वे महिलाएं जिन्होंने बाधाओं को तोड़ कर सत्तारूढ़ निज़ाम के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ीं और जीत गईं
4 जून, 2024 को 18वीं लोकसभा के चुनाव के नतीजे घोषित किए गए। ये आम चुनाव विपक्ष के लिए एक सुखद पल लेकर आया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के नेतृत्व में विपक्षी पार्टियों ने इंडिया गठबंधन के रूप में एक साथ लड़ने का फैसला किया और इस तरह गठबंधन कुल 232 सीटें जीतने में सफल रहा। विपक्ष द्वारा लड़ी गई इस बहादुरी भरी लड़ाई की एक बड़ी सफलता महिला उम्मीदवारों की जीत के रूप में देखी जा सकती है, जिनमें से कई वंचित और अल्पसंख्यक समुदायों से हैं।
इस बार कुल 797 महिला उम्मीदवारों ने लोकसभा चुनाव लड़ा और 30 से ज़्यादा महिलाएं अपनी सीटें जीत गईं। हालांकि, अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों से जीतने वाली महिलाओं की संख्या 2019 के लोकसभा चुनावों की तुलना में काफ़ी कम है। उस समय 78 महिला उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी, लेकिन इनमें से कई महिलाओं, ख़ास तौर पर जो विपक्ष के तौर पर लड़ी थीं, उनको इस चुनाव में विजयी होने के लिए विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए काफ़ी संघर्ष करना पड़ा था। नीचे दी गई सूची कुछ महिलाओं द्वारा लड़ी गई मजबूत लड़ाई के बारे में कुछ जानकारी देती है:
1. महुआ मोइत्रा: पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर सीट से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की उम्मीदवार महुआ मोइत्रा ने 56,705 वोटों से जीत हासिल की है। संसद में 26 जून 2020 को महुआ द्वारा दिया गया भाषण- जिसमें “फासीवाद निज़ाम” की तरफ इशारा किया था, उनके इस पहले भाषण ने उन्हें सोशल मीडिया पर प्रशंसा दिलाई और उन्हें देश भर में समर्थकों ने सराहा। भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार यानी अपनी प्रतिद्वंद्वी अमृता रॉय के खिलाफ उनकी शानदार जीत उनके उदार रुख के साथ-साथ लोगों के विश्वास को भी बयां करती है। किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि मोइत्रा के लिए यह जीत कितनी महत्वपूर्ण थी, क्योंकि 2023 में विवादास्पद कैश-फॉर-क्वेरी मामले में उन्हें उनकी लोकसभा सीट से निष्कासित कर दिया गया था। इस दौरान, मोइत्रा ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों से इनकार किया था और वे अब लोगों के भारी जनादेश के साथ, फिर से संसद में वापसी की हैं, इस बार – इसकी पूरी संभावना है – उन्हें एक अस्थिर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का सामना करना पड़ेगा। जैसा कि मोइत्रा ने खुद अपनी जीत स्वीकार करते हुए कहा- यह जीत उनके लिए सिर्फ़ एक व्यक्तिगत जीत नहीं है, बल्कि उन लोगों को करारा जवाब है, जिन्होंने उनकी आवाज़ दबाने की कोशिश की थी।
You shut the door. We broke the wall down. pic.twitter.com/wZuMmjV4hO
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) June 5, 2024
Thank you Krishnanagar, thank you @mamataofficial thank you INDIA pic.twitter.com/PIUUulcRq2
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) June 4, 2024
2. वर्षा एकनाथ गायकवाड़: इन्हें कांग्रेस ने मैदान में उतारा था और दलित नारीवादी नेता, वर्षा एकनाथ गायकवाड़ ने भाजपा के उज्ज्वल निकम को कड़ी टक्कर में हराकर मुंबई उत्तर मध्य निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की है। वर्षा, जिन्हें लोग प्यार से वर्षा ताई कहते हैं, उन्होंने 16,514 वोटों के अंतर से जीत हासिल की है। मतगणना के अंत तक, वर्षा और निकम के बीच की लड़ाई ने सभी को चौंका दिया था, निकम कुछ राउंड में आगे चल रहे थे, लेकिन यह वर्षा ही थीं जिनको अंत में लोगों का जनादेश मिला। यह ध्यान रखना जरूरी है कि वर्षा को शिवसेना (यूबीटी) का समर्थन था और पूरे मुंबई महानगर क्षेत्र से एकमात्र कांग्रेस उम्मीदवार थीं जिन्होंने जीत दर्ज़ की हैं। कई राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने वर्षा की जीत को “सभी बाधाओं के खिलाफ” जीत कहा, क्योंकि एआईएमआईएम उम्मीदवार भी उनकी सीट से मैदान में थे। वर्षा, जो कांग्रेस के दिग्गज नेता एकनाथ गायकवाड़ की बेटी हैं, उनसे बहुत उम्मीदें जुड़ी हैं क्योंकि वे एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में सेवा करने की पृष्ठभूमि से आती हैं और 2009-2010 में महाराष्ट्र की शिक्षा मंत्री भी रह चुकी हैं। पड़ोसी मुंबई दक्षिण मध्य निर्वाचन क्षेत्र में धारावी के लोगों के साथ उनके सैद्धांतिक रुख ने भी उन्हें स्थायी समर्थन दिलाया है।
आम्ही रक्षक संविधानाचे
आम्ही लढवय्ये न्यायाचे
आम्हाला आशीर्वाद जनतेचा
आम्हावर विश्वास जनमानसांचा
विजय गुलाल आपलाच..!
