पश्चिम बंगाल : TET भर्ती को लेकर ममता सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन तेज़, पुलिस पर लाठीचार्ज के आरोप
रोज़गार को लेकर देश के बेरोज़गार नौजवान आए दिन सड़कों पर प्रदर्शन करने को मजबूर हैं। कभी उत्तर प्रदेश तो कभी राजस्थान, कभी मध्य प्रदेश तो कभी हरियाणा। बीते कुछ समय में अलग-अलग राज्यों के युवा और सरकारी नौकरी की तलाश कर रहे अभ्यर्थी अपने प्रदेश और देश में कई बार सड़कों पर उतरे हैं और पुलिस की लाठियां भी खाई हैं। ताज़ा मामला पश्चिम बंगाल से सामने आया है, जहां 2014 में हुए टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट यानी TET के जॉइनिंग लेटर जारी करने की मांग को लेकर उम्मीदवार शांतिपूर्ण धरना दे रहे थे। आरोप है कि गुरुवार, 20 अक्टूबर की रात पुलिस ने उम्मीदवारों पर लाठीचार्ज कर दिया साथ ही इलाके में धारा 144 भी लगा दी गई। हालांकि पुलिस इसे कम-से-कम बल का इस्तेमाल बता रही है।
बता दें कि 17 अक्टूबर से ही टेट भर्ती से जुड़े अभ्यर्थी कोलकाता के सॉल्ट लेक इलाके में पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ प्राइमरी एजुकेशन (WBBPE) के ऑफिस के सामने धरना प्रदर्शन कर रहे थे। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो धरना कर रहे लगभग 500 अभ्यर्थियों को पुलिस ने धरना स्थल खाली करने को कहा लेकिन जब अभ्यर्थियों ने हटने से मना कर दिया तो पुलिस ने उन पर लाठियां बरसानी शुरू कर दी।
राज्य सरकार और पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ वाम के युवा मोर्चा DYFIकी अध्यक्ष मीनाक्षी मुखर्जी ने भी मीडिया से पूरे प्रदेश में धरना प्रदर्शन आयोजित करने की बात कही। शुक्रवार, 21 अक्तूबर को SFI और DYFI ने बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के प्रधान कार्यालय के पास जमकर प्रदर्शन भी किया। जिसके बाद पुलिस ने उन्हें हटाने के लिए हल्का बल प्रयोग किया और कई प्रदर्शनकारी उम्मीदवारों को हिरासत में भी ले लिया है।
क्या है पूरा मामला?
राज्य में टीचरों की भर्ती के लिए पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ़ प्राइमरी एजुकेशन यानी WBBPE टीईटी परीक्षा का आयोजन कराती है। साल 2014 में हुई टीईटी परीक्षा के क्वालिफाइड उम्मीदवारों को अब तक जॉइनिंग लेटर नहीं मिला है। उम्मीदवारों का कहना है कि उन्होंने साल 2014 में हुए टीईटी एग्जाम को पास किया है, इसके बाद होने वाला इंटरव्यू भी दे चुके हैं। लेकिन जिस पैनल ने उनका इंटरव्यू लिया, उनके द्वारा उन्हें अभी तक नौकरी नहीं दी गई है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, टीईटी परीक्षा आयोजित कराने वाले पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ प्राइमरी एजुकेशन का कहना है कि इंटरव्यू लेने वाले पैनल का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। वो पैनल अब काम नहीं कर रहा है। इसलिए अब नौकरी के लिए उम्मीदवारों को दोबारा परीक्षा में बैठना होगा।
प्रदर्शनकारियों का दावा है कि वर्ष 2020 में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घोषणा की थी कि शुरुआत में 20 हजार शिक्षकों नियुक्त किया जाएगा। लेकिन उसके बाद भी किसी को नौकरी नहीं मिली। अब उम्मीदवार सरकार से नौकरी की मांग को लेकर 17 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। उम्मीदवारों का कहना है कि वो छोटे-छोटे गुटों में बैठे थे। 20 उम्मीदवार पिछले तीन दिनों से भूख हड़ताल पर भी थे। इन मांगों को लेकर राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु और WBBPE के अध्यक्ष गौतम पॉल ने उम्मीदवारों से धरना खत्म करने की बात भी कही थी। लेकिन उम्मीदवारों ने उनकी बात नहीं मानी और फिर से परीक्षा व इंटरव्यू देने को मना कर दिया। जिसके बाद पुलिस की ये कार्रवाई सामने आई है।
