गौहर रज़ा की नज़्म “साज़िश”
“तब समझो हर एक घटना का
आपस में गेहरा रिश्ता है,
ये धर्म के नाम पे साज़िश है,
और साज़िश बेहद गेहरी है।”
आपस में गेहरा रिश्ता है,
ये धर्म के नाम पे साज़िश है,
और साज़िश बेहद गेहरी है।”
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