गहलोत ने कोचिंग संस्थानों में आत्महत्या के मामलों पर चिंता जताई; समिति गठित करने का निर्देश
जयपुर: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोचिंग संस्थानों के विद्यार्थियों में बढ़ रही आत्महत्या की घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए शुक्रवार को कि यह एक देशव्यापी समस्या है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हमेशा इस मुद्दे के प्रति संवेदनशील रही है और समय-समय पर राज्य के कोचिंग संस्थानों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को तनावमुक्त तथा सुरक्षित माहौल मुहैया कराने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाते रहे हैं।
गहलोत ने राज्य में और खास तौर से कोटा के कोचिंग संस्थानों में आत्महत्या के बढ़ते प्रकरणों के मद्देनजर उनकी रोकथाम के उपाय सुझाने के लिए उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रमुख शासन सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित कर 15 दिनों में रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को उनके निवास पर प्रदेश में संचालित कोचिंग संस्थानों के संचालकों के साथ संवाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। संवाद में इन कोचिंग संस्थानों में अध्ययनरत विद्यार्थियों एवं इनसे सम्बन्धित सामयिक महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया।
उन्होंने कहा कि हालात बदलने का समय आ गया है क्योंकि बच्चों को आत्मघाती कदम उठाते हुए नहीं देखा जा सकता।
गहलोत ने कहा कि 9वीं और 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों का कोचिंग संस्थानों में दाखिला करवाया जाता है जो अपराध जैसा ही है क्योंकि इससे उन पर अतिरिक्त भार पड़ता है।
प्रदेश में विद्यार्थियों की चिंताजनक रूप से बढ़ती आत्महत्याओं की रोकथाम हेतु आज प्रदेश के प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थानों के शिक्षकों, संचालकों व निदेशकों से संवाद किया। इस दौरान विद्यार्थियों पर परीक्षा व प्रतियोगिता के तनाव से निपटने के लिए विशेषज्ञों के सुझावों के अनुरूप आवश्यक… pic.twitter.com/M6DnPQQMvU
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) August 18, 2023
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘आप 9वीं-10वीं कक्षा के छात्रों को बुलाते हैं। आप कितना बड़ा अपराध कर रहे हैं। ऐसा लग रहा है मानों कोई आईआईटीयन (आईआईटी का छात्र) बन गया तो 'खुदा' बन गया। कोचिंग में आते ही छात्रों का स्कूलों में 'डमी' नामांकन करा दिया जाता है। यह माता-पिता की भी गलती है। छात्रों का स्कूलों में 'डमी' नामांकन करवाया जाता है और वे स्कूल नहीं जाते हैं। उन पर बोर्ड परीक्षा पास करने और प्रवेश परीक्षा की तैयारी का दोहरा भार रहता है।’’
गहलोत ने कहा कि कोटा के बाद जयपुर, सीकर, जोधपुर एवं बीकानेर आदि जिले भी कोचिंग हब के रूप में विकसित हो रहे हैं और कोचिंग संस्थानों से रोजगार के नवीन अवसर उपलब्ध हो रहे हैं तथा राज्य की अर्थव्यवस्था को भी गति मिल रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विद्यार्थियों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के लिए सजग है।
छात्रों की आत्महत्या को देशव्यापी समस्या बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार देश में 2021 में विद्यार्थियों की आत्महत्या के 13 हजार से भी अधिक मामले दर्ज हुए, जिनमें महाराष्ट्र में सर्वाधिक 1834, मध्यप्रदेश में 1308, तमिलनाडु में 1246, कर्नाटक में 855 तथा ओडिशा में 834 मामले दर्ज हुए। राजस्थान में यह आंकड़ा 633 है जो दूसरे राज्यों की तुलना में कम है, लेकिन राज्य सरकार इस मुद्दे के प्रति गंभीर तथा संवदेनशील है।’’
इस दौरान मुख्यमंत्री ने सवाल किया कि कोटा शहर में सबसे ज्यादा आत्महत्या के मामले एक विशेष संस्थान के ही क्यों हैं। इससे पहले मुख्यमंत्री को सूचित किया गयाथा कि इस साल कोटा में 21 छात्रों ने आत्महत्या की जिनमें से 14 इसी संस्थान से थे।
संस्थान के एक प्रतिनिधि ने स्पष्ट किया कि कोचिंग संस्थान नौवीं-दसवीं के छात्रों को नहीं बुलाते हैं लेकिन शिक्षा प्रणाली ऐसी है कि माता-पिता अपने बच्चों के लिए बेहतर विकल्प चाहते हैं। इस पर गहलोत ने कहा कि वह किसी खास संस्थान को निशाना नहीं बना रहे हैं बल्कि यह जानना चाहते हैं कि संस्थान में सबसे ज्यादा आत्महत्याएं क्यों होती हैं।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
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