फ़ैक्ट-चेक: क्या शाहजहां ने ताजमहल बनाने वाले मजदूरों के हाथ कटवा दिए थे?
प्रधानमंत्री मोदी ने 13 दिसंबर को काशी विश्वनाथ धाम का उद्घाटन किया. उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर में सफाई कर्मियों पर फूल बरसा कर मंदिर को साफ रखने के लिए आभार प्रकट किया.
इसके बाद न्यूज़18 के ऐंकर अमीश देवगन ने पीएम की तुलना 17वीं सदी के मुगल बादशाह शाहजहां से की. उन्होंने दावा किया कि जहां पीएम मोदी ने सफाई कर्मियों पर फूलों की बौछार की, वहीं शाहजहां ने ताजमहल बनाने वालों के हाथ काट दिए थे.
मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने ताजमहल को बनाने वाले मज़दूरों के हाथ कटवाए थे, और भव्य काशी धाम बनाने वाले मज़दूरों पर PM मोदी ने फूल बरसाए हैं । pic.twitter.com/hXQkewb58u
— Amish Devgan (@AMISHDEVGAN) December 13, 2021
ये दावा गुजरात के केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी किया. उन्होंने गुजराती में कहा, “ताजमहल के मजदूरों के हाथ काट दिए गए थे, और दूसरी तरफ पीएम मोदी हैं जिन्होंने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के विकास के लिए कार्यकर्ताओं पर आभार व्यक्त करने के लिए फूल बरसाए.”
#WATCH | On one hand, Taj Mahal workers' hands were chopped off, and then there is PM Modi who showered flowers on the workers behind development of the Kashi Vishwanath corridor to express his gratitude: Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar in Anand, Gujarat pic.twitter.com/nXyLjMp8CL
— ANI (@ANI) December 16, 2021
भाजपा नेता विनय तेंदुलकर ने ट्विटर पर यही दावा किया.
Shah Jahan - Chopped off the hands of the craftsmen who made taj mahal.
Narendra Modi - Paid respect by blessing them with flower shower as a sign of gratitude towards their hard work.
There is a huge difference in culture, intentions and conscience.#KashiVishwanathDham pic.twitter.com/yGo5z35QIU
— Vinay Tendulkar (@TendulkarBJP) December 14, 2021
ऑल्ट न्यूज़ ने देखा कि ये दावा कई सालों से चलाया जा रहा है. इसे शेयर करने वाले सबसे पुराने उदाहरणों में एक, 2010 में यूके स्थित एक वेरीफ़ाईड मीडिया अकाउंट वायर्ड ने किया था. इससे छह साल पहले यूके के प्रमुख न्यूज़ पोर्टल द गार्डियन ने भी यही दावा किया था.
ये दावा महज एक काल्पनिक कहानी
ये दावा कि शाहजहां ने ताजमहल बनाने वालों के हाथ काट दिए, महज एक लोकप्रिय कहानी है जिसे सालों से सुनाया जाता रहा है. ऑल्ट न्यूज़ ने इतिहासकार एस इरफ़ान हबीब से बात की जिन्होंने बताया, “मैं ये कह सकता हूं कि इस बात का न तो कोई सबूत है और न ही किसी विश्वसनीय इतिहासकार ने कभी इस तरह का दावा किया है. गौरतलब है कि ये बातें 1960 के दशक की हैं और मैंने भी इसे सुना है. हालांकि, एक उल्लेखनीय अंतर ये है कि आज इसे सांप्रदायिक ऐंगल के साथ चलाया जा रहा है. और उस वक्त ये शाहजहां पर किया गया एक मज़ाक हुआ करता था. ”
गूगल बुक्स पर हमें रांची विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग द्वारा 1971 में पब्लिश किया गया ‘जर्नल ऑफ़ हिस्टोरिकल रिसर्च’ मिला. इसमें इस कहानी का ज़िक्र है. हालांकि, यहाँ ये भि लिखा है कि इसमें कितनी सच्चाई है इस बात का कोई प्रमाण नहीं है.
2017 में द टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने ताजमहल के बारे में कई फ़र्ज़ी ख़बरों को खारिज़ किया था जिनमें ये हाथ काटने वाली कहानी भी शामिल है. आर्टिकल में लिखा है, “ये कहानी मौजूद सबूतों और ताज गंज नामक एक विशाल बस्ती जो आज भी मौजूद है, से अलग है. ये सम्राट शाहजहां ने हज़ारों राजमिस्त्री, कारीगरों और अन्य मजदूरों को रखने के लिए बनाई थी, जो उनके साम्राज्य के दूर के हिस्सों से आये थे. उन मजदूरों के वंशज अभी भी वहां रहते हैं और अपने पूर्वजों के कौशल का अभ्यास करते हैं.” इसे पत्रकार मणिमुग्धा शर्मा ने लिखा है.
इंडिया टुडे ने 2016 में शाहजहां के बारे में बहुत फैक्ट्स को संकलित किया था, जहां इस दावे को फिर से झूठ बताया गया था कि उन्होंने कारीगरों के हाथ काट दिए.
इसी साल, पाकिस्तान स्थित न्यूज़ आउटलेट डॉन ने न्यूयॉर्क स्थित राजीव जोसेफ़ के नाटक ‘गार्ड्स एट द ताज’ के बारे में एक आर्टिकल पब्लिश किया जो उसी कहानी पर आधारित है. आर्टिकल में लिखा गया है, “शाहजहां के 40 हज़ार हाथ काटने के आदेश देने की कहानी लोककथाओं में शामिल हो गई है. भले ही उस समय का एक भी आर्टिकल इस घटना को कंफ़र्म नहीं करता. ये फ़ैक्ट है कि इसे मुगलों के साथ-साथ उस समय के दूसरे राजाओं के शक्ति के प्रमाण के तौर पर अभी भी सच माना जाता है.” हिंदुस्तान टाइम्स ने भी एक नाटक पर रिपोर्ट पब्लिश की थी.
इससे भी ज़रूरी बात ये है कि दिसंबर 2021 तक ताजमहल की आधिकारिक वेबसाइट पर ऐसी कोई जानकारी नहीं दी गई है. वेबसाइट ताज टूअर्स ने इस कहानी के बारे में एक ब्लॉग पब्लिश किया था. ब्लॉग में ये अनुमान लगाया गया है कि कैसे ये कहानी अस्तित्व में आया होगा. “असल में, शाहजहां ने अपने कार्यकर्ताओं पर एक नैतिक बंधन लगाया कि वे किसी अन्य सम्राट के लिए काम नहीं कर सकते. आधुनिक समय में हम इसे सम्राट और उसके कार्यकर्ताओं के बीच का कॉन्ट्रैक्ट कहते हैं. इस तरह, “मजदूरों के हाथ काट दिए गए” कहावत अस्तित्व में आई क्योंकि ये मजदूर किसी दूसरे सम्राट से नया काम नहीं मांग सकते थे.
मणिमुग्धा शर्मा ने ताजमहल के बारे में ग़लत सूचनाओं के संबंध में कई आर्टिकल्स लिखे हैं. उन्होंने ऑल्ट न्यूज़ से बात करते हुए इस दावे का कोई भी ऐतिहासिक आधार होने का खंडन किया.
न्यूज़ 18 के ऐंकर अमीश देवगन और बीजेपी नेता एनएस तोमर ने शाहजहां और PM मोदी की तुलना करते हुए दशकों पुरानी झूठ को हवा दी. जबकि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि शाहजहां ने ताजमहल बनाने वाले मजदूरों के हाथ काट दिए थे.
साभार : ऑल्ट न्यूज़
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