राजस्थान : 'जन स्वास्थ्य अभियान' ने नए क़ानून का किया स्वागत, ग़लत सूचना से बचने की अपील की
'जन स्वास्थ्य अभियान' राजस्थान सरकार के स्वास्थ्य के अधिकार अधिनियम का स्वास्थ्य सेवा तक लोगों की पहुंच सुनिश्चित करने में मील का पत्थर के तौर पर स्वागत करता है।
संगठन का कहना है कि इसके कुछ प्रावधानों का बेहतर प्रारूपण करते हुए आगे की विधायी प्रक्रियाओं के दौरान इसे स्पष्ट और मजबूत करना होगा।
जन स्वास्थ्य अभियान की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि संगठन आंदोलनरत चिकित्सा पेशेवरों और उनके संघों से अपील करता है कि वे इस अधिनियम के महत्व को पहचानें और गलत सूचनाओं से बचते हुए अधिनियम और नियमों को कारगर बनाने के प्रक्रिया में सकारात्मक रूप से जुड़ें।
जन स्वास्थ्य अभियान मार्च 2023 को राज्य विधान सभा में पारित राजस्थान स्वास्थ्य अधिकार अधिनियम का स्वागत करता है और भारत के स्वास्थ्य नीति के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल करने के लिए राजस्थान की राज्य सरकार को बधाई देता है। राजस्थान ने देश के बाकी हिस्सों के लिए एक ऐतिहासिक उदाहरण स्थापित करते हुए राज्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं और आपातकालीन स्वास्थ्य देखभाल की कानूनी गारंटी के आधार पर बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं को एक न्यायसंगत अधिकार बनाने की प्रक्रिया शुरू की है।
जन स्वास्थ्य अभियान कुछ तत्पर समूहों द्वारा फैलाई जा रही गलत सूचनाओं की आलोचना करता है जो दावा कर रहे हैं कि अधिनियम निजी क्षेत्र विरोधी है। यह उनकी राजनीतिक रूप से प्रेरित मांग से जुड़ा है कि इस अधिनियम को वापस लिया जाना चाहिए।
साथ ही जन स्वास्थ्य अभियान चिंतित भी है कि कई शक्तियों के बावजूद इस अधिनियम के कुछ प्रावधानों को इसके बेहतर व प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए स्पष्टीकरण या संशोधन की आवश्यकता है। यह स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए निष्पक्ष होने के साथ साथ राज्य के लोगों के लिए स्वास्थ्य अधिकारों की प्राप्ति सुनिश्चित करेगा। हम अनुशंसा करते हैं कि निम्नलिखित मुद्दों को राज्य सरकार द्वारा संबोधित किया जाना चाहिए :
* आपातकालीन देखभाल की परिभाषा में अधिक स्पष्टता लाने की आवश्यकता।
* 50 से अधिक बिस्तरों वाले बड़े निजी अस्पतालों में आपातकालीन सेवाएं प्रदान करने के लिए व्यापक प्रावधान।
* निजी क्षेत्र के आपातकालीन सेवा दाताओं को देने वाले भुगतान समयबद्ध एवं भ्रष्टाचार मुक्त हो।
* स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के प्रति नियामक प्राधिकर्ताओं की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए तंत्र मजबूत हो
राजस्थान सरकार इनमें से कई मुद्दों को राज्य विधान सभा के पटल पर या उनके अन्य सार्वजनिक संचार में संबोधित करने के लिए सहमति दी है। आगे के विचार विमर्श के दौरान निजी स्वास्थ्य पेशेवरों के संघों के साथ साथ नागरिक समाज नेटवर्क और गैर सरकारी संगठनों को भी शामिल करते हुए इन चिंताओं को सरकार द्वारा संबोधित किया जाना चाहिए। संगठन ने आगे कहा कि, हालांकि हम चिंतित हैं कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन जैसी संस्थाएं अधिनियम को ही समाप्त करने के उद्देश्य से आंदोलनरत है, शायद इस तथ्य को महसूस किए बिना कि इस तरह का रूख लोगों के स्वास्थ्य देखभाल के अधिकार को पूरा करने के लिए प्रदाता चिकित्सा पेशे नैतिकता और स्वास्थ्य सेवा के कर्तव्यों के खिलाफ है।
जन स्वास्थ्य अभियान ने कहा कि हम आईएमए और शामिल चिकित्सा पेशेवरों से आग्रह करते हैं कि वे अपनी स्थिति पर पुनर्विचार करें और अधिनियम और इसके नियमों को आगे बढ़ाने में सकारात्मक रूप से शामिल हों।
जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि जन स्वास्थ्य अभियान राज्य में लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए एक प्रमुख कदम के रूप में वर्तमान अधिनियम का जोरदार स्वागत करता है। साथ ही संगठन ने राज्य सरकार से पूर्ण प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए आगे की प्रक्रियाओं में कुछ मुद्दों को संबोधित करने का आग्रह किया है जैसे स्वास्थ्य निर्धारकों के लिए पात्रता सुनिश्चित करने के लिए राज्य द्वारा और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। साथ ही सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों, पीआरआई सदस्यों और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों को भी प्रतिनिधित्व करने की आवश्यकता है। इसके अलावा रोगियों के लिए हेल्पलाइन और वेब आधारित शिकायत प्रणाली के प्रावधान जो अधिनियम के पिछले संस्करणों में किए गए थे उन्हें पुनः बहाल करने की आवश्यकता है। साथ ही राज्य में मौजूद सभी व्यक्तियों के लिए स्वास्थ्य अधिकार सुनिश्चित करना चाहिए। इसमें न केवल स्थायी निवासियों को बल्कि प्रवासियों, घूमंतू व बेघर व्यक्तियों व अन्य राज्यों के आगंतुकों को भी शामिल करना चाहिए।
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