डीयू छात्र प्रदर्शन: “बृजभूषण मामले पर आख़िर कब टूटेगी प्रधानमंत्री की चुप्पी?”
23 अप्रैल रविवार के दिन से दिल्ली के जंतर-मंतर पर बैठे भारतीय पहलवान विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया और उनके बाक़ी साथियों को क़रीब एक सप्ताह हो गया है, अप्रैल की गर्मी में कभी उनकी रोती हुई तस्वीर तो कभी हाथ जोड़ कर विनती करती हुई तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई जो पूरी दुनिया में देखी जा रही है।
देश का मान बढ़ाने वाले इन खिलाड़ियों की यूं उदासी से भरी तस्वीर हमारे देश की कैसी छवि बनाएगी? इसी छवि की चिंता भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) की अध्यक्ष पीटी उषा को परेशान करने लगी और मीडिया में आए उनके बयान के मुताबिक पहलवानों के इस धरने की वजह से देश की बदनामी हुई है। उन्होंने कहा कि, "मेरा मानना है कि यौन उत्पीड़न की शिकायतों के लिए IOA की एक समिति और एथलीट आयोग है, सड़कों पर जाने की बजाए उन्हें हमारे पास आना चाहिए था, लेकिन वे IOA में नहीं आए, वे इस बात पर अड़े हैं कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक वे धरना ख़त्म नहीं करेंगे, थोड़ा तो अनुशासन होना चाहिए, हमारे पास न आ कर वे सीधे सड़कों पर चले गए हैं, यह खेल के लिए अच्छा नहीं है, वे जो कर रहे हैं वो देश की छवि के लिए अच्छा नहीं है।"
‘इमेज’, ये कितना भारी शब्द है, और एक बार फिर इस इमेज की ज़िम्मेदारी लड़कियों के कंधों पर आ गई, और इस बार उन लड़कियों के कंधों पर जिन्होंने इंटरनेशनल लेवल पर देश का नाम रौशन करने के बाद ख़ुशी के आंसुओं के साथ तिरंगे को अपने कंधों पर लपेट लिया था। आज एक बार फिर उनकी आंखों में आंसू हैं, और उन्हें कहा जा रहा है इन आंसुओं की वजह से देश की बदनामी हो रही है, पर जिसपर इन आंसूओं की वजह का आरोप है क्या अब तक किसी ने उससे भी कोई सवाल किया है?
मेडल जीतने के बाद की ख़ुशी और इंसाफ़ के लिए आंसू बहाती साक्षी मलिक
आख़िर ये सारे सवाल लड़कियों के लिए ही क्यों बने हैं? घर की चारदीवारी से लेकर देश-विदेश में नाम रौशन करने वाली लड़कियां ही क्यों जवाबदेह बने? आज वे एक सवाल लेकर देश की राजधानी में सड़क पर बैठी हैं कि उन्हें इंसान कब मिलेगा?
ज्यों-ज्यों इंसाफ मिलने में देरी होगी, हो सकता है सवाल बढ़ते जाएं। और ये सवाल देश के स्कूलों से, कॉलेज से, यूनिवर्सिटी से, गली-मोहल्लों से, कूचों से उठेंगे कि जिस देश की राष्ट्रपति एक महिला हैं उस देश में होनहार बेटियों को इंसाफ मिलने में इतनी देरी क्यों?
हालांकि शुक्रवार को दिल्ली पुलिस ने भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ FIR दर्ज किया। इस कार्रवाई को पहलवानों ने ‘जीत की ओर पहला क़दम’ करार दिया। हालांकि इसके साथ ही पहलवानों ने इसे अधूरा इंसाफ़ बताया और कहा कि वे भारतीय जनता पार्टी के सांसद बृजभूषण शरण सिंह को उनके सभी पदों से हटाए जाने तक अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे।
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'पूर्ण इंसाफ़' के इन्हीं सवालों के साथ देश में अलग-अलग यूनिवर्सिटी में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। शुक्रवार को दिल्ली यूनिवर्सिटी से लेकर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ तक विरोध-प्रदर्शन किए गए।
News from Lucknow University, UP. AISA Activists along with students were protesting in Solidarity with Wrestlers protesting in Delhi, demanding an FIR against BJP MP Brijbhushan. However, UP police rather than standing in support of our atheletes,detained the protesting students pic.twitter.com/hpa7KzPT7f
— AISA (@AISA_tweets) April 28, 2023
दिल्ली यूनिवर्सिटी में भी अलग-अलग संगठनों जैसे AISA, SFI, DSU, BASF, bsCEM, Fraternity Movement, VCF, Y4S आदि ने मिलकर एक विरोध-प्रदर्शन का आयोजन किया। साथ आए इन तमाम संगठनों ने भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ जल्द से जल्द सख्त कार्रवाई की मांग की। इस दौरान इन संगठनों ने बृजभूषण सिंह का पुतला फूंका और जमकर नारेबाज़ी की।
