बंगाल: मनरेगा आवंटन रोके जाने के ख़िलाफ़ वाम मोर्चा की मेगा-रैली, हज़ारों लोग शामिल
कोलकाता: केंद्र द्वारा पश्चिम बंगाल के मनरेगा फंड आवंटन को रोके जाने के विरोध में वाम मोर्चा द्वारा बुलाई गई 'महा मिचिल' या 'मेगा रैली' में भाग लेने के लिए शहर और आसपास के शहरी इलाक़ों से हज़ारों लोग बुधवार को कोलकाता पहुंचे।
आपकों बता दें कि यह रैली, ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना के संबंध में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पर लगे भ्रष्टाचार के कथित आरोपों की श्रृंखला की पृष्ठभूमि में आयोजित की गई थी। इसके साथ ही रैली का उद्देश्य केंद्र की सत्तारूढ़ भाजपा की "राज्य के मनरेगा फंड को अवरुद्ध करने की चाल" और "इन दोनों ताकतों की अंतर-निर्भरता को उजागर करना" बताया गया। कांग्रेस भी इस रैली में शामिल हुई।
यह रैली कोलकाता सेंट्रल के मध्य में स्थित रामलीला मैदान से शुरू हुई और इसने पार्क सर्कस तक 3 किमी से अधिक की दूरी तय की। तख्तियों और लाल झंडों के साथ लेफ्ट-फ्रंट के सभी घटकों और कांग्रेस के प्रदर्शनकारियों ने टीएमसी के "भ्रष्टाचार" और भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के "विकास विरोधी" क़दमो के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की। इसके अलावा इसमें भारी संख्या में छात्रों और युवाओं की भी भागीदारी देखने को मिली।
पार्क सर्कस के लेडी ब्रेबॉर्न कॉलेज में अस्थायी मंच से बोलते हुए लेफ्ट-फ्रंट के चेयरमैन बिमन बसु ने कहा, “बीजेपी और टीएमसी अपने फायदे के लिए हाथ मिला रहे हैं और लोगों को धोखा दे रहे हैं… यह टीएमसी ही थी जो बीजेपी को पश्चिम बंगाल में लाई थी। टीएमसी अपने आप में सबसे भ्रष्ट ताकत है...इसका बीजेपी के साथ गुप्त तालमेल भी है। देश की जनता जानती है कि बीजेपी कितनी ख़तरनाक है..लेकिन हमारी सीएम (ममता बनर्जी) ने पहले ही RSS को देशभक्त होने का सर्टिफिकेट दे दिया है। अब यह बेहद अजीब बात है कि वह बीजेपी के ख़िलाफ़ बोल रही हैं और धरने पर बैठी हैं।”
बसु ने मनरेगा जैसे लोगों के कार्यक्रमों को रोकने के पीछे एक "बड़ी साज़िश" का भी आरोप लगाया, यह इशारा करते हुए कि यूनियन बजट में बहुत कम बजटीय आवंटन किया गया था। आगे उन्होंने कहा, “बंगाल में अगर गड़बड़ी पाई जाती है तो दोषियों को पकड़कर सज़ा दो, लेकिन इस योजना को बंद मत करो।”
सीपीआई(एम) के वरिष्ठ नेता सूर्यकांत मिश्रा ने अपने भाषण में टीएमसी पर कटाक्ष करते हुए कहा, “सीबीआई की एक जांच मुख्यमंत्री से शुरू होनी चाहिए, जो "सभी भ्रष्टाचारों की स्रोत हैं और इससे व्यक्तिगत रूप से लाभांवित हुई हैं।”
मिश्रा ने कहा कि मनरेगा जैसी कल्याणकारी योजनाओं में फंड की कमी के कारण लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है, जिस वजह से परियोजना का काम बंद हो गया है। “हालांकि, बीजेपी और टीएमसी के बीच अंदरूनी मेलजोल जगजाहिर है। मनरेगा में भ्रष्ट टीएमसी वर्कर्स को पकड़ा जाना चाहिए और इस योजना को बंगाल जैसे राज्य में अधिक बजटीय आवंटन के साथ नया जीवन मिलना चाहिए। वो बंगाल, जहां खेतों में काम की कमी और औद्योगीकरण की कमी प्रवासी श्रमिकों को काम के लिए राज्य से बाहर जाने के लिए मजबूर कर करती है।”
उन्होंने आरोप लगाया, “सीबीआई केवल टीएमसी के छोटे-मोटे बदमाशों को पकड़ रही है और बड़ी मछली को नहीं।”
इससे पहले, बसु ने घोषणा की थी कि 28, 29 और 30 मार्च को, वाम मोर्चा "मनरेगा परियोजनाओं में चोरी और मोदी सरकार द्वारा पश्चिम बंगाल में परियोजनाओं को बंद करने के प्रयास" के ख़िलाफ़ राज्य भर में विरोध प्रदर्शन करेगा।
रैली में कांग्रेस ने राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द किए जाने का भी विरोध किया और अडानी मामले की जेपीसी जांच कराने की मांग की।
इस रैली में सीपीआई(एम) के अलावा, सीपीआई, आरएसपी और फॉरवर्ड ब्लॉक के समर्थक बड़ी संख्या में मौजूद थे, जिनमें सीपीआई(एम) के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम और रामचंद्र डोम, आरएसपी नेता मनोज भट्टाचार्य, कांग्रेस नेता आशुतोष चटर्जी, कौस्तव बागची और असित मित्रा जैसे नेता शामिल थे।
अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल ख़बर को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर लिंक करें :
Bengal: Thousands Turn up for Left Front Rally Against Stoppage of MGNREGA Allocation to State
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