छत्तीसगढ़: स्वास्थ्य कर्मियों का निलंबन-बर्ख़ास्तगी के विरोध में प्रदर्शन, प्रदेशव्यापी अनशन की चेतावनी!
छत्तीसगढ़ में बीते कुछ महीनों से भूपेश बघेल सरकार और कर्मचारी संगठन आमने-सामने हैं। एक ओर जहां सरकार ने 1500 से अधिक आंदोलनरत स्वास्थ्य कर्मचारियों के निलंबन, बर्खास्तगी का आर्डर पास कर दिया, तो वहीं इस कार्रवाई के विरोध में आज सोमवार, 4 सितंबर को कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने प्रदेशभर में प्रदर्शन किया। ये विरोध प्रदर्शन राज्य के सभी जिला व ब्लॉक मुख्यालयों पर किया गया और इसमें भारी संख्या में कर्मचारियों की भीड़ देखने को मिली।
बता दें कि छत्तीसगढ़ के 12 संगठनों ने एकजुट होकर अपनी आवाज़ बुलंद करने के लिए छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य फेडरेशन बनाया है। इसमें छत्तीसगढ़ के 5 हजार 200 उप स्वास्थ्य केंद्र, 600 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 150 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 33 जिला अस्पताल और सभी मेडिकल कॉलेज के कर्मचारी शामिल है। ये सभी स्वास्थ्यकर्मी वेतन विसंगति, पदोन्नति समेत अपनी पांच सूत्री मांगों को लेकर बीते 21 अगस्त से अश्चितकालीन हड़ताल पर थे। स्वास्थ्य कर्मचारियों की ये हड़ताल नवा रायपुर के तूता धरना स्थल में पिछले 13 दिन से जारी थी। जिसमें दस अलग-अलग संगठन के 40 हजार से ज्यादा स्वास्थ्य कर्मियों ने अपने काम का बहिष्कार किया था।
क्या है पूरा मामला?
प्राप्त जानकारी के मुताबिक शनिवार, 2 सितंबर को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कैबिनेट की बैठक में इन कर्मचारियों पर कार्यवाही के आदेश दिए, जिसके बाद एस्मा का हवाला देते हुए संभागीय संयुक्त संचालक, मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी और कई जिलों में कलेक्टरों ने एक्शन लिया। निलंबित कर्मचारियों में सबसे ज्यादा कांकेर जिले के 568 कर्मचारी शामिल हैं, तो जगदलपुर से 296 और दुर्ग जिले के 205 कर्मचारी शामिल हैं। इस कार्यवाही को राज्य के बीते कई दशकों के इतिहास में किसी भी विभाग में सबसे बड़ी कार्यवाही के रूप में देखा जा रहा है। इसमें नियमित चिकित्सक, स्टाफ नर्स, संविदा और अनियमित स्वास्थ्यकर्मी शामिल हैं।
ध्यान रहे कि इन कर्मचारियों की हड़ताल को समाप्त करने के लिए भूपेश सरकार ने एसेंशियल सर्विसेज मैनेजमेंट एक्ट (ESMA) की भी घोषणा की थी, लेकिन बावजूद इसके कर्मचारी जब काम पर नहीं लौटे तो मुख्यमंत्री ने ये सख्त कदम उठाया। हालांकि सरकार के इस कदम की लगभग सभी कर्मचारी-अधिकारी संगठनों ने आलोचना की है। उनका कहना है कि सरकार अपनी नाकामी और वादाखिलाफी को छिपाने के लिए तानाशाही रवैया अपना रही है।
छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा ने न्यूज़क्लिक को बताया कि उनका संगठन इस निलंबन की निंदा करता है और सरकार से जल्द से जल्द सभी स्वास्थ्य कर्मियों की बहाली और संवाद की मांग करता है। क्योंकि ये स्वास्थ्यकर्मी बीते लंबे समय से सेवा लाभ और सुविधाओं की मांग कर रहे थे, जिस पर सरकार ने उन्हें आश्वासन और भरोसा दिया था अब सरकार ही उस पर अमल नहीं करना चाहती।
प्रदेशव्यापी अनशन की चेतावनी
कमल वर्मा के मुताबिक आज प्रदेशभर में प्रदर्शन का कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें कर्मचारियों ने लंच के समय में सभी कर्मचारियों ने जिला व ब्लॉक मुख्यालयों पर कलेक्टर, एसडीएम को ज्ञापन सौंपा। साथ ही ये चेतावनी भी दी कि अगर सरकार इस दमनकारी कार्रवाई को जल्द ही वापस नहीं लेती तो कर्मचारियों द्वारा प्रदेशव्यापी अनशन किया जाएगा।
इससे पहले छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य फेडरेशन के अध्यक्ष टार्जन गुप्ता ने मीडिया से कहा कि इन स्वास्थ्य कर्मचारियों ने कोरोना में 2 साल बिना छुट्टी के काम किया। सरकार ने इसके भत्ते की घोषणा कर आज तक इसे नहीं दिया। सरकार के पास बार-बार अपनी मांगे पहुंचने के बावजूद कर्मचारियों को निराशा ही हाथ लगी।
संगठन ने अपनी मांगों को लेकर 1 अगस्त को सरकार को फिर से सूचना दी थी और स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव से भी मुलाकात की थी। इसके बाद 11 अगस्त को एक दिवसीय आंदोलन किया गया। अब 21 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं, इसके बाद भी अभी तक सरकार की तरफ से कोई वैधानिक चर्चा नहीं की गई। इससे छत्तीसगढ़ के सभी स्वास्थ्य कर्मचारी आक्रोश में हैं। ये शर्म का विषय है कि सरकार स्वास्थ्य विभाग को इग्नोर कर रही है। अनुपूरक बजट में भी इस विभाग की अनदेखी की गई, जिससे मजबूरन कर्मचारियों को हड़ताल पर जाना पड़ा था।
क्या हैं स्वास्थ्य कर्मचारियों की मांगें?
- स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक, स्टाफ नर्स, चिकित्सकों के वेतनमान संबंधी मांग जल्द पूरी की जाए।
- कोविड के समय मेडिकल टीम ने जान जोखिम में डालकर काम किया था। सीएम ने कोरोना भत्ता देने की बात की थी। अब तक नहीं मिला, उसे तत्काल प्रभाव से दिया जाए।
- स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों को अन्य विभाग की तरह साप्ताहिक अवकाश दिया जाए।
- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में पिछले कुछ सालों में मरीजों की संख्या, राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम एवं योजनाओं के साथ स्वास्थ्य सुविधाओं में वृद्धि हुई है। लेकिन हेल्थ सेटअप रिवाइज नहीं किया गया है। इसी कारण स्वास्थ्य कर्मचारी एवं अधिकारियों का अतिरिक्त भार है। रिवाइज किया जाए।
- स्वास्थ विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों पर हिंसात्मक घटनाएं हो रही हैं। किसी भी संस्था में हिंसात्मक घटना होने पर तत्काल एफआईआर दर्ज की जाए।
गौरतलब है कि बीते दिनों स्वास्थ्यकर्मियों की हड़ताल से स्वास्थ्य व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई है लेकिन कर्मचारी इसका जिम्मेदार सरकार को ही बता रहे हैं, क्योंकि सत्ता में आने से पहले कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में कई बड़े-बड़े वादे किए थे, जिसे वो अभी तक अमल नहीं कर पाई है। अब ये सभी कर्मचारी आगामी चुनावों में भी सरकार के समक्ष एक बड़ी चुनौती पेश करने को तैयार हैं।
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