श्रीलंका ‘एक चीन’ नीति को लेकर प्रतिबद्ध : राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे
कोलंबो: चीन के तीखे विरोध के बावजूद अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैन्सी पेलोसी के ताइवान के दौरे के एक दिन बाद श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने बृहस्पतिवार को कहा कि उनका देश एक-चीन नीति को लेकर दृढ़ता से प्रतिबद्ध है।
पेलोसी ने बुधवार को राष्ट्रपति साई इंग-वेन सहित ताइवान के शीर्ष नेतृत्व के साथ बातचीत की और ताइवान के लिए अमेरिका के मजबूत समर्थन की पुष्टि की। पेलोसी 25 वर्षों में ताइवान का दौरा करने वाली सर्वोच्च अमेरिकी अधिकारी बन गई हैं। पेलोसी के दौरे के बाद चीन ने घोषणा की कि वह जवाबी कार्रवाई में ताइवान के करीब सैन्य अभ्यास करेगा।
श्रीलंका के राष्ट्रपति ने बृहस्पतिवार को एक ट्वीट में कहा, ‘‘श्रीलंका में चीन के राजदूत क्यूई जेनहोंग के साथ एक बैठक के दौरान एक चीन नीति के साथ-साथ राष्ट्रों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के संयुक्त राष्ट्र चार्टर सिद्धांतों के लिए श्रीलंका की दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराया।’’
विक्रमसिंघे ने बुधवार को क्यूई के साथ अपनी बैठक के दौरान कहा कि देशों को उकसावे की किसी ऐसी स्थिति से बचना चाहिए जिससे मौजूदा वैश्विक तनाव और बढे। उन्होंने यह भी कहा कि ‘‘आपसी सम्मान और देशों के आंतरिक मामलों में गैर-हस्तक्षेप शांतिपूर्ण सहयोग और गैर-टकराव के लिए महत्वपूर्ण आधार हैं।’’
चीन के विदेश मंत्रालय ने दोहराया है कि दुनिया में केवल एक चीन है और ताइवान देश के क्षेत्र का एक अविभाज्य हिस्सा है। श्रीलंका 1948 में आजादी के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है और उसे चीन का बहुत सारा कर्ज चुकाना है। उच्च लागत वाली बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को श्रीलंका की दिवालिया स्थिति के लिए व्यापक रूप से दोषी ठहराया जाता है।
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