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राजस्थान: सवाई मान सिंह अस्पताल की बड़ी लापरवाही! 18 लोगों ने गवाईं आंख की रोशनी

प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सवाई मान सिंह इन दिनों सवालों के घेरे में है क्योंकि यहां मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने आए मरीज़ों की आंख की रोशनी चली गई। हालांकि अस्पताल प्रशासन और सरकार इसे इन्फेक्शन बता कर बच रही है।
Hospital

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पिछले दिनों जब बीमार हुए थे, तब उन्हें जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस बात का ज़िक्र हम प्रदेश के भीतर सवाई मान सिंह अस्पताल की अहमियत के लिए कर रहे हैं। लेकिन अब जो ख़बरें निकल कर सामने आ रही हैं, उसने प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल और प्रशासन के साथ-साथ सरकारी व्यवस्थाओं को भी सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया, और बता दिया कि इस नामी अस्पताल में सिर्फ नामी लोगों का इलाज ही बेहतर ढंग से किया जाता है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले कुछ दिनों में इस अस्पताल में ऑपरेशन के बाद 18 मरीजों की आंख की रोशनी चली गई। पीड़ितों के परिजन सीधे तौर पर अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं।

बताया जा रहा है कि जिन लोगों की आंखों की रोशनी गई है, उन सभी ने मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराया था, ऐसे में किसी को ऑपरेशन के तुरंत बाद दिखना बंद हो गया, तो किसी को ऑपरेशन के बाद दिखाई दिया, लेकिन कुछ वक्त के बाद उनकी आंख की रोशनी भी चली गई। इस मामले में जहां एक ओर पीड़ितों के परिजन लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ अस्पताल की ओर से दावा किया जा रहा है कि अस्पताल में भर्ती मरीजों की आंखों में बैक्टीरियल इंफेक्शन स्यूडोमोनास फैल गया जिससे उनकी रोशनी चली गई। घटना की सूचना के बाद से अस्पताल में हड़कंप मच गया है।

इस मामले में सवाई मान सिंह अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक, डॉ अचल शर्मा बताते हैं कि तीन दिनों में 70 से ज़्यादा ऑपरेशन हुए थे जिसमें से 18  मरीज़ों की आंख में इंफेक्शन था,  इनमें से एक मरीज़ बाहर से भी ऑपरेशन करवा कर आया था। जांच के लिए सैंपल भेजे गए हैं। 18 मरीज़ों में बैक्टीरियल संक्रमण था। उनमें से एक-दो मरीज़ों की रोशनी वापस भी आई है। कुछ हफ्ते रुक कर ऑब्जर्व करके देखा जा रहा है कि आंखों की रोशनी वापस आएगी। इसके लिए ट्रीटमेंट कमिटी बनाई गई है और जांच के लिए भी कमिटी बनाई गई है। जांच की रिपोर्ट अभी नहीं आई है।

इससे पहले प्रदेश के स्वास्थ मंत्री परसादी लाल मीणा खुद अस्पताल पहुंचे थे, इस दौरान मरीजों ने उनसे हाथ जोड़कर कहा कि ‘’साहब, अनहोनी को कोई नहीं टाल सकता, लेकिन आंखों की रोशनी लौटा दो। मुझे और कुछ नहीं चाहिए। अगर मोतियाबिंद का ऑपरेशन ही नहीं कराते तो अच्छा रहता।‘’

हालांकि इसके बाद मंत्री ने मरीज़ों को आश्वासन देते हुए कहा कि कहीं कोई ग़लती नहीं हुई है, सभी मरीज़ों को पूरी तरह से ठीक करके ही घर भेजा जाएगा। 

ये कहना ग़लत नहीं होगा कि अस्पताल में भर्ती मरीज़ अब आश्वासन के सहारे ही बैठे हैं। जबकि अस्पताल की ओर से साफ कहना है कि आंख की रोशनी जाने का कारण इन्फेक्शन फैल जाना है, और बाहर से मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाकर यहां भर्ती करवा देना है। लेकिन सवाल ये है कि क्या अस्पताल में किसी भी ट्रीटमेंट या ऑपरेशन से पहले जांच नहीं की गई थी?

ऑपरेशन करवाने वाले एक मरीज का कहना है कि ‘’23 जून को मेरा ऑपरेशन हुआ, 5 जुलाई तक आंखों की रोशनी थी, सब दिख रहा था लेकिन 6-7 तारीख से आंखों की रोशनी चली गई। जिसके बाद फिर से ऑपरेशन हुआ लेकिन आंखों की रोशनी वापस नहीं आई है। डॉक्टर इंफेक्शन बता रहे हैं। इंफेक्शन को ठीक करने के प्रयास किए जा रहे हैं।"

इसके अलावा पीड़ितों के परिजन यही कह रहे हैं कि मरीजों की आंखों की रोशनी पूरी तरह से जा चुकी है। डॉक्टर दो-तीन बार सर्जरी कर चुके हैं, लेकिन सुधार नहीं है। घर में कमाने वाला कोई नहीं है। इसके बावजूद भी उन्हें घर भेज रहे हैं। कई मरीज-परिजन को धर्मशाला में रुकना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि जिम्मेदारी से बचने के लिए ऐसा करना ठीक नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि एसीएस के दौरे से पहले चार मरीजों को अस्पताल में नीचे भेज दिया, ताकि संख्या कम दिखे। आरोप है कि पट्टी भी एसीएस के आने से पहले ही बांधी थी।

आपको बता दें कि अधिकांश लोगों का ऑपरेशन राज्य सरकार की ‘चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना’ के तहत हुआ था, ऑपरेशन के बाद कुछ मरीजों को आंखों में तेज दर्द और जलन की शिकायत हुई जिसके बाद वो दोबारा अस्पताल पहुंचे जहां उन्हें दोबारा भर्ती कर लिया गया। वहीं, कुछ लोगों ने बताया कि उनका तीन बार ऑपरेशन हो चुका है, लेकिन जब दो हफ्ते बाद भी लोगों के आंखों की रोशनी वापस नहीं आई तब लोगों ने सामने आकर अपनी आपबीती सुनाई।

नेताओं से लेकर डॉक्टरों तक, कोई भी इस सरकारी अस्पताल में हुई लापरवाही का सही तर्क नहीं दे पा रहा है, जिससे मरीजों को या उनके परिजनों को संतुष्टि मिल सके। पिछले कई दिनों से इस लापरवाही को सिर्फ इन्फेक्शन का नाम देकर पर्दा डाला जा रहा है। हालांकि अब अस्पताल से कुछ लोगों को डिस्चार्ज भी किया जाने लगा है, जिससे पीड़ित के परिजन खुश नहीं है।

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