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनको घसीटा। हालांकि, पुलिस ने दावा किया कि भीड़ को तितर-बितर करने के लिए उन्होंने कम से कम बल प्रयोग किया। एक प्रदर्शनकारी शिला दास ने पीटीआई को बताया कि पुलिस ने हमें घसीटा और हमें तीन प्रतीक्षारत वाहनों में डाल दिया। यहां तक कि महिलाओं के साथ भी दुर्व्यवहार किया गया। उन्होंने आगे दावा किया कि पुलिस ने उन पर अलोकतांत्रिक हमला किया था।
फिल्म निर्देशक अपर्णा सेन ने साल्टलेक की घटना का विरोध करते हुए ट्वीट किया। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “तृणमूल सरकार भूख हड़ताल करने वालों के लोकतांत्रिक अधिकारों में हस्तक्षेप कर रही है! अहिंसक आंदोलन के खिलाफ धारा 144 क्यों जारी की गयी? सरकार के अनैतिक व्यवहार का पुरजोर विरोध।”
उन्होंने आगे कहा, ”मुझे लगता है कि शांतिपूर्ण आंदोलन चल रहा है, मौलिक लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन हो रहा है। कहा गया है कि उन्होंने धारा 144 का पालन नहीं किया, लेकिन बात यह है कि, मुझे समझ नहीं आता कि शांतिपूर्ण आंदोलन के खिलाफ धारा 144 क्यों जारी की गई?”
अपर्णा सेन के अलावा अभिनेता रिद्धि सेन, अभिनेत्री श्रीलेखा मित्रा, शोधकर्ता केशव भट्टाचार्य ने भी ममता सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए पुलिस की इस बर्बरता का विरोध किया है।
विपक्ष ने क्या कहा?
प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज होने के बाद विपक्ष ने पश्चिम बंगाल सरकार पर निशाना साधा है। प्रदेश कांग्रेस ने ‘धिक्कार जुलूस' के आयोजन की बात कही है तो वहीं मामले की निंदा करते हुए बीजेपी विधायक अग्निमित्रा पॉल ने पूरे राज्य में धरना आयोजित करने की चेतावनी दी है।
अग्निमित्रा पॉल ने मीडिया से बातचीत में कहा, “पुलिस ने रात के समय धरना दे रहे उम्मीदवारों को पीटा है। हम ये सब सहन नहीं करेंगे। हम 21 अक्टूबर को पूरे राज्य में धरना प्रदर्शन करेंगे।”
पॉल ने आगे कहा कि ममता बनर्जी सरकार ने ये वादा किया था कि साल 2014 के TET क्वालीफाई उम्मीदवारों को नौकरी दी जाएगी। सरकार ने 20 हजार नौकरियां का वादा किया था। लेकिन अभी तक सिर्फ 6 हजार 100 पदों को ही भरा गया है। इन उम्मीदवारों को अब दोबारा टेस्ट और इंटरव्यू देने को क्यों बोला जा रहा है?”
वहीं, पश्चिम बंगाल सरकार में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने राज्य की स्थिति पर चिंता जताते हुए राज्य सरकार की तुलना जर्मनी में हिटलर सरकार से कर दी। उन्होंने कहा कि राज्य प्राथमिक शिक्षा बोर्ड कार्यालय के बाहर धरने पर बैठे प्रदर्शनकारियों को जबरन उठाने के लिए बल प्रयोग किया गया। ये पश्चिम बंगाल है या हिटलर का जर्मनी?
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड ने शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने के बावजूद नौकरी से वंचित उम्मीदवारों के आंदोलन के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। बोर्ड ने मामले की तत्काल सुनवाई की अपील की थी, जिसे न्यायाधीश न्यायमूर्ति ललिता बनर्जी ने फिलहाल खारिज कर दिया है। जस्टिस बनर्जी ने बोर्ड की तमाम कानूनी प्रक्रियाओं के अनुरूप नये सिरे से मामला दायर करने को कहा है। कोर्ट का फैसला इस मामले में क्या होगा ये तो पता नहीं, लेकिन इतना जरूर तय है कि युवाओं का नौकरी के लिए इंतजार का सब्र अब टूट चुका है और जल्द ही प्रदर्शन और बड़े पैमाने पर देखने को मिल सकता है।
फ़ोटो साभार : ट्विटर
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