शिक्षक दिवस विशेष: कुछ तो अपनी पढ़ाई में गड़बड़ है सर!
'सारे सुख़न हमारे' में इस बार कविता की ज़बान में बात, आज की शिक्षा की...आज के शिक्षकों की...शिक्षा के बाज़ारीकरण की, शिक्षा के सांप्रदायीकरण की...दिनों-दिन और जाहिल हो रहे हैं/ न जाने क्या पढ़ाया जा रहा है!
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