इतवार की कविता: के मारल हमरा गांधी के गोली हो
लोककवि रसूल मियां (1872-1952), गांव- जिगना मजार टोला, जिला- गोपालगंज, बिहार। कविता कोश के परिचय के अनुसार भोजपुरी के शेक्सपियर नाम से चर्चित भिखारी ठाकुर, नाच या नौटंकी की जिस परम्परा के लोक कलाकार थे, उस परम्परा के पिता थे रसूल मियां (रसूल अंसारी )। गांधी जी की शहादत के दिन उनका ही एक लोकगीत।
के मारल हमरा गांधी के गोली हो
के मारल हमरा गांधी के गोली हो, धमाधम तीन गो ।
कल्हीये आजादी मिलल, आज चलल गोली ,
गांधी बाबा मारल गइले देहली के गली हो, धमाधम तीन गो ।
पूजा में जात रहले बिरला भवन में,
दुशमनवा बैइठल रहल पाप लिये मन में,
गोलिया चला के बनल बली हो, धमाधम तीन गो ।
कहत रसूल, सूल सबका के दे के,
कहां गइले मोर अनार के कली हो, धमाधम तीन गो ।
के मारल हमरा गांधी के गोली हो, धमाधम तीन गो ।
- रसूल
- (साभार कविता कोश)
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