पश्चिम बंगाल: न्यायिक हिरासत में रेप आरोपी बीएसएफ जवान, तृणमूल कांग्रेस का प्रदर्शन
"पीएम नरेंद्र मोदी, आपको भाषणों से आगे अब कर्तव्यों की तरफ जाना चाहिए. लाल किले से नारी शक्ति के सम्मान की बात करना तो आसान है लेकिन अगर महिलाएं अपने ही देश में सुरक्षित जगह के लिए भटकती रहेंगी तो इसका कोई मतलब नहीं है। 'नया भारत' महिलाओं का देश नहीं!"
ये ट्वीट ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस का है। पार्टी 24 परगना जिले के बगदा में सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ के दो जवानों पर दुष्कर्म के आरोप को लेकर केंद्र सरकार पर हमलावर है। मीडिया खबरों के मुताबिक बीएसएफ के दोनों आरोपी जवान फोर्स की 68वीं बटालियन से जुड़े थे। ये बटालियन अभी बागदा के बजीतपुर इलाके में तैनात है। खबरों की मानें तो पीड़ित महिला भारत से बांग्लादेश में प्रवेश करने की कोशिश कर रही थी, तभी उसके साथ ये घटना हुई।
बता दें कि महिला की शिकायत के बाद इन दोनों आरोपियों को बीएसएफ ने निलंबित कर राज्य पुलिस के हवाले कर दिया है। गिरफ्तार किए गए जवानों के नाम असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर एस.पी. चेरो और कांस्टेबल अतलाफ हुसैन है। भारत-बांग्लादेश सीमा चौकी में तैनात इन दोनों जवानों में से एक पर एक महिला का कथित तौर से रेप करने जबकि दूसरे पर रेप में मदद करने का आरोप है।
क्या है पूरा मामला?
प्राप्त जानकारी के मुताबिक पश्चिम बंगाल पुलिस ने 26 अगस्त को बागदा से इन दो जवानों को गिरफ्तार किया है। खबरों के मुताबिक गुरुवार यानी 25 अगस्त की देर रात जितपुर सीमा पर दुष्कर्म की ये घटना हुई। जहां दोनों आरोपी 23 वर्षीय पीड़िता को जबरन खेत में ले गए, और वहां उसके साथ दुष्कर्म किया और उसे बेहोशी की हालत में वहीं छोड़ दिया। शुक्रवार शाम पीड़िता ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ स्थानीय थाने में शिकायत दर्ज कराई। जिसके बाद उसी रात बीएसएफ के दोनों जवानों को गिरफ्तार कर लिया गया।
पुलिस के अनुसार महिला ने शिकायत में बताया, "हमे पता चला कि हमारा एक रिश्तेदार बीमार पड़ गया है तो 25 अगस्त को रात मैं अपने परिवार के साथ बागदा सीमा पर जितपुर से सीमा पार करने की कोशिश कर रही थी। उसी समय बीएसएफ के दो जवानों ने मुझे पकड़ा और पास के खेत में ले गए। वहां एक ने मेरा रेप किया और एक ने उसकी सहायता की।"
बनगांव जिले के पुलिस अधीक्षक तरुण हालदार ने मीडिया को बताया कि शनिवार को जिला अदालत में इन दोनों आरोपियों को पेश किया गया, जहां से इन्हें सात दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। बीएसएफ की ओर से भी 'कोर्ट ऑफ इंक्वायरी' का आदेश दिया गया है साथ ही जांच टीम भी गठित की गयी है। इसके अलावा राज्य की सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस ने भी घटनास्थल पर तीन सदस्यों का एक डेलिगेशन भेजा था।
बलात्कार का मामला और सियासत
एक ओर जांच जारी है, वहीं दूसरी ओर बलात्कार का यह मामला अब सियासी जंग में बदल गया है। तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के बीच छींटाकशी का दौर शुरू हो गया है। क्योंकि ये इलाका बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में आता है, इसलिए इसे लेकर तृणमूल कांग्रेस बीजेपी पर हमलावर है।
इस घटना के सामने आने के बाद टीएमसी सांसद काकोली घोष ने ट्वीट कर कहा, “एक महिला का दो बीएसएफ जवानों ने यौन उत्पीड़न किया और उसे आवाज न उठाने की धमकी दी गई। ये है बीजेपी के बढ़े हुए अधिकार क्षेत्र की भयावह हकीकत! PM नरेंद्र मोदी, रक्षकों के भक्षक बनने की जिम्मेदारी कौन लेगा?"
A homemaker was sexually assaulted by 2 BSF men & was threatened to not raise her voice.
THIS is the HORRIFIC reality of BJP’s enhanced jurisdiction!
PM @narendramodi, who will take accountability for Rakshaks becoming Bhakshaks?
Yes, we hear silence. https://t.co/f2mDcJDMdM— Dr. KakoliGDastidar (@kakoligdastidar) August 27, 2022
इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी सांसद और पार्टी के उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने मीडिया से कहा कि इससे पहले कश्मीर में भी सेना के जवानों के खिलाफ इस तरह के कई आरोप लगते रहे हैं, लेकिन उनमें से ज्यादातर झूठे आरोप ही थे। पता नहीं ये आरोप सही है या झूठ? उन्होंने कहा कि अगर सच है तो यह एक जघन्य अपराध है और दोषियों को उचित सजा दी जानी चाहिए।
सीमा पर सैनिक और आम लोगों के उत्पीड़न
गौरतलब है कि इससे पहले भी बीएसएफ के जवानों द्वारा क्षेत्र में गांवों के पास सीमा पर आम लोगों के उत्पीड़न की कई खबरें सामने आई हैं। इसका खुलासा खुद बगदा के स्थानीय विधायक बिस्वजीत दास ने मीडिया के सामने किया है। इससे पहसे ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस ने बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को इंटरनेशनल बॉर्डर से 15 किमी दूर के बजाय 50 किमी दूर तक बढ़ाने के केन्द्र सरकार के निर्णय को नामंजूर कर दिया था। जिसपर अच्छा-खासा बवाल देखने को मिला था।
अक्सर सीमावर्ती इलाकों में सीमा सुरक्षा बलों और भारतीय सेना के जवानों की तैनाती का विरोध राज्यों के साथ ही मानवाधिकार संगठन, नागरिक समाज के लोग और स्थानीय निवासी भी करते आए हैं। आरोप लगते रहे हैं कि इससे सेना को जो शक्तियां मिलती हैं, उसका दुरुपयोग होता है। सेना पर फेक एनकाउंटर, मनमाने ढंग से गिरफ्तारी और हिरासत में टॉर्चर, बलात्कार जैसे आरोप लगते रहे हैं। चूंकि कानून के तहत अर्धसैनिक बलों पर मुकदमे के लिए भी केंद्र सरकार की मंजूरी जरूरी है, इसलिए ज्यादातर मामलों में न्याय भी नहीं मिल पाता है।
शायद आपको याद हो 10-11 जुलाई 2004 की दरमियानी रात 32 वर्षीय थंगजाम मनोरमा का कथित तौर पर सेना के जवानों ने रेप कर हत्या कर दी थी। मनोरमा का शव क्षत-विक्षत हालत में बरामद हुआ था। इस घटना के बाद 15 जुलाई 2004 को करीब 30 मणिपुरी महिलाओं ने नग्न होकर प्रदर्शन किया था। हालांकि उस मामले में क्या न्याय हुआ, शायद ही किसी को याद हो। ऐसे में कहा जा सकता है कि देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए जितना जरूरी है कि सेना को विशेष अधिकार दिए जाए, उतना ही जरूरी है कि उन्हें संवेदनशील और महिलाओं के प्रति उदार बनाया जाए। महिलाओं के साथ हो रहे अन्याय को रोकने के लिए उनकी जवाबदेही तय की जाए और दुष्कर्म जैसे मामलों का जल्द निपटान हो।
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