हा ऐक्याचा, आघाडीचा, सत्याचा, लोकशाहीचा, जनमानसाचा विजय..!
माझ्यावर, काँग्रेस पक्षावर आणि इंडिया-महाविकास आघाडीवर दाखवलेल्या विश्वासाबद्दल मी मुंबई उत्तर… pic.twitter.com/vFBvTt07aY— Prof. Varsha Eknath Gaikwad (@VarshaEGaikwad) June 4, 2024
Congratulations to @VarshaEGaikwad Ji in the Lok Sabha elections! Here's to your ongoing achievements and a prosperous journey ahead!#VarshataiGaikwad #ElectionResults pic.twitter.com/2Xf5oZbEm2
— Rais Shaikh (@rais_shk) June 4, 2024
3. कनिमोझी करुणानिधि: तमिलनाडु के थूथुकुडी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहीं द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) की कनिमोझी करुणानिधि 5,40,729 वोट पाकर निर्वाचन क्षेत्र में अपनी सीट बरकरार रखने में सफल रहीं हैं। एनडीए के एसडीआर विजयसेलन और ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) के शिवसामी वेलुमणि के खिलाफ उनकी जीत ने सीएम स्टालिन के नेतृत्व में डीएमके के गढ़ को मजबूत किया था। गौरतलब है कि कनिमोझी पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत एम॰ करुणानिधि की बेटी हैं। कनिमोझी ने चुनावों के दौरान जोरदार प्रचार किया था और तमिलनाडु के लोगों से केंद्र में “तानाशाह” सरकार को सत्ता में आने से रोकने की अपील की थी, एक ऐसा राज्य जिसने भगवा पार्टी को किसी भी तरह की बढ़त बनाने से बार-बार खारिज किया था।
#TamilNadu
DMK’s Kanimozhi Karunanidhi wins Thoothukudi Lok Sabha constituency by 3,92,738 votes.#ElectionsWithIndependentMedia pic.twitter.com/GxPJC36KIW— TheNewsMinute (@thenewsminute) June 4, 2024
4. इकरा मुनव्वर हसन: उत्तर प्रदेश के नतीजों ने लोकसभा चुनावों में खेल को बदल दिया है और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उभरी नई स्टार इकरा हसन हैं। कैराना निर्वाचन क्षेत्र से समाजवादी पार्टी द्वारा मैदान में उतारे गए लंदन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीड से अंतर्राष्ट्रीय कानून में स्नातकोत्तर इकरा हसन ने भाजपा के प्रदीप कुमार और बहुजन समाज पार्टी के श्रीपाल के खिलाफ 69,116 मतों के अंतर से जीत हासिल की है। इकरा दो बार सांसद और दो बार विधायक रह चुके स्वर्गीय मुनव्वर हसन की बेटी हैं। यह भी ध्यान रखना चाहिए कि 28 वर्षीय इकरा एक नारीवादी हैं, जिन्होंने अपने परिवार की “सेवा की विरासत” को बनाए रखने के लिए यह चुनाव लड़ा है।
धन्यवाद कैराना ✌️ pic.twitter.com/QidAZvj6o2
— Iqra Munawwar Hasan (@Iqra_Munawwar_) June 4, 2024
राज्य की राजनीति में गहराई से डूबी हुई और राजनीतिक परिवार से आने वाली, इकरा ने राजनीति को लोगों के मुद्दों, खासकर महिलाओं को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर वापस लाने और भाजपा की सांप्रदायिक राजनीति के कारण लोगों के बीच बनी खाई को पाटने की कोशिश की थी। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में, मतदाताओं ने इकरा को युवा, शिक्षित, बेबाक और बेदाग बताया था। द हिंदू को दिए एक साक्षात्कार में इकरा ने बताया था कि वह यूपी में जिन मुद्दों पर काम करना चाहती हैं, उनमें किसान और महिला शिक्षा शामिल हैं।
