इज़राइल का बायकाट करना क्यों ज़रूरी है
इज़राइल का हर स्तर पर बायकाट या बहिष्कार करना इसलिए ज़रूरी है कि यह फ़िलिस्तीन में — और समूचे अरब जगत में — यहूदीवाद (Zionism), आतंकवाद और नस्लवाद/रंगभेद (apartheid) की विध्वसंकारी नीतियों पर बहुत क्रूर, आक्रामक ढंग से चल रहा है। उसने फ़िलिस्तीनी जनता का नस्ली सफ़ाया (ethnic cleansing) करने का अभियान चला रखा है।
इज़राइल ने समूचे फ़िलिस्तीनी भूभाग पर कब्ज़ा जमा रखा है। वह फ़िलिस्तीनी जनता का लंबे समय से —1948 से, जब से इज़राइल अस्तित्व में आया — बर्बर दमन और क़त्लेआम करता चला आया है।
7 अक्तूबर 2023 से गज़ा-फ़िलिस्तीन के ख़िलाफ़ इज़राइल की ओर से छेड़े गये जनसंहार युद्ध (genocidal war) में भयानक तबाही और विनाश हुआ है। ख़बरों के अनुसार, इज़राइली सैनिक हमले और बमबारी में 23 नवंबर 2023 तक 17000 से ज़्यादा फ़िलिस्तीनी नागरिक मारे जा चुके हैं। इनमें 4000 औरतें और 6300 बच्चे शामिल हैं। औरतों और बच्चों को किस कदर निशाना बनाया गया है, यह देखिये।
इस जनसंहार को देखते हुए कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इज़राइल बीते ज़माने के नाज़ी जर्मनी और रंगभेद वाले दौर के दक्षिण अफ्रीका से भी बदतर है। उनका कहना है कि इज़राइली राज्य मशीनरी आतंक, हिंसा, इस्लामोफ़ोबिया और नस्लभेद पर टिकी है। यह विश्लेषण यथार्थपरक है।
गज़ा-फ़िलिस्तीन में इज़राइल ने जो युद्ध अपराध—मानवता के ख़िलाफ़ अपराध—किया है, उसे देखते हुए दुनिया के कई देशों में यह मांग ज़ोर पकड़ रही है कि इज़राइल का हर स्तर पर बायकाट/बहिष्कार किया जाये और उससे राजनयिक संबंध तोड़ लिये जायें। यह मांग न्यायोचित है।
जब इज़राइल का मुकम्मल बहिष्कार करने की बात होती है, तो इसका मतलब होता हैः इज़रायल का राजनीतिक-राजनयिक-आर्थिक-सामरिक-वैज्ञानिक-सांस्कृतिक-साहित्यिक बहिष्कार, उस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाना, और मनोरंजन, खेलकूद और यात्रा के क्षेत्रों में बहिष्कार। इसमें संयुक्त राष्ट्र संघ और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों से इज़रायल को बाहर निकाल देने की मांग शामिल है।
गज़ा-फ़िलिस्तीन पर इज़राइल के बर्बर हमले और जनसंहारक कार्रवाई को देखते हुए कई देशों ने उससे या तो अपने राजनयिक संबंध तोड़ लिये हैं या राजनयिक संबंधों को स्थगित कर दिया है या अपने राजदूतों को इज़राइल से वापस बुला लिया है। इन देशों में बोलिविया, दक्षिण अफ्रीका, चिली, कोलंबिया, बेलिज़, चाड, बहरीन, होंडुरास, जार्डन और तुर्की शामिल हैं।
यहां यह बता दिया जाये कि सऊदी अरब की राजधानी रियाद में 11 नवंबर 2023 को इस्लामी-अरब देशों के सम्मेलन में यह प्रस्ताव जारी किया गया था कि गज़ा पर हमला करने के लिए इज़राइल पर अंतर्राष्ट्रीय अपराध अदालत (आईसीसी) में युद्ध अपराध का मुक़दमा चलाया जाना चाहिए।
एक ज़रूरी तथ्य की ओर, जो प्रायः ओझल रहता है, हमारा ध्यान जाना चाहिए। गज़ा पर इज़राइल के भीषण हमले और बमबारी, तबाही और इलाक़े को लोगों से पूरी तरह खाली कराने के पीछे एक और कारण भी है। वह हैः तेल। गज़ा की ज़मीन के नीचे कच्चे तेल का अपार भंडार है, जिसकी क़ीमत क़रीब 64 अरब डॉलर आंकी गयी है।
इस तेल संपदा पर इज़राइल की गिद्ध दृष्टि है, और इसके लिए वह पूरी तरह गज़ा पर कब्ज़ा जमा लेना चाहता है। इस कच्चे तेल को निकालने के लिए इज़रायल ने अमेरिका और यूरोप की पेट्रोलियम कंपनियों से समझौते किये हैं।
गज़ा की तेल संपदा पर कब्ज़ा करने के लिए अगर जनसंहार भी करना पड़े, तो इज़राइल को कोई हिचक नहीं है!
लेखक कवि और राजनीतिक विश्लेषक हैं
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।