र मीणा ने भी छात्रों से संवाद किया। उन्होंने कहा कि जब संविधान की भावना के खिलाफ काम हो रहा हो या शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ काम हो रहा हो, ऐसे में कम्युनिस्ट और छात्रों की ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है। यहां का हुक्मरान सोच रहा है कि जो कुछ है सब बेच दिया जाए, इसी कड़ी में अब शिक्षा भी बेची जा रही है। पब्लिक फंडेड एजुकेशन सिस्टम को तबाह किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पब्लिक के लिए खर्च किया जा रहा पैसा अब प्रधानमंत्री को फ्री की रेवड़ी लगने लगी है। ये रेवड़ियां नहीं है हमारे खून-पसीने की कमाई है। और इसे प्रधानमंत्री अपने चंद मित्रों को देने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सोचिए जब जेएनयू, जामिया, डीयू जैसे संस्थान बंद हो जाएंगे तो आपका क्या होगा। यहां आप चंद हज़ार रुपये में अपनी शिक्षा पूरी कर लेते हैं, लेकिन आज बहुत पैसा लिया जा रहा है। 

इन तीनों ही वक्ताओं ने नई शिक्षा नीति में खामियों के साथ-साथ मोदी सरकार के और कारनामे भी गिनाए। कि कैसे ये सरकार लगातार निजीकरण की ओर बढ़ रही है। 

आपको बता दें कि छात्र विरोधी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020  के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने और छात्रों को एकजुट करने के लिए 1 अगस्त 2022 को भारत के विभिन्न हिस्सों में अखिल भारतीय जत्था की शुरुआत हुई थी। नई शिक्षा नीति 2020 केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न तरीकों से शिक्षा का निजीकरण करने का एक प्रयास है। इनमें वित्तीय स्वायत्तता के नाम पर शुल्क बढ़ाना, कई निकास बिंदुओं के साथ चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम  को फिर से शुरू करना, मास्टर डिग्री को केवल एक वर्ष तक कम करना और एमफिल की डिग्री से पूरी तरह छुटकारा पाना शामिल है। उच्च शिक्षा के एक बड़े हिस्से को ऑनलाइन करने का भी प्रयास किया जा रहा है।

शिक्षा के निजीकरण के इस प्रयास के विरोध में, एसएफआई ने नई शिक्षा नीति 2020 के खिलाफ अखिल भारतीय जत्था की शुरुआत की थी, पिछले कई दिनों से जत्थे की तैयारी में, दिल्ली में कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के एसएफआई इकाइयों ने नई शिक्षा नीति 2020 के खिलाफ बाइक रैलियों और नुक्कड़ नाटकों का आयोजन किया। नुक्कड़ नाटकों में नई शिक्षा नीति 2020 के विभिन्न नुकसानों और देश भर के छात्रों पर पड़ने वाले प्रभाव को दर्शाया गया है। इस अभियान में प्रत्येक कॉलेज और विश्वविद्यालय परिसर के स्थानीय मुद्दों को भी संबोधित और शामिल किया गया है।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest