राजस्थान में माली समाज के आंदोलन के कारण जयपुर-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम
सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में पृथक 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर माली समुदाय के लोगों ने जयपुर-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग को सोमवार को लगातार चौथे दिन जाम रखा।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आंदोलनकारियों से राजमार्ग खोलने एवं सरकार के साथ बातचीत के लिए आगे आने की अपील की।
भरतपुर के जिला कलेक्टर आलोक रंजन ने कहा, ‘प्रदर्शन जारी है। यह उस स्थान तक सीमित है जहां से यह शुरू हुआ था। स्थिति नियंत्रण में है। गतिरोध को तोड़ने के लिए माली समुदाय के सदस्यों के साथ बातचीत की जा रही है।’
पुलिस ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम से बचने के लिए यातायात दूसरे रास्ते से निकाला जा रहा है।
गहलोत ने जयपुर में सोमवार को संवाददाताओं से कहा,‘‘ मैं माली समाज के लोगों से अपील करना चाहूंगा कि वे थोड़ा सब्र रखें और यहां आकर बातचीत करें। राजमार्ग जाम करना अच्छी बात नहीं हैं।’’
उन्होंने कहा,‘‘ उनकी जो वाजिब मांगे हैं वे मानी जाएंगी। उनके साथ न्याय हो, यह सुनिश्चित करने का काम हम सबका है। मैं उनकी मांगों की खुद समीक्षा करवाउंगा। मैं उनसे अपील करूंगा वे राजमार्ग जाम हटाएं। सरकार के साथ बातचीत करें।’’
उल्लेखनीय है कि माली समुदाय अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में आता है और गहलोत भी माली समाज से हैं। प्रदर्शनकारी अपने नेता मुरारी लाल सैनी की रिहाई की भी मांग कर रहे हैं, जिन्हें विरोध प्रदर्शन से पहले हिरासत में लिया गया था।
इस समुदाय के लोगों ने सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की मांग को लेकर गत शुक्रवार को जयपुर-भरतपुर राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम करने की घोषणा की थी।
आंदोलन को देखते हुए पुलिस ने राजमार्ग से जुड़े बल्लभगढ़, हलैना, वैर, अरौंदा, रमासपुर गांवों की सड़कों को सुबह से ही अवरुद्ध कर दिया, ताकि आंदोलनकारी राजमार्ग तक न पहुंच सकें। हालांकि, कई लोगों ने हंगामा किया और पुलिस पर पथराव किया । पुलिस को भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले दागने पड़े।
गत शुक्रवार को जयपुर में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के निदेशक हरिमोहन मीना की अध्यक्षता में जयपुर में सैनी, माली और कुशवाह समाज के प्रतिनिधियों के साथ वार्ता हुई थी। इसमें सैनी समाज के प्रतिनिधियों ने 12 प्रतिशत आरक्षण, अलग से लव-कुश कल्याण बोर्ड के गठन, समाज के बच्चों के लिए छात्रावास सुविधा आदि की मांग की थी।
मीना ने उन्हें बताया कि उनकी पिछली मांगों में से राज्य सरकार द्वारा दो मांगों पर सकारात्मक कार्रवाई करते हुए महात्मा ज्योतिबा फूले कल्याण बोर्ड का गठन किया गया और 19 अप्रैल को महात्मा ज्योतिबा फूले दिवस पर राजकीय अवकाश घोषित कर चुकी है।
मीना ने प्रतिनिधियों को उनकी मांगों से उच्च स्तर को अवगत कराने का आश्वासन दिया। इस समुदाय ने इससे पहले जून, 2022 में भी इसी तरह का विरोध प्रदर्शन किया था, जिसे आश्वासन के बाद शांत किया गया था।
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