6. गेनीबेन नागाजी ठाकोर: कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के लिए एक उल्लेखनीय जीत यह रही कि कांग्रेस उम्मीदवार गेनीबेन नागाजी ठाकोर ने बनासकांठा लोकसभा सीट पर जीत हासिल की, उन्होंने भाजपा की रेखा चौधरी को 30,000 मतों के अंतर से हराया है। भले ही गुजरात में कांग्रेस को केवल एक सीट मिली हो, लेकिन ठाकोर की जीत महत्वपूर्ण थी क्योंकि इसने गुजरात में तीसरी बार लगातार सभी 26 सीटों पर कब्जा करने की भाजपा की महत्वाकांक्षा को चकनाचूर कर दिया है। यह भी ध्यान रखना चाहिए कि बनासकांठा पारंपरिक रूप से भाजपा का गढ़ रहा है। ऐसे राज्य में जहां सूरत में भाजपा उम्मीदवार ने निर्विरोध जीत हासिल की थी, एक दशक के बाद एक कांग्रेस उम्मीदवार की जीत का मतलब राज्य में सेंध लगाना था जहां किसी भी विपक्ष के पास उचित मौका नहीं था। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि ठाकोर पिछले साल गुजरात विधानसभा द्वारा निलंबित किए गए 16 विधायकों में से एक थीं। इसके अनुसार, फरवरी 2024 में, ठाकोर और 10 अन्य कांग्रेस विधायकों को राज्य में फर्जी सरकारी कार्यालयों के बारे में बोलने के लिए फिर से निलंबित कर दिया गया था। जैसे ही उनकी जीत वायरल हुई, रिपोर्टें सामने आईं कि कैसे 2024 में, ठाकोर ने वित्तीय बाधाओं का सामना करने के बावजूद आम चुनाव लड़ने का फैसला किया। 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए उनके अभियान को क्राउडफंडिंग से चलाया गया था, क्योंकि कांग्रेस ने कहा था कि वह अपने उम्मीदवारों को वित्तीय रूप से समर्थन देने की स्थिति में नहीं है।
Geniben Thakor of Congress won historic seat in Banaskantha, Gujarat. She had to crowdsource funds to contest.
Such stories needs to be cherished. pic.twitter.com/MvZtlxtmqK— Nehr_who? (@Nher_who) June 4, 2024
HISTORY CREATED IN GUJARAT ⚡
Congress party has opened its account in Gujarat after decade.
Geniben Thakor has won with over 40,000 votes from Banaskantha 🔥#ElectionsResults pic.twitter.com/aJv0oza2uk— Ankit Mayank (@mr_mayank) June 4, 2024
7. सुप्रिया सुले: शरद पवार की बेटी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) की सुप्रिया सुले को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसमें उनकी पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह छीन लिया जाना और अब समाप्त हुए लोकसभा चुनावों में अलग-थलग पड़े परिवार के सदस्यों के खिलाफ़ मुकाबला करना शामिल है। लेकिन अंत में, वे 1 लाख 55 हज़ार से ज़्यादा वोटों से अपनी बारामती लोकसभा सीट बचाने में सफल रहीं। भारत के चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, सुले को 7,32,312 वोट मिले, जबकि सुनेत्रा पवार को 5,73,979 वोट मिले हैं।
📍पक्ष कार्यालय, मुंबई ⏭️ 04-06-2024
➡️ मुंबई येथे आयोजित पत्रकार परिषदेतून लाईव्ह https://t.co/MNe91xDJwI— Supriya Sule (@supriya_sule) June 4, 2024
Thank you 🙏@Jayant_R_Patil @Rohini_khadse pic.twitter.com/uhkpFJomid
— Supriya Sule (@supriya_sule) June 4, 2024
