SARS-CoV-2 संरचना की खोज ने एंटीवायरल दवा को संभव बनाया
आणविक जीव विज्ञान (मॉलिक्यूलर बायोलॉजी) में संरचनाएं एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। प्रमुख प्रोटीन (एंजाइम) की क्रिया संरचनाओं पर निर्भर करती है। परिणामस्वरूप प्रोटीन विभिन्न एमीनो एसिड से बने होते हैं और एक विशेष प्रोटीन में एमीनो एसिड एक विशेष जीन द्वारा निर्देशित होते हैं। अपने परिपक्व और कार्यात्मक रूपों में प्रोटीन अपनी विशेष 3 डी संरचना बना लेते हैं। प्रोटीन की संरचना में परिवर्तन कई रोगजनक स्थितियों को जन्म दे सकता है, जिसे प्रोटिओपैथी के रूप में जाना जाता है।
जहां तक प्रोटीन की कार्यक्षमता का सवाल है यदि संरचना का खास महत्व है तो इसके विपरीत एक प्रमुख प्रोटीन की संरचना की विकृति जो एक रोगज़नक़ के अस्तित्व और गुणन के लिए आवश्यक है ऐसे में रोगज़नक़ की बहुलता को भी रोक सकती है। अन्यथा,इस तरह के प्रोटीन की संरचना को जानने से शोधकर्ताओं को इसे रोकने और इसे निष्क्रिय करने के लिए कुछ अणुओं (दवा) को विकसित करना पड़ सकता है।
COVID-19 महामारी के पीछे की वजह SARS-CoV-2 में भी इसके अस्तित्व के लिए ऐसे प्रमुख प्रोटीन हैं और इसकी संरचना को जानकर भविष्य में होने वाले मर्ज का इलाज तैयार किया जा सकता है। इस वायरस का एक ऐसा महत्वपूर्ण एंजाइम आरएनए पर निर्भर आरएनए पोलीमरेज़ (आरडीआरपी, जिसे एनएसपी 12 भी कहा जाता है) है। यह एंजाइम कोरोनावायरस के रिप्लिकेशन और ट्रांसक्रिप्सन के लिए महत्वपूर्ण है। दूसरे शब्दों में,एनएसपी12 की संरचना को जानने से यह समझने में मदद मिल सकती है कि दवा का अणु कैसा होना चाहिए।
एक कदम आगे बढ़ते हुए चीनी शोधकर्ताओं के एक समूह ने इसके अस्तित्व के लिए प्रमुख वायरल एंजाइम की संरचना को सफलतापूर्वक डिकोड किया है।
इस संरचना से पता चलता है कि एनएसपी12 की मुख्य संरचना अन्य वायरल पॉलिमर के समान है। इसके अलावा, एनएसपी12 के पास एक नया पहचाना गया क्षेत्र है जिसे बीटा हेयरपिन डोमेन के रूप में जाना जाता है। 10 अप्रैल को जर्नल साइंस में प्रकाशित अध्ययन में यह तथ्य भी शामिल है कि बहुप्रचारित एंटी वायरल रेमेडिसविर इस पॉलीमरेज़ से जुड़ सकता है।
इस अध्ययन में, वायरल पोलीमरेज़ के साथ, इसकी सह-कारक (को-फैक्टर) संरचनाएं भी निर्धारित की गईं। सह कारक गैर-प्रोटीन रासायनिक यौगिक या आयन हैं जो एक एंजाइम से चिपके रहते हैं और एंजाइम का उचित कार्य सुनिश्चित करते हैं। सह कारकों के साथ मिश्रित पोलीमरेज़ की समग्र संरचना SARS-CoV की संरचना के समान है।
नोवल कोरोनावायरस पर रेमडिसिविर का कार्य
रेमडिसिविर एक एंटी-वायरल दवा है जिसे मूल रूप से इबोला संक्रमण के इलाज के लिए विकसित किया गया था। यह एंटी-वायरल एजेंट वायरस के आरएनए-डिपेंडेंट आरएनए पोलीमरेज़ के साथ दखल के पश्चात कार्य करता है। यह इस तरह से दखल देता है कि वायरल आरएनए का उत्पादन कम हो जाता है, इस प्रकारभोजनदायी शरीर ( host’s body) के अंदर वायरस के प्रसार को अवरुद्ध करता है। साल 2015 में, यह पाया गया कि रेमडिसिविर ने प्री-क्लिनिकल परीक्षणों में रीसस बंदरों में इबोला वायरस को रोक दिया।
प्रमुख वायरल पोलीमरेज़ की संरचना का पता लगाने के साथ, चीनी शोधकर्ता यह भी पता लगाने में लगे हैं कि रेमडिसिविर नोवल कोरोनवायरस के पॉलीमरेज़ को कितना प्रभावी रूप से रोक सकता है और इसकी क्रिया को बाधित कर सकता है। पोलीमरेज़ के अवरोध का अर्थ है कि वायरल आरएनए के उत्पादन को कम करना और इस तरह इसे अवरुद्ध करना। उनके विश्लेषण से पता चला कि रेमडिसिविर पोलीमरेज़ का एक संभावित अवरोधक हो सकता है क्योंकि यह महत्वपूर्ण स्थिति में इसे रोक सकता है।
रेमडिसिविर के अलावा, अन्य संभावित ड्रग सैम्पल हो सकते हैं, उदाहरण के लिए फेविपिराविर, जो क्लिनिकल ट्रायल में प्रभावी साबित हुआ है। वायरल पोलीमरेज़ एनएसपी12 पर विचार की जाने वाली सभी चीजें भविष्य की चिकित्सा के लिए एक अच्छे लक्ष्य की तरह दिखते हैं और जैसा कि यह संरचना अब उपलब्ध है यह उम्मीद की जा सकती है कि इस तरह के एक चिकित्सा संबंधी या ड्रग एजेंट का विकास बहुत जल्द संभव हो सकता है। इसके अलावा, यह अध्ययन करने में मदद कर सकता है कि पहले से मौजूद दवा सैम्पल भोजनदायी शरीर के अंदर वायरस के प्रसार को रोकने में किसी भी तरह की मदद कर सकते हैं या नहीं।
अंग्रेज़ी में लिखे मूल आलेख को आप यहाँ पढ़ सकते हैं।
How Discovering the Structure of SARS-CoV-2 Makes Antiviral Drug Design Possible
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