मध्य प्रदेश: प्रमोशन व अन्य मांगों को लेकर पटवारियों की हड़ताल जारी
राजधानी भोपाल में पटवारियों ने तिरंगा यात्रा निकालकर बीते दिनों विरोध दर्ज कराया। फोटो— मप्र पटवारी संघ
मध्य प्रदेश की जनता चुनाव से पहले हड़तालों का सामना कर रही है। वर्तमान में, राज्य में 28 अगस्त से शुरू हुई, क़रीब 19 हज़ार पटवारियों की हड़ताल चल रही है। क़रीब 25 दिन से चल रही ये हड़ताल कब ख़त्म होगी इसके कोई पुख्ता संकेत नहीं। आपको बता दें, प्रदेश में हड़ताल कर रहे ये पटवारी, 25 वर्षों से प्रमोशन न मिलने, ग्रेड-पे न बढ़ने, समयमान वेतनमान न दिए जाने, खाली पदों पर भर्ती न कर अतिरिक्त काम कराने और उसका वेतन न देने, यात्रा-मकान भत्ता जैसे सुविधाएं नहीं बढ़ाने की वजह से ख़ासा नाराज़ हैं और आरोप लगा रहे हैं कि उनकी इन मांगों को नहीं पूरा किया जा रहा। पटवारियों की यह हड़ताल इस वर्ष संविदा स्वास्थ्य कर्मियों व शिक्षक भर्ती परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों की हड़ताल के बाद सबसे लंबे समय तक की जाने वाली हड़ताल बन चुकी है। सरकार अब तक इसका कोई तोड़ नहीं निकाल पा रही है।
इससे पहले तक हड़ताल पर जाने वाले अधिकारी और कर्मचारियों से सरकार और उनके प्रतिनिधि बातचीत करते रहे हैं जिसका असर यह रहा कि कई मामलों में समाधान भी निकला है। पटवारियों के बाद, प्रदेश के तहसीलदारों व नायब तहसीलदारों ने भी काम बंद करने की चेतावनी दी थी जिन्हें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से मुख्यमंत्री आवास पर बुलाया गया और उनकी मांगों को सुनकर निराकरण का भरोसा दिया गया था जिसके बाद हड़ताल स्थगित हो गई थी। ऐसा ही ग्राम पंचायतों के रोज़गार सहायकों, कॉलेजों में पढ़ाने वाले अतिथि विद्वानों समेत अनेक संवर्ग के कर्मचारियों के साथ होता रहा है।
कर्मचारियों का कहना है कि उनके पास मांगें मनवाने का एकमात्र यही तरीका है जिसका उपयोग वे वर्षों से करते आ रहे हैं लेकिन इस बार ऐसा लग रहा है मानो पटवारियों व सरकार में ठन गई है। न तो सरकार मनाने के लिए सामने आ रही है और न ही पटवारी हड़ताल से वापस लौट रहे हैं।
अब इसका नुकसान आम जनता उठा रही है क्योंकि पटवारियों के हड़ताल पर जाने से किसानों के ज़मीन से जुड़े काम लंबित हैं। आम आदमी भी परेशान हैं क्योंकि जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, स्थाई प्रमाण पत्र आदि नहीं बन पा रहे हैं, इसके अलावा हज़ारों गरीबों के नाम राशन कार्ड सूची में नहीं जुड़ पा रहे हैं। इन सभी कामों के लिए पटवारियों की ज़रूरत होती है। यहां तक कि सबसे बड़ा संकट तो किसानों पर है। अगस्त महीने में इनकी फसल सूखे से प्रभावित हुई थी। बची हुई फसल सितंबर महीने में हुई तेज़ बारिश ने तबाह कर दी। ऐसे समय में फसलों को हुए नुकसान को दस्तावेजों में रिकार्ड करने का काम इन्हीं पटवारियों का है जो अब पिछड़ रहा है। कुछ ही दिनों में कटाई शुरू हो जाएगी। इस तरह नुकसान का सटीक आकलन नहीं होगा, जिसके कारण किसानों को फसल बीमा से लेकर अन्य तरह से होने वाले नुकसान की भरपाई में समस्या खड़ी हो जाएगी।
भोपाल में पटवारियों द्वारा टेंट लगाकर इस तरह हड़ताल की जा रही है। फोटो— मप्र पटवारी संघ
सरकार का तर्क: हड़ताल करके दबाव बनाने वालों से नहीं होगी बात
पटवारियों की हड़ताल को लेकर सरकार के प्रतिनिधियों की ओर से मीडिया में कई बयान आ चुके हैं जिसमें कहा गया है कि "पटवारियों ने हड़ताल पर जाने से पहले बातचीत नहीं की, जो कि आदर्श कार्य व्यवहार नहीं है। बातचीत करने पर सरकार हर वर्ग के कर्मचारियों की मांगों पर विचार कर रही है। उनकी पंचायतें बुला रही है।”
सरकार के पक्ष के अनुसार उन्होंने, "पंचायतों में काम करने वाले रोज़गार सहायकों की पंचायत बुलाकर उनका वेतन बढ़ाया है। इसी तरह कॉलेजों में पढ़ाने वाले अतिथि विद्वानों को भी कार्य दिवस के स्थान पर महीने में 50 हज़ार रुपये फिक्स वेतन देने की मांग पूरी की। अधिकारी, कर्मचारियों का वेतन-भत्ता भी बढ़ाया है। पटवारी इस तरह हड़ताल के माध्यम से दबाव बनाकर मांगें पूरी करवाना चाहते हैं तो यह स्वीकार नहीं होगा।"