ये बड़ी लड़ाई सुले ने अपनी भाभी सुनेत्रा पवार के खिलाफ लड़ी और जीती, जो महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की पत्नी और राजनीति में पहली बार उतरी हैं। सुले के खिलाफ़ हालात दिख रहे थे क्योंकि सुले के चचेरे भाई अजीत पवार, जिन्होंने पिछले साल उनके पिता शरद पवार के खिलाफ़ विद्रोह किया था और पार्टी को विभाजित किया था, उनको बारामती के पारिवारिक गढ़ में काफ़ी समर्थन हासिल है। और फिर भी, सुले लगातार चौथी बार अपनी सीट जीतने में सफल रहीं। सुले को उनके बेहतरीन संसदीय कार्यों के लिए जाना जाता है और उन्होंने कन्या भ्रूण हत्या जैसे कई मुद्दों पर अपना पक्ष रखा है, और LGBTQIA+ अधिकारों की भी प्रबल समर्थक रही हैं।
8. प्रिया सरोज: लोकसभा चुनाव जीतने वाली सबसे कम उम्र की महिला उम्मीदवार प्रिया सरोज हैं, जिन्होंने समाजवादी पार्टी के टिकट पर उत्तर प्रदेश की मछलीशहर सीट से चुनाव लड़ा था। सरोज तीन बार के सांसद रहे तूफानी सरोज की बेटी हैं और पेशे से वकील हैं। वे मौजूदा भाजपा सांसद भोलानाथ के खिलाफ 35,850 वोटों के अंतर से विजयी हुईं हैं। मैदान में 12 उम्मीदवार थे, जिनमें बसपा के कृपाशंकर सरोज भी शामिल थे, जिन्हें 157,291 वोट मिले हैं। बाकी नौ उम्मीदवार चार का आंकड़ा पार नहीं कर पाए और उन्हें नोटा से भी कम वोट मिले, और कुल 9,303 वोट मिले हैं।
मछलीशहर की जनता ने इतिहास रच दिया है,
यह संविधान की जीत है, यह इंडिया की जीत है 🇮🇳
ये लोकतंत्र की जीत है!
धन्यवाद मछलीशहर🙏🏻 pic.twitter.com/a295jCAmtg— Priya saroj ( socialist ) (@PriyaSarojSP) June 5, 2024
"आपके प्रेम और आशीर्वाद के लिए मैं दिल से आभारी हूँ। धन्यवाद मछलीशहर 🙏🏻" pic.twitter.com/gTacjbJej5
— Priya saroj ( socialist ) (@PriyaSarojSP) June 4, 2024
9. मीसा भारती: आरजेडी नेता लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती ने केंद्रीय मंत्री और बिहार के पाटलिपुत्र से मौजूदा सांसद राम कृपाल यादव के खिलाफ 85,174 वोटों से जीत हासिल की है, जबकि इससे पहले वे दो बार मामूली अंतर से हार चुकी थीं। उनकी जीत इसलिए भी जरूरी थी क्योंकि पाटलिपुत्र सीट, जो पटना जिले के ग्रामीण इलाकों को कवर करती है, वह भी एक ऐसा निर्वाचन क्षेत्र है जहां से लालू यादव 2009 में एक बार हारे थे। यह ध्यान देने वाली बात है कि पीएम मोदी ने खुद भारती के खिलाफ प्रचार किया था, जो लालू यादव और राबड़ी देवी की सबसे बड़ी बेटी हैं।
जीत आपकी
जीत पाटलिपुत्र की!#पाटलिपुत्र के प्रत्येक मतदाता, @RJDforIndia के प्रत्येक कार्यकर्ता, आदरणीय @laluprasadrjd जी एवं @yadavtejashwi जी समेत तमाम नेतागण, समर्थकों एवं शुभचिंतकों का बहुत बहुत धन्यवाद! 🙏 pic.twitter.com/MhWlubNf7R— Dr. Misa Bharti - विजयी पाटलिपुत्र! ✌️ (@MisaBharti) June 5, 2024
डॉ. प्रभा मल्लिकार्जुन और प्रियंका जारकीहोली: कर्नाटक राज्य में कांग्रेस पार्टी ने कुल छह उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से डॉ. प्रभा मल्लिकार्जुन और प्रियंका जारकीहोली ने क्रमशः दावणगेरे और चिक्कोडी निर्वाचन क्षेत्रों से जीत हासिल की। प्रियंका लोक निर्माण विभाग मंत्री सतीश जारकीहोली की बेटी हैं, जबकि डॉ. प्रभा, खान और भूविज्ञान मंत्री एस एस मल्लिकार्जुन की पत्नी हैं। यहां दोनों ही महिलाओं की राजनीतिक विरासत का संकेत मिलता है।
साभार: सबरंग इंडिया
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