सावधानी बरतें, एच3एन2 वायरस से घबराने की आवश्यकता नहीं: विशेषज्ञ
नयी दिल्ली: भारत में मौसमी इंफ्लूएंजा के उप-स्वरूप एच3एन2 से दो मरीजों की मौत की पुष्टि के बीच विशेषज्ञों ने कहा है कि इस वायरस से बचाव के लिए सतर्कता बढ़ाने और एहतियाती कदम उठाने की आवश्यकता है।
भारत में इस वायरस से दो लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, उनमें से एक मरीज कर्नाटक और दूसरा मरीज हरियाणा का था। कर्नाटक में हीरे गौड़ा (82) नाम के व्यक्ति की एच3एन2 वायरस से एक मार्च को मौत हो गई। वह मधुमेह से पीड़ित थे और उच्च रक्तचाप की भी समस्या थी। इसके अलावा हरियाणा में 56 वर्षीय एक कैंसर मरीज की एच3एन2 वायरस से मौत होने की पुष्टि हुई है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को साझा किये गये आंकड़ों के अनुसार, दो जनवरी से पांच मार्च तक देश में एच3एन2 के 451 मामले सामने आये हैं। मंत्रालय ने कहा कि वह स्थिति पर करीबी नजर रखे हुए है और माह के अंत से मामले घटने की उम्मीद है।
देश में #H3N2 इन्फ्लुएंजा वायरस के बढ़ते मामलों को लेकर समीक्षा बैठक की।
राज्यों को अलर्ट रहने और स्थिति की बारीकी से निगरानी करने के लिए एडवाइजरी जारी की गई है।
केंद्र सरकार स्थिति से निपटने के लिए राज्यों के साथ मिलकर काम कर रही है और सभी स्वास्थ्य उपायों के लिए तत्पर है। https://t.co/VKQKPBu1ew— Dr Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) March 10, 2023
अमेरिका के रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, एच3एन2 एक ऐसा इंफ्लूएंजा वायरस है जो आमतौर पर सूअरों से मनुष्यों में फैलता है। इसके लक्षण मौसमी फ्लू वायरस के समान होते हैं। इसमें बुखार और खांसी एवं बलगम समेत श्वसन संबंधी समस्या के लक्षण दिखाई देते है। इसके अलावा कुछ मरीजों को शरीर में दर्द, मतली, उल्टी या दस्त सहित अन्य समस्याएं भी होती हैं।
कुछ लोगों को आशंका है कि यह कहीं कोविड की तरह एक और संक्रमण नहीं हो, लेकिन पल्मोनोलॉजिस्ट अनुराग अग्रवाल ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि इसकी कोई बड़ी लहर आएगी।
‘अपोलो हॉस्पिटल’ के इंटरनल मेडिसिन विभाग में वरिष्ठ सलाहकार तरुण साहनी ने कहा, ‘‘अस्पताल में भर्ती होना बहुत आम नहीं है और केवल पांच प्रतिशत मरीजों के ही अस्पताल में भर्ती होने की सूचना मिली है।’’
साहनी ने कहा कि अभी घबराने की आवश्यकता नहीं है और कोविड के समय की तरह की सावधानी बरतने की जरूरत है।
‘इंडियन नेशनल यंग एकेडमी ऑफ साइंस’ (आईएनवाईएएस) की पूर्व छात्र और ‘ग्लोबल यंग एकेडमी’ (जीवाईए) की सदस्य उपासना रे ने कहा कि लॉकडाउन और लंबी अवधि के लिए मास्क के व्यापक उपयोग ने वायरस के अधिक खतरनाक उपस्वरूपों के संक्रमण को नियंत्रित करने में मदद की, लेकिन इसने नियमित रूप से होने वाले श्वसन संबंधी मौसमी वायरस संक्रमण से भी सुरक्षा प्रदान की, जबकि ये संक्रमण रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं।
विषाणुविज्ञानी रे ने कहा कि कम से कम दो साल तक मास्क के व्यापक उपयोग के कारण लोगों में श्वसन संबंधी समस्या से जुड़े वायरस के अन्य स्वरूपों के खिलाफ भी रोग प्रतिरोधी क्षमता खत्म हो गई।
अशोका विश्वविद्यालय में त्रिवेणी स्कूल ऑफ बायोसाइंसेस के डीन अनुराग अग्रवाल ने कहा, ‘‘लोगों में फ्लू के खिलाफ आम तौर पर रोग प्रतिरोधी क्षमता होती है और इसके टीके भी उपलब्ध है, इसलिए मुझे किसी बड़ी लहर की आशंका नहीं है, लेकिन हां, सभी संक्रमण और उनसे होने वाली मौत कुछ चिंता का कारण तो हैं।’’
आईडीएसपी-आईएचआईपी (इंटीग्रेटेड हेल्थ इन्फॉरमेशन प्लेटफॉर्म) पर उपलब्ध ताजा आंकड़ों के अनुसार, नौ मार्च तक इंफ्लूएंजा के विभिन्न स्वरूपों के 3,038 मामले सामने आये हैं, जिनमें एच3एन2 के मामले भी शामिल हैं।
इन आंकड़ों में, जनवरी के 1,245, फरवरी के 1,307 और नौ मार्च तक सामने आये 486 मामले शामिल हैं।
(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)
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