सरकार द्वारा गठित राज्य कर्मचारी कल्याण समिति के अध्यक्ष रमेश चंद्र शर्मा ने न्यूज़क्लिक के लिए बातचीत में कहा कि पटवारी संघ के प्रतिनिधियों से बातचीत की जा रही है। हड़ताल का हल निकालने का प्रयास कर रहे हैं।
पटवारियों का दावा: मुख्यमंत्री से लेकर राजस्व मंत्री से मिले
सरकार के प्रतिनिधियों के तर्क पर मप्र पटवारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष उपेद्र सिंह बघेल ने पिछले दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर कहा कि "हड़ताल पर जाने से पहले 26 मई को मप्र कर्मचारी कल्याण समिति के अध्यक्ष रमेश चंद्र शर्मा के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिले थे। तब पटवारियों की पंचायत बुलाकर मांगों के निराकरण का हल करने का अनुरोध किया था। इसके बाद राजस्व मंत्री से लेकर विभाग के प्रमुख अधिकारियों से भी मुलाकात की थी। जब मांगों पर सुनवाई नहीं हुई तो पहले सामूहिक अवकाश लिया। तीन दिन तक इंतज़ार किया कि मांगों को पूरा किया जाएगा। फिर 26 अगस्त को भोपाल में तिरंगा यात्रा निकाली जिसमें प्रदेश भर के पटवारियों ने हिस्सा लिया। तब भी सरकार की ओर से कोई संकेत नहीं मिले। इसके बाद ही मजबूरन बेमियादी हड़ताल करनी पड़ रही है।”
कर्मचारी नेता बोले, ‘सरकार आगे आकर ख़त्म कराए हड़ताल’
लंबे समय से मध्य प्रदेश में कर्मचारी नेता के रूप से सक्रिय रहने वाले वीरेंद्र खोंगल जो मप्र कर्मचारी कल्याण समिति के पूर्व अध्यक्ष हैं, वह कहते हैं, "इस तरह हड़ताल लंबी नहीं चलनी चाहिए। पहला कर्तव्य सरकार का बनता है कि हड़ताली पटवारियों से बातचीत कर उनकी मांगों को सुने और जिन मांगों को माना जा सकता है उन्हें माना जाए और कुछ मांगों पर उन्हें पूरा करने का भरोसा देकर हड़ताल खत्म कराई जाए।”
कर्मचारी नेता अनिल बाजपेयी भी इसी के पक्ष में है। वह भी कहते हैं कि "इस तरह हड़ताल से सबसे ज़्यादा आम जनता को परेशानी होती है। इतने दिनों तक हड़ताल की नौबत बननी ही नहीं चाहिए।”
इससे पूर्व हाई कोर्ट ने दो वर्ष पहले हस्तक्षेप कर खत्म कराई थी हड़ताल
पटवारी पहली बार हड़ताल कर रहे हो, ऐसा नहीं है। इसके पहले भी पटवारी हड़ताल कर चुके हैं। दो वर्ष पूर्व जब लंबे समय तक पटवारी हड़ताल से नहीं लौटे तो हाईकोर्ट ने हड़ताल को अवैध बता दिया था। जिसके बाद पटवारी काम पर लौट गए थे। कर्मचारी मामलों के जानकारों का कहना है कि संभवत: सरकार को इस बार भी इसी तरह की कोई उम्मीद है, जिसमें हड़ताल स्वत: खत्म हो जाए।
कांग्रेस का आश्वासन— सरकार बनी तो पूरी करेंगे मांग
मप्र में हड़ताल कर रहे पटवारियों के समर्थन में कांग्रेस का गई है। पिछले दिनों छिंदवाड़ा जिले में हड़ताल पर बैठे पटवारियों के बीच पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ पहुंचे थे। तब उन्होंने कहा था कि कांग्रेस की सरकार बनते ही आपकी मांगों को पूरा किया जाएगा। यही बात कांग्रेस विधायक एंव पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने इंदौर में 11 सितंबर को कही है। वह भी देपालपुर तहसील के पटवारियों द्वारा की जा रही हड़ताल में शामिल हुए थे। इनके अलावा प्रदेश भर में अलग—अलग कांग्रेस नेता पटवारियों की हड़ताल को समर्थन दे रहे हैं।
पंजाब में भी पटवारियों व सरकार में ठन चुकी है
पिछले दिनों पंजाब राज्य में भी अगस्त—सितंबर 2023 में पटवारियों और सरकार में ठन गई थी। पटवारियों ने एक मामले में कलम छोड़ा आंदोलन की चेतावनी दी थी। यही नहीं, ये ये खाली पदों को भरने, वर्तमान में खाली पदों के स्थान पर मौजूदा पटवारियों द्वारा कराए जा रहे काम का अतिरिक्त वेतन देने, वेतन विसंगति को दूर करने, प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे ट्रेनी पटवारियों को मामूली स्टाइपन की जगह 19 हज़ार रुपये देने आदि की मांंग भी लंबे समय से कर रहे हैं। इनकी चेतावनी पर राज्य के मुख्यमंत्री ने कह दिया था कि कलम छोड़ी तो उसे लौटाना या नहीं लौटाना, यह सरकार तय करेगी। तब पटवारियों ने इसे धमकी माना था। हालांकि बाद में सरकार और पटवारियों के बीच सुलह हो गई थी।
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