#DU में फूँका गया बृजभूषण का पुतला। pic.twitter.com/SeGrayPmCy
— nazma khan (@nazmakh60689470) April 29, 2023
इस दौरान DSU (डेमोक्रेटिक स्टूडेंट यूनियन) के सेक्रेटरी सुजीत ने कहा कि, "धरने पर बैठी महिला पहलवानों को अगर जल्द ही इंसान नहीं मिला तो हम लोग विरोध-प्रदर्शन और तेज़ करेंगे, साथ ही हम लोग सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को इसके बारे में बता रहे हैं, हम लोग क्लास कैंपेन भी कर रहे हैं, और ज़रूरत पड़ी तो हम यूनिवर्सिटी के दूसरे कॉलेज में भी जाकर पर्चे बांटेगें।"
दिल्ली यूनिवर्सिटी में बृजभूषण का पुतला दहन करता छात्र
इसके साथ ही सुजीत ने कहा कि, "ये पहली बार नहीं है कि बीजेपी सरकार किसी बलात्कारी के साथ खड़ी है, आपको याद होगा कठुआ रेप मामला जिसमें एक बच्ची का रेप हुआ था और बाद में आरोपी के समर्थन में बीजेपी वालों ने रैली निकाली थी, आपको याद होगा हाथरस की दलित लड़की जिसका बलात्कार हुआ और किस तरह से आनन-फानन में उसकी डेड बॉडी को जला दिया गया, उसके घर वालों तक को नहीं सौंपा गया, आपको याद होगा बीजेपी का वो MLA कुलदीप सिंह सेंगर जिसे बचाने के लिए किस तरह से पूरा सिस्टम लगा रहा, और अब बृजभूषण शरण सिंह, हम पूछना चाहते हैं कि इस मामले में प्रधानमंत्री अब तक क्यों चुप हैं, आख़िर कब टूटेगी प्रधानमंत्री की चुप्पी?।"
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सुजीत आगे कहते हैं, "अभी अंतरराष्ट्रीय लेवल पर भी एक मामला आया है, बालेश धनखड़ का, जो कि बीजेपी से जुड़ा व्यक्ति है और उस पर ऑस्ट्रेलिया में पांच महिलाओं ने यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज करवाया है....इस पार्टी में दुराचारियों की एक लंबी लिस्ट है।"
यूथ फॉर स्वराज से जुड़ी छात्रा प्रोटेस्ट के दौरान अपनी बात रखते हुए
प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने इस मुद्दे पर लोगों से बोलने की अपील की और महिला खिलाड़ियों के धरने को समर्थन देने की अपील की। यूथ फॉर स्वराज (Y4S) की दिल्ली कोऑर्डिनेटर सोनम ने कहा, "हम आज 21वीं सदी में जब नारी सशक्तिकरण की बात करते हैं, महिलाओं की बराबरी की बात करते हैं, देश के हर संस्थान में महिलाओं को बराबरी देने की बात कह रहे हैं, वहां पर ऐसा कैसे संभव है कि हर महीने-दो महीने बाद कोई रेप केस आ जाता है या फिर कोई यौन उत्पीड़न का मामला सामने आ जाता है और उसके बाद भी जिन महिलाओं का यौन उत्पीड़न हो रहा है और जो यौन उत्पीड़न कर रहा है उसे कोई सज़ा नहीं हो रही है। इसके अलावा आप देखिए बिलकिस बानो का केस जिसमें रेप हुआ, हत्या हुई और उसके बावजूद दोषियों को छोड़ दिया गया, उन्हें माला पहनाकर उनका स्वागत किया जा रहा है। ये बहुत बड़ा प्रश्न है कि हम कैसे समाज में जी रहे हैं, जहां हम भारत माता की जय करते हैं और देश की माताओं, बहनों की इज्जत से खिलवाड़ हो रहा है उसपर क्यों नहीं नेता, कोई खिलाड़ी, कोई महिला सांसद नहीं बोलती हैं? स्मृति ईरानी जी क्यों नहीं बोलती हैं? इस वक़्त हमारे देश की राष्ट्रपति एक महिला हैं, तो बड़ा सवाल यही है कि जिस देश की राष्ट्रपति महिला हो वहां महिलाओं की ऐसी स्थिति होनी चाहिए?”
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प्रदर्शन के दौरान ये सवाल भी उठा कि, "जिस वक़्त ये महिला रेसलर मेडल लेकर आई थीं तो प्रधानमंत्री से लेकर देश के कई मुख्यमंत्रियों और नेताओं ने उनका सम्मान किया था लेकिन आज उन्हें इंसाफ के लिए सड़क पर उतरना पड़ा और इतने संघर्ष के बाद जाकर अब FIR हुई है। इसके साथ ही ये चिंता भी ज़ाहिर की गई थी कि जब देश की सम्मानित लड़कियों को न्याय नहीं मिल रहा, जब उनकी सुनवाई नहीं हो पा रही तो देश की आम लड़की, वो जो स्कूल जाती है, कॉलेज जाती है उसके साथ अगर किसी भी तरह का अन्याय होता है तो ऐसे में न्याय की क्या उम्मीद की जाए?”
