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दलित छात्र ने प्रोफेसर के खिलाफ जातिवादी टिप्पणी को लेकर एससी/एसटी आयोग में शिकायत दर्ज कराई

शिवम ने विश्वविद्यालय प्रशासन को इस मामले की जानकारी दी, जिसमें छात्रसंघ अध्यक्ष भी शामिल थे। उन्होंने 30 अगस्त को इस मामले को राष्ट्रीय एससी/एसटी आयोग के समक्ष उठाया।
BHU

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के दलित शोध छात्र शिवम कुमार ने अकादमिक बैठक के दौरान एक वरिष्ठ प्रोफेसर द्वारा जातिवादी टिप्पणी किए जाने को लेकर राष्ट्रीय एससी/एसटी आयोग में शिकायत दर्ज कराई है। यह घटना 30 मई को हुई जब शिवम आयुर्वेद संकाय के एनाटॉमी विभाग में जूनियर रिसर्च फेलो (जेआरएफ) से सीनियर रिसर्च फेलो (एसआरएफ) में अपग्रेडेशन के लिए साक्षात्कार दे रहे थे।

शिवम के अनुसार, रिफ्रेशमेंट सेशन के दौरान स्थिति तब बिगड़ गई जब उन्होंने अपने फोन से एक ग्रुप फोटो खींची। इससे कथित तौर पर एक वरिष्ठ प्रोफेसर नाराज हो गए, जिन्होंने शिवम पर आधा खाया हुआ समोसा फेंका और उनके लिए जातिवादी शब्दों का इस्तेमाल किया, साथ ही उनके फोटो खींचने के शिष्टाचार पर सवाल उठाया।

द ऑब्जर्वर पोस्ट के अनुसार, शिवम ने विश्वविद्यालय प्रशासन को इस मामले की जानकारी दी, जिसमें छात्रसंघ अध्यक्ष भी शामिल थे। उन्होंने 30 अगस्त को इस मामले को राष्ट्रीय एससी/एसटी आयोग के समक्ष उठाया।

जब इस घटना के बारे में छात्रों के डीन प्रोफेसर एके नेमा से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को समाधान के लिए आयुर्वेद संकाय के डीन के पास भेज दिया गया है।

यह पहला मामला नहीं है जब दलित छात्रों के साथ दुर्व्यवहार की घटना सामने आई है। इसी साल अप्रैल में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के छात्रावास में एक दलित छात्र को बंधक बना कर निर्वस्त्र करने का मामला सामने आया था। आरोपी छात्रों द्वारा बंद कमरे में दलित छात्र की पिटाई का भी आरोप था। छात्र ने इस मामले की शिकायत थाने में दर्ज कराई थी और कहा था कि अगर कार्रवाई नहीं हुई तो वह बीएचयू परिसर छोड़ देगा।

घटना बीएचयू के राजाराम छात्रावास में हुई थी। पीड़ित छात्र समाजशास्त्र से एमए कर रहा था। मूकनायक को छात्र ने बताया कि, "मैं एम.ए. समाजशास्त्र का छात्र हूं। मैं अहमदाबाद, गुजरात का रहने वाला हूं। रात करीब 02:45 बजे राजाराम हॉस्टल के एक लॉबी में अचानक बिजली चली गई, जबकि दूसरी लॉबी में बिजली थी। मैं अपने कमरे में पढ़ रहा था, तभी अचानक कमरे में अंधेरा छा गया। जांच करने पर पता चला कि एम.सी.बी. ट्रिप हो गई थी। जैसे ही मैं उसे रीसेट करने के लिए झुका, एम.पी.आई.एम.आई.आर. कोर्स के एक छात्र ने मुझे पीछे से पकड़ लिया।"

उसने जबरदस्ती मेरी पैंट उतारने की कोशिश की और जब मैंने विरोध किया तो उसने मेरा सिर दीवार पर मार दिया, जिससे मैं गिर गया। फिर उसने मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की। जब मैंने विरोध किया तो उसने मेरे साथ मारपीट की, गाली-गलौज की और मुझे जान से मारने की धमकी भी दी।

ज्ञात हो कि 2019 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के दो दलित पीएचडी स्कॉलर्स ने एक महिला प्रोफेसर पर आरोप लगाया था कि उन्होंने उन्हें शौचालय साफ करने के लिए मजबूर किया और जातिवादी टिप्पणी की। यह घटना तब सामने आई थी जब शिकायत पर आधारित एक रिपोर्ट राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) के अध्यक्ष को दी गई थी।

दोनों छात्राएं, जिनमें से एक अनुसूचित जाति (एससी) और दूसरी अनुसूचित जनजाति (एसटी) से थीं और बीएचयू से संबद्ध महिला महाविद्यालय (एमएमवी) की छात्रा थीं। यह घटना कथित तौर पर एक सेमिनार के दौरान हुई थी। आरोपी प्रोफेसर कॉलेज के गृह विज्ञान विभाग से संबंधित थे।

उसी कॉलेज की एक छात्रा, जिसने नाम न बताने की शर्त पर न्यूज़क्लिक को बताया था, "मैं पिछले साल तक उनकी छात्रा थी और मैंने भी वही झेला है जो दलित शोधार्थियों ने झेला है। वह कक्षा में एक तानाशाह की तरह व्यवहार करती हैं और लड़कियों पर जातिवादी और लैंगिकवादी टिप्पणियां करती हैं। उन्हें उन सभी सक्रिय लड़कियों से परेशानी है जो प्रशासन के खिलाफ आवाज उठाती हैं। 2017 में, जब कुछ लड़कियों को कथित तौर पर विश्वविद्यालय परिसर के अंदर परेशान किया गया था, तो विश्वविद्यालय के कुलपति छात्राओं से मिलने उनके छात्रावास में आए थे। जब छात्राएं अपनी सुरक्षा के बारे में सवाल उठा रही थीं, तो उसी प्रोफेसर ने छात्राओं को पीटने के लिए उनका पीछा किया, एक छात्रा पर चप्पल फेंकी और हमारे सेलफोन छीन लिए, लेकिन वह बेख़ौफ़ निकल गई।"

साभार : सबरंग 

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