जो क्षेत्र लू से सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं उन पर अध्ययन में डाला गया प्रकाश
नयी दिल्ली: एक नए अध्ययन ने दुनिया भर में भीषण तापमान के विनाशकारी प्रभावों के जोखिम को झेलने वाले क्षेत्रों को उजागर किया है।
ब्रिटेन के ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के नेतृत्व में किए गए शोध में दिखाया गया है कि सामाजिक आर्थिक संवेदनशीलता के साथ मिलकर अभूतपूर्व गर्मी अफगानिस्तान, पापुआ न्यू गिनी और मध्य अमेरिका जैसे कुछ क्षेत्रों को सबसे अधिक संकट में डालती है। यह अध्ययन पत्रिका ‘नेचर कम्युनिकेशंस’ में प्रकाशित हुआ।
इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने चरम विचलन आंकड़ों, जलवायु मॉडल और अनुमानों के बड़े आंकड़ों का उपयोग विश्व स्तर पर उन क्षेत्रों को इंगित करने के लिए किया जहां तापमान का रिकॉर्ड जल्द ही टूटने की संभावना है। इसके परिणामस्वरूप लोगों के अत्यधिक गर्मी का सामना करने का सबसे बड़ा खतरा है।
शोधकर्ताओं ने इस बात को लेकर भी आगाह किया कि सांख्यिकीय रूप से असंभव नजर आने वाली चरम सीमाएं कहीं भी हो सकती हैं। उस स्थिति में वर्तमान रिकॉर्ड उस अंतर से टूट जाते हैं जो तब तक असंभव लगते थे जब तक वे घटित नहीं होते।
यह अध्ययन जिन क्षेत्रों में किया गया उनमें से 31 फीसदी या एक तिहाई में ये असंभावित घटनाएं देखने को मिली। इसमें 1959 से 2021 के बीच के उन आंकड़ों को लिया गया जिन्हें विश्वसनीय माना गया, जैसे कि 2021 पश्चिमी उत्तरी अमेरिका लू।
ब्रिस्टल विवि के काबोट इंस्टीट्यूट ऑफ एनवॉयरमेंट के जलवायु विज्ञानी और शोध के मुख्य लेखक डॉ. विक्की थॉम्पसन ने कहा, “हम उन क्षेत्रों की पहचान करते हैं जो अब तक इस संकट से बचे रहे हैं – इनमें से कुछ क्षेत्रों में जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, कुछ विकासशील देश हैं, कुछ पहले से ही बहुत गर्म हैं। हमें यह पूछने की आवश्यकता है कि क्या इन क्षेत्रों के लिए तापमान को लेकर पर्याप्त कार्य योजनाएं हैं।”
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