क्या बोलिविया में दोबारा चुनाव होंगे?
10 नवंबर 2019 को बोलिविया के राष्ट्रपति इवो मोराल्स आयमा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। 2014 में मोराल्स को तीसरे कार्यकाल के लिए चुना गया था, उनका कार्यकाल जनवरी 2020 तक जारी रहना था। नवंबर 2019 में जब मोराल्स चौथी बार जीत गए, तब विरोध प्रदर्शन हुए। इसके बाद पुलिस और मिलिट्री ने मोराल्स से अपने पद को छोड़ने के लिए कहा। किसी भी व्याख्या को उठाएं, यह एक तख़्तापलट था। दो दिन बाद मोराल्स निर्वासित होकर मेक्सिको चले गए।
16 नवंबर को मोराल्स ने मैक्सिको के अख़बार ला जोरनाडा को बताया कि उन्हें हटाने के लिए जो तख़्तापलट किया गया, वो ला पेज़ में स्थित अमेरिकी दूतावास के इशारे पर हुआ। उन्होंने कहा कि तख़्तापलट के पीछे बोलिविया के लीथियम रिज़र्व और उनकी सरकार के उत्तर अमेरिकी बहुराष्ट्रीय खनन कंपनियों के सामने ना झुकने समेत दूसरे कारण भी रहे। मोराल्स ने ला जोरनाडा के मिगेल एंजल वेलाक्यूज़ से कहा कि उनका "गुनाह" सिर्फ़ इतना है कि उन्होंने "सबसे गरीब़ परिवारों के लिए समाज कल्याण कार्यक्रम चलाए"।
इस तख़्तापलट को बोलिविया के कुलीन लोगों और अमेरिकी सरकार ने सही ठहराते हुए लोकतंत्र की वापसी बताया। कुलीन लोगों और अमेरिकी सरकार का "लोकतंत्र" से यहां मतलब उन कुलीन लोगों द्वारा शासन है, जो विनम्रता के साथ अपने संसाधन खनन कंपनियों को छूट के साथ उपलब्ध कराते हैं। उन्हें इस बात से कोई लेना-देना नहीं है कि जिन लोगों का अपने जीवन और संसाधनों पर अधिकार होना चाहिए, वे उनका प्रशासन करते हैं या नहीं। इसलिए बोलिविया के कुलीन लोगों के एक बड़े हिस्से और अमेरिकी सरकार में इस बात को लेकर कोई चिंता नहीं है कि बोलिविया में अगले एक साल तक चुनाव नहीं होंगे।
तख्तापलट से आई सरकार सत्ता में बरकरार
मोराल्स की जगह जेनिन एनेज़ ने राष्ट्रपति पद संभाला है, वे एक छोटे कद की राजनेता थीं, जो संवैधानिक नज़रिए से पद का दायित्व संभावले वाली श्रंखला का भी हिस्सा नहीं थीं। एनेज़ ने कहा था कि जब अंतरिम सरकार का वक़्त ख़त्म हो जाएगा, तब वे दोबारा चुने जाने के लिए खड़ी नहीं होंगी। लेकिन वे जल्द अपने वायदे से मुकर गईं। यह उन कई वायदों में से पहला था, जिन्हें एनेज़ ने तोड़ा। राष्ट्रपति चुनाव 3 मई, 2020 को होने थे। लेकिन कोरोना वायरस पर काबू पाने में उनकी सरकार की अक्षमता के चलते चुनावों को 6 सितंबर, 2020 तक टाल दिया गया।
एनेज़ और उनके सहयोगी, मोराल्स की पार्टी मूवमेंट फॉर सोशलिज़्म (MAS) से काफ़ी पीछे हैं। मोराल्स की पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद के लिए लुईस आर्स केटाकोरा और उपराष्ट्रपति पद के लिए डेविड चोकेहुआंका केसपेडेस प्रत्याशी हैं। एनेज़ के सहयोगी तो कार्लोस मेसा की सेंटर-राइट पार्टी, सिविक कम्यूनिटी पार्टी से भी काफ़ी पीछे हैं। कार्लोस मेसा, बोलिविया के पूर्व राष्ट्रपति हैं, जो 2019 में मोराल्स के खिलाफ़ खड़े भी हुए थे, पर हार गए थे। एक बड़ी बार की शर्मिंदगी से बचने के लिए एनेज़ ने सुप्रीम इलेक्टोरल ट्रिब्यूनल (TSE) पर चुनावों को 18 अक्टूबर, 2020 तक टालने के लिए दबाव बनाया। इस बात की भी कोई गारंटी नहीं है कि आगे भी चुनावों की तारीख़ को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा।