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वहीं छात्र संगठन bsCEM से जुड़े विष्णु ने सवाल उठाया कि, "हमारे देश में क्रिकेट और उससे जुड़े खिलाड़ियों को लेकर जिस तरह की दीवानगी है, अगर इनमें से एक भी क्रिकेटर जंतर-मंतर पर इन खिलाड़ियों के धरने को समर्थन देने के लिए पहुंचता तो इस धरने का क्या असर होता, पर हम जानते हैं वे ऐसा नहीं करेंगे, ये क्रिकेट के भगवान, राजा सिर्फ़ भगवान और राजा ही बने रहेंगे और हम और आप आम आदमी रहेंगे। ये लोग आम आदमी के मुद्दे में नहीं आएंगे लेकिन किसान आंदोलन के दौरान हमने देखा था कि किस तरह से ये क्रिकेटर कह रहे थे कि ये देश का अंदरूनी मामला है, बाहर के लोगों को इससे दूर रहना चाहिए। वे लोग ट्वीट कर रहे थे, अपना ओपिनियन दे रहे थे, मैं कहना चाहता हूं कि हमारे देश में हर किसी मुद्दे पर कौन ओपिनियन देता है, क्या ओपिनियन देता है और कब ओपिनियन देता है ये सब तय किया जाता है और ये कौन तय करता है ये हम सबको पता है।"
विष्णु ने सिर्फ़ क्रिकेटर्स पर ही नहीं बल्कि फिल्म इंडस्ट्री के लोगों पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि, "इन रेसलर्स पर अपनी लाइफ की सबसे बड़ी हिट मूवी बनाने वाला ऐक्टर कहां है? बल्कि फिल्म बहुत ही अच्छा उदाहरण है ये समझने के लिए कि हमारे देश में Patriarchal System किस तरह से काम करता है। चक दे इंडिया से लेकर दंगल फिल्म किसके आस-पास घूमती है..दंगल में आमिर ख़ान के इर्द-गिर्द और चक दे इंडिया में शाहरुख़ ख़ान के, तो ये गलतफहमी तो दूर करनी होगी कि इन फ़िल्मों के माध्यम से महिला सशक्तिकरण की बात हो रही है। इसी तरह से समाज से लेकर फिल्मों तक, ऐसे ही काम करता है हमारा सिस्टम और जब किसी से बात करो तो लोग कहते हैं कि खेलों में राजनीति को मत लेकर आओ।"
दिल्ली यूनिवर्सिटी में छात्रों का प्रदर्शन
बेशक खेलों को राजनीति से दूर रखना चाहिए पर क्या वाकई ऐसा हो रहा है क्योंकि अगर देश के प्रधानमंत्री जब शिखर धवन को प्रैक्टिस के दौरान अंगूठे पर लगी चोट पर ट्वीट करते हैं और महिला खिलाड़ियों के धरने पर ख़ामोश हो जाते हैं तो हमें "राजनीति को खेलों से दूर रखने की ही ज़रूरत है।"
एक कथित रसूखदार छवि वाले नेता व सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर अगर देश के लिए मेडल लाने वाली खिलाड़ी आरोप लगाएं तो राजनीति नहीं करनी चाहिए, प्रियंका गांधी समेत कई बड़े नेता अगर जंतर-मंतर पर बेटियों का साथ देने पहुंचे तो राजनीति नहीं होनी चाहिए, स्मृति ईरानी अगर जंतर-मंतर ना पहुंचे तो राजनीति नहीं होनी चाहिए। धरने पर बैठी बेटियों की बिजली-पानी की सप्लाई काट दीजिए और कह दीजिए राजनीति मत करो।
आज सुबह प्रियंका गांधी जंतर-मंतर पहुंची
जंतर मंतर पर धरना दे रहे पहलवानों का बिजली पानी दिल्ली पुलिस ने काट दिया है.
पुलिस का दबाव है कि अब जगह खाली करो.
पहलवानों का कहना है कि जब तक बृज भूषण
की गिरफ्तारी नहीं होगी, हम हटेंगे नहीं .#Phogat_Vinesh #bajrangibhaijaan #SakshiMalik#wrestlerprotest pic.twitter.com/baweBcCaki— Mandeep Punia (@mandeeppunia1) April 28, 2023
तो ऐसे में सवाल है कि क्या राजनीति सिर्फ़ वोट बैंक की होनी चाहिए? किसान कुछ बोलें तो बाहरी साज़िश दिखे, शाहीन बाग़ में दादी-नानी बैठें तो उन्हें कुछ नाम दे दीजिए, जेएनयू के छात्र अगर फीस बढ़ोतरी या फिर हॉस्टल की मांग करें तो देश विरोधी कह दीजिए।
देश का गौरव बढ़ाने वाले इन खिलाड़ियों के कई दिनों के संघर्ष के बाद आख़िरकार आरोपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर FIR हो चुकी है, हालांकि पहलवान अब भी सड़क पर डटे हुए हैं और इसे "जीत की ओर पहला क़दम" बताते हुए आरोपी सांसद को सभी पदों से हटाए जाने की मांग कर रहे हैं।
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