इतवार की कविता: युद्ध कब समाप्त होगा?
हमास के हमले के बाद इज़रायल ने फ़िलिस्तीन के ख़िलाफ़ बर्बर युद्ध छेड़ रक्खा है। जिसमें हज़ारों निर्दोष नागरिक ख़ासकर बच्चे और औरतें मारी जा रही हैं। इस मौके पर याद आते हैं फ़िलिस्तीनी प्रतिरोधी साहित्य के बड़े कवि महमूद दरवेश (1941-2008)। उनकी कविताओं में प्रेम, युद्ध, शांति के साथ फ़िलिस्तीनी जनता का दुख और संघर्ष मुखर होकर बोलता है। ऐसे संकट के समय में उनको पढ़ना और समझना बेहद ज़रूरी है।
हम कब मिलेंगे ?
वो बोली :
हम कब मिलेंगे ?
मैंने कहा :
युद्ध समाप्त होने के
एक साल बाद ।
उसने पूछा :
युद्ध
कब समाप्त होगा ?
मैंने कहा :
जब
हम मिलेंगे ।
अंग्रेज़ी से अनुवाद : दुष्यन्त
दूसरों के बारे में सोचो
जब तुम तैयार कर रहे होते हो अपना नाश्ता
दूसरों के बारे में सोचो
(भूल मत जाना कबूतरों को दाने डालना)
जब तुम लड़ रहे होते हो अपने युद्ध
दूसरों के बारे में सोचो
(मत भूलो उनके बारे में जो चाहते हैं शान्ति)
जब तुम चुकता कर रहे होते हो पानी का बिल
दूसरों के बारे में सोचो
(उनके बारे में जो टकटकी लगाए ताक रहे हैं मेघों को)
जब तुम जा रहे होते हो अपने घर की तरफ़
दूसरों के बारे में सोचो
(उन्हें मत भूल जाओ जो तंबुओं-छोलदारियों में कर रहे हैं निवास)
जब तुम सोते समय गिन रहे होते हो ग्रह-नक्षत्र-तारकदल
दूसरों के बारे में सोचो
(यहाँ वे भी हैं जिनके पास नहीं है सिर छिपाने की जगह)
जब तुम रूपकों से स्वयं को कर रहे होते हो विमुक्त
दूसरों के बारे में सोचो
(उनके बारे में जिनसे छीन लिया गया है बोलने का अधिकार)
जब तुम सोच रहे हो दूरस्थ दूसरों के बारे में
अपने बारे में सोचो
(कहो: मेरी ख़्वाहिश है कि मैं हो जाता अँधेरे में एक कंदील)
अंग्रेज़ी से अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह
एक आदमी के बारे में
उन्होंने उसके मुँह पर ज़ंजीरें कस दीं
मौत की चट्टान से बाँध दिया उसे
और कहा — तुम हत्यारे हो
उन्होंने उससे भोजन, कपड़े और अण्डे छीन लिए
फेंक दिया उसे मृत्यु-कक्ष में
और कहा — चोर हो तुम
उसे हर जगह से भगाया उन्होंने
प्यारी छोटी लड़की को छीन लिया
और कहा — शरणार्थी हो तुम, शरणार्थी
अपनी जलती आँखों
और रक्तिम हाथों को बताओ
रात जाएगी
कोई क़ैद, कोई ज़ंजीर नहीं रहेगी
नीरो मर गया था रोम नहीं
वह लड़ा था अपनी आँखों से
एक सूखी हुई गेहूँ की बाली के बीज़
भर देंगे खेतों को
करोड़ों-करोड़ हरी बालियों से
अंग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय
लोगों के लिए गीत
आओ ! दुख और ज़ंजीर के साथियों
हम चलें कुछ भी न हारने के लिए
कुछ भी न खोने के लिए
सिवा अर्थियों के
आकाश के लिए हम गाएँगे
भेजेंगे अपनी आशाएँ
कारखानों और खेतों और खदानों में
हम गाएँगे और छोड़ देंगे
अपने छिपने की जगह
हम सामना करेंगे सूरज का
हमारे दुश्मन गाते हैं —
"वे अरब हैं... क्रूर हैं..."
हाँ, हम अरब हैं
हम निर्माण करना जानते हैं
हम जानते हैं बनाना
कारखाने अस्पताल और मकान
विद्यालय, बम और मिसाईल
हम जानते हैं
कैसे लिखी जाती है सुन्दर कविता
और संगीत...
हम जानते हैं
अंग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय
मैं घोषणा करता हूँ
जब तक
मेरी एक बालिश्त ज़मीन भी शेष है
एक जैतून का पेड़ है मेरे पास
एक नीम्बू का पेड़
एक कुआँ
और एक कैक्टस का पौधा
जब तक
मेरे पास एक भी स्मृति शेष है
पुस्तकालय है छोटा-सा
दादा की तस्वीर है
और एक दीवार
जब तक
उच्चरित होंगे अरबी शब्द
गाए जाते रहेंगे लोकगीत
पढ़ी जाती रहेंगी —
कविता की पंक्तियाँ
अनतार-अल-अब्से की कथाएँ
फ़ारस और रोम के विरुद्ध लड़े गए
युद्धों की वीर गाथाएँ
जब तक
मेरे अधिकार में हैं मेरी आँखें
मेरे होंठ और मेरे हाथ
मैं खुद हूँ जब तक
मैं अपने शत्रु के समक्ष घोषित करूँगा —
मुक्ति के लिए प्रबल संघर्ष
स्वतन्त्र लोगों के नाम पर हर कहीं
मज़दूरों, छात्रों और कवियों के नाम पर
मैं घोषित करूँगा —
खाने दो कलंकित रोटी
कायरों को
सूरज के दुश्मनों को
मैं जब तक जीवित रहूँगा
मेरे शब्द शेष रहेंगे —
"रोटी और हथियार
मुक्ति-योद्धाओं के लिए"
अंग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय
सभी कविताएं साभार कविता कोश
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