TSE का प्रतिनिधित्व अब साल्वाडोर रोमेरो करते हैं। रोमेरो की अमेरिका से ख़तरनाक निकटता के चलते, मोराल्स ने 2008 में उनके कार्यकाल को आगे नहीं बढ़ाया था। जब रोमेरो का कार्यकाल आगे नहीं बढ़ाया गया था, तो उन्होंने अमेरिकी राजदूत फिलिप गोल्डबर्ग से शिकायत भी की थी। गोल्डबर्ग ने रोमेरो से गर्मजोशी के साथ मुलाकात की थी, लेकिन वे मोराल्स पर रोमेरो का कार्यकाल आगे बढ़ाने का दबाव नहीं बना पाए थे। खैर, अमेरिकी ने रोमेरो को अच्छी पोस्ट पर नियुक्ति दी। उन्होंने होंडुरास के तेगुचिगाल्पा में नेशनल डेमोक्रेटिक इंस्टीट्यूट में नौकरी ले ली। नेशनल डेमोक्रेटिक इंस्टीट्यूट, अमेरिकी डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़ा है।
होंडुरास में रहने के दौरान रेमेरो ने तय किया कि 2013 के राष्ट्रपति चुनावों में हुई हिंसा की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा ना होने पाए। उस चुनाव में अति दक्षिणपंथी जुआन ओरलेंडो हर्नांडेज़ (अमेरिका द्वारा समर्थित) ने वामपंथी ज़ियामारा कास्त्रो को हराया था। रोमेरो और उनके जैसे लोगों ने हर्नांडेज़ की जीत के लिए इस्तेमाल किए गए गंदे तरीकों को ढंकने में मदद की। रोमेरो ने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा था, "फर्ज़ीवाड़े की आम सोच के बावजूद चुनाव अच्छे ढंग से हुए थे।" नवंबर 2019 में जब अमेरिका की मदद से एनेज़ सत्ता में आईं, तो उन्होंने रोमेरो को TSE का अध्यक्ष बनने के लिए बोलिविया वापस बुला लिया।
दक्षिणपंथ में दरारें
बोलिविया में अतिदक्षिणपंथी खेमे में सबकुछ ठीक नहीं है। एनेज़ की ज़मीन पर पकड़ नहीं है। सेंटर-राइट के प्रत्याशी कार्लोस मेसा इस चुनाव को अपने और MAS के बीच की लड़ाई बनाने के लिए आतुर हैं। वे चाहते हैं कि एनेज़ एक तरफ हो जाएं ताकि दक्षिणपंथी वोट उन्हीं के पक्ष में आकर गिरें। लेकिन भाग्य उनका साथ नहीं दे रहा है। एनेज़ चाहती हैं कि मेसा चुनाव से हट जाएं, इसलिए वे चुनाव को लंबे वक़्त के लिए टालती जा रही हैं, ताकि वे खुद नेतृत्वकारी भूमिका में हों।
एनेज़ अतिदक्षिणपंथी समूहों की सैन्य टुकड़ियों, जैसे- सांता क्रूज सिविक कमेटी, द रेसिसटेंसिया जुवेनिल कोशाला और द यूनियन जुवेनिल क्रुशेनिस्टा, इनकी मदद से सत्ता में आई थीं। इन समूहों को सक्रिय करने का काम सांता क्रूज के एक बिज़नेसमैन लुईस फर्नांडो केमेशो ने किया था। लुईस में फासिस्ट प्रवृत्तियां दिखाई देती हैं। सत्तापलट के बाद ब्रैंको मैरिंकोविच ब्राजील से वापस आ गए। ब्रैंको पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज हुआ था, जिसके बाद वे ब्राजील चले गए थे। बोलिविया वापस आने के बाद उन्होंने इन अतिदक्षिणपंथी संगठनों पर नियंत्रण पाने की कोशिश की। केमेशो और मैरिंकोविच के बीच के झगड़े और चुनाव में दक्षिणपंथी खेमे की जीत की अनिश्चित्ता ने एनेज़ और रोमेरो के हाथ बांध दिए हैं। एक ऐसे चुनाव, जिससे MAS की वापसी हो जाए, उसके बजाए वे चुनाव ना करवाना (महामारी का बहाना लेकर) ही चुनेंगे।
चुनावों के लिए प्रदर्शन
पूरे बोलिविया में चुनाव कराए जाने की मांग के साथ अगस्त की शुरुआत में एक हफ़्ते तक ब्लॉकेड्स लगाए गए, जुलूस निकाले गए और सभाएं हुईं। प्रदर्शनों में 6 सितंबर को चुनाव करवाए जाने की मांग की गई। लेकिन ऐसा होना मुमकिन नहीं लगता। लेकिन प्रदर्शन से TSE को अंदाजा हो गया है कि चुनावों में अगर और ज़्यादा देर की गई या फिर चुनाव नतीज़ों में मनमुताबिक़ छेड़खानी हुई, तो इससे जनता में विद्रोह पैदा हो जाएगा।
सभी पोल में यह बात सामने आ रही है कि MAS की चुनावों के पहले चरण में जीत होगी। अगर पहले चरण के बाद अतिदक्षिणपंथी और मध्य दक्षिणपंथी (सेंटर राइट) एकसाथ नहीं आए और वामपंथी एक साथ रहने में कामयाब रहे, तो MAS दूसरे चरण का चुनाव भी जीत सकता है। अगर वामपंथी एकसाथ नहीं आते हैं, तो MAS का चुनाव जीतने का ख़्वाब कमजोर हो सकता है।
अपने 14 साल के कार्यकाल में MAS ने एक ऐसे एजेंडे पर काम किