वेतन संशोधन समझौते: तमिलनाडु के मज़दूरों ने जीतीं अहम लड़ाइयां
तमिलनाडु देश का एक अग्रणी औद्योगिक राज्य है, जहां कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों का जमा-जमाया कारोबार है। लेकिन इन उद्योगों में ‘’वेतन संशोधन समझौता’’ श्रमिकों और कंपनी प्रबंधन के बीच विवाद का एक अहम कारण है।
दरअसल वेतन संशोधन समझौता, हर तीन साल में ट्रेड यूनियनों और उद्योगों के बीच होता है। लेकिन उद्योगों का प्रबंधन इस मामले में ट्रेड यूनियन को अक्सर दरकिनार कर देता है, भुगतान में देरी करता है, और कभी-कभी तो वेतन वृद्धि के नाम पर मामूली रकम कामगारों को पकड़ा देता है। इसके अलावा, अगर कामगार उचित वेतन वृद्धि के लिए विरोध करते हैं, तो प्रबंधन कर्मचारियों का अन्यत्र तबादला कर देने और उन्हें नौकरी से हटा देने की धमकी देते हैं।
जहां ट्रेड यूनियनें श्रम कानूनों का पालन किए जाने की मांग करती हैं, वहीं प्रबंधन उनकी जायज मांगें भी न मानने के लिए कामगारों में खामियां ढूंढ़ता है। वहीं दूसरी ओर, श्रम विभाग तब तक इस मामले में शामिल या सक्रिय नहीं होता जब तक कि श्रमिक उनसे अपेक्षित कदम उठाने के लिए पुरजोर दबाव नहीं बनाते।
न्यूज़क्लिक ने इस मामले को तफसील से जानने के लिए उन कंपनियों के प्रबंधन या उनके व्यवस्थापक प्रभारियों से संपर्क करने की कोशिश की, जहां वेतन संशोधनों की मांग को लेकर कामगारों का संघर्ष अभी भी जारी है, लेकिन उन कंपनियों की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
सनमीना निगम
ओरगडम, दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल हब है, जो चेन्नई के उपनगरीय इलाके में स्थित है। सनमीना अमेरिकी वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स का निर्माता कंपनी है। इसका प्रबंधन, ट्रेड यूनियन को उसकी उचित मान्यता देने से इनकार करता है। लेफ्ट ट्रेड यूनियन सेंटर के नित्यानंद ने कहा, "जबकि संयंत्र 2007 में एमईपीजेड से विशेष आर्थिक क्षेत्र से स्थानांतरित हो गया है, फिर भी प्रबंधन ने वेतन संशोधन प्रक्रिया में ट्रेड यूनियन को शामिल नहीं किया है।"
विगत छह सितम्बर को सनमीना के लगभग 150 श्रमिकों ने यह मांग करते हुए कि आगामी वेतन संशोधन को लागू करने से पहले श्रमिकों के संघ के साथ चर्चा की जाए, कारखाने पर कब्जा कर लिया। लेकिन, बताया जा रहा है कि प्रबंधन ने उनकी इस मांग को दबा दिया।
ये भी पढ़ें: सीडब्ल्यूसी के बिना नोटिस के निकाले गए सैकड़ों मज़दूरों का प्रदर्शन
यूनियन ने आरोप लगाया है कि प्रबंधन मजदूरों को संगठित होने से रोकने के लिए "दाम और दंड" की पद्धति का इस्तेमाल कर रहा है, जबकि ट्रेड यूनियन प्रबंधन से नियमों-कानूनों का उचित तरीके से पालन करने के लिए कह रही है।
कामगारों ने 26 सितंबर को जिला कलेक्टर कार्यालय के बाहर धरना दिया और सरकार के इस मामले में हस्तक्षेप का आग्रह किया। नित्यानंद ने कहा, "अगर कोई सकारात्मक प्रगति नहीं होती है, तो हम 6 अक्टूबर से हड़ताल पर जाने की योजना बना रहे हैं।"
प्रिकॉल लिमिटेड
कोयंबटूर में ऑटोमोटिव कंपोनेंट प्रोडक्शन प्लांट प्रिकोल लिमिटेड के कर्मचारियों ने समय पर वेतन संशोधन के लिए 2018 में 100 दिनों तक हड़ताल की थी। इससे नाराज प्रबंधन ने हड़ताल में भाग लिए हुए 500 कामगारों को यहां से विभिन्न राज्यों की अपनी इकाइयों में तबादला कर दिया।
कामगारों के इस तबादले को प्रबंधन की विशुद्ध रूप से प्रतिशोधात्मक कार्रवाई बताते हुए कोवई जिला प्रिकोल कर्मचारी संघ ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। ट्रेड यूनियन नेता जयप्रकाश नारायणन ने कहा, "जबकि अदालत में मामला चल ही रहा था, इसी बीच, श्रम विभाग ने प्रबंधन को श्रमिकों के तबादले के आदेश वापस लेने का आदेश दिया, लेकिन प्रबंधन ने शातिराना तरीके से सरकारी आदेश को दरकिनार कर दिया।"
इस साल 26 अगस्त को अदालत ने तबादले को 'श्रमिकों के उत्पीड़न' का काम बताते हुए कामगारों के पक्ष में फैसला दिया। इसके बावजूद प्रबंधन ने इस मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
प्रिकोल कर्मी तबादले के आदेश वापस लेने की मांग कर रहे हैं। फोटो क्रेडिट- जयप्रकाश नारायणन
नारायणन ने कहा, “प्रबंधन तबादला आदेश वापस न लेने का जो कारण बता रहा है, वह मूर्खतापूर्ण है, वह कह रहा है कि उसे अभी तक अदालत के आदेश की प्रति नहीं मिली है, जबकि वह हमें मिल गई है।” 13 सितंबर को प्रिकोल के कार्यकर्ताओं ने कोयंबटूर जिला कलेक्टर कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और राज्य सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की।
ये भी पढ़ें: कोविड-19: लॉकडाउन की भागलपुर रेशम उद्योग पर भारी मार
कामगारों के इस प्रदर्शन के बारे में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला नेता मणिकंदन कहते हैं, “यदि राज्य सरकार इसमें हस्तक्षेप नहीं करती है और मौजूदा समस्या का समाधान नहीं करती है, तो हमें विरोध प्रदर्शन के लिए अपने परिवारों को भी सड़कों पर लाना होगा। इसके अलावा, हमारे पास और कोई विकल्प नहीं है।"
पीपीजी एशियन पेंट्स
सितंबर 2021 की शुरुआत में श्रीपेरंबदूर में, पीपीजी एशियन पेंट्स प्लांट से यूनाइटेड लेबर फेडरेशन के ट्रेड यूनियन सचिव सहित सात स्थायी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया। यूएलएफ का दावा है कि श्रमिकों के खिलाफ झूठे आरोप लगा कर उन्हें अवैध रूप से बर्खास्त कर दिया गया, और आरोप है कि प्रबंधन ने यह दंडात्मक कार्रवाई निर्धारित वेतन संशोधन वार्ता के तीन महीने पहले की।
बर्खास्तगी और निरसन की मांग के बाद, पीपीजी एशियन पेंट्स के कर्मचारी 8 सितंबर को हड़ताल पर चले गए। इन हड़ताली कामगारों ने प्रशासन से मांग की है कि वे उनके सात बर्खास्त कर्मचारियों के साथ बातचीत करे और उन्हें बहाल करे।
पीपीजी एशियन पेंट्स के कर्मचारी टर्मिनेशन का विरोध कर रहे हैं। फ़ोटो क्रेडिट- नित्यानंद
भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनी फोर्ड, टाटा, हुंडई, किआ और महिंद्रा जैसी बड़ी कार निर्माता कंपनियों के लिए ऑटोमोबाइल कल-पुर्जों के कलर कोटिंग डाई का उत्पादन करती है।
बीएमडब्ल्यू
18 महीने के संघर्ष के बाद, महिंद्रा वर्ल्ड सिटी में स्थित जर्मन कार निर्माता बीएमडब्ल्यू के संयंत्र में प्रबंधन एवं कामगारों के बीच वेतन संशोधन वार्ता पिछले सप्ताह संपन्न हुई। बीएमडब्ल्यू स्टाफ और कर्मचारी संघ द्वारा कई विरोध प्रदर्शन करने, ज्ञापन देने और वार्ताओं के जारी रखने के बाद आखिरकार एक सफल समझौता हुआ।
बीएमडब्ल्यू प्लांट में वेतन संशोधन समझौता सफल हुआ। फोटो क्रेडिट- कन्नन सुंदरराजन
सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) से संबद्ध ट्रेड यूनियन ने अप्रैल 2020 से लेकर मार्च 2023 की अवधि के लिए अन्य लाभों के अलावा वेतन मद में ही सीधे 23,000 रुपये की बढ़ोतरी कराई है।
सीटू के नेता कन्नन सुंदरराजन ने कहा, “बीएमडब्ल्यू यूनियन ने कोविड-19 महामारी की अवधि के दौरान वेतन वृद्धि नहीं करने के प्रबंधन के दृष्टिकोण का स्पष्ट रूप से विरोध किया। हमने कामगारों को प्रीमियम के रूप में 10 ग्राम सोना, और आयुध पूजा के अवसर पर उपहार स्वरूप वर्ष 2020, 2021 और 2022 के लिए क्रमशः रु 10,000, 12,000 और 2021 और 13,000 रुपये के रूप में अन्य लाभ भी सुनिश्चित किए हैं।"
ये भी पढ़ें: फ़ोटो आलेख: ढलान की ओर कश्मीर का अखरोट उद्योग
सुंदरराजन ने कहा, "इन सबमें खास बात है कि यूनियन ने महामारी के दौरान रक्त-संबंध वाले परिजन की मृत्यु की स्थिति में कामगारों को तीन दिन की छुट्टी भी सुनिश्चित की है।"
वैलियो, अपोलो टायर्स, कैपरो
बीएमडब्ल्यू कर्मचारियों के समान ही, फ्रेंच वैलियो लाइटिंग सिस्टम उद्योग के कर्मचारियों ने औसतन 13,400 रुपये की सफल वेतन वृद्धि सुनिश्चित की। इसके अलावा, अतिरिक्त छुट्टी और 10 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा की सुविधा भी दिलाई है।
वैलियो लाइटिंग में वेतन संशोधन समझौता। फोटो क्रेडिट- सीटू, तमिलनाडु
सीटू के नेता मुथुकृष्णन ने कहा, 'शुरुआत में प्रबंधन ने हमारी मांगों को मानने से इनकार कर दिया था। लेकिन आठ महीने तक हुए कई विरोध-प्रदर्शनों और 21वें दौर की वार्ता के बाद जाकर यह समझौता संभव हो पाया।”
ओरागडम में अपोलो टायर्स उद्योग में भी पिछले सप्ताह सीटू द्वारा 18,000 रुपये की वेतन वृद्धि कराई गई है। मुथुकृष्णन ने कहा, "यह सबसे बड़ी वेतन वृद्धि थी, और यह केवल इसलिए संभव हो सका था क्योंकि कंपनी में यूनियन की स्थिति काफी मजबूत है।"
कपारो में वेतन संशोधन समझौता। फोटो क्रेडिट- सीटू, तमिलनाडु
श्रीपेरंबदूर में मोटर वाहन निर्माता कपारो ने कामगारों के वेतन मद में 12,500 रुपये प्रति माह वेतन वृद्धि करने और आयुध पूजा बोनस के रूप में अगले तीन वर्षों के लिए 4,500 रुपये देने की बात मान ली है। यह वेतन वृद्धि समझौता जनवरी 2020 से ही बकाया था, जिसे सितम्बर 2021 में अंतिम रूप दिया गया। इस वेतन वृद्धि की लंबित राशि का भुगतान जनवरी 2020 से किया जाएगा। यह न होने के चलते ही सीटू से जुड़े कर्मचारियों ने मई 2021 में पांच दिवसीय हड़ताल की थी।
अंग्रेजी में मूल रूप से प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें-
Fight for Wage Revision Pacts Bears Fruit in Tamil Nadu’s Big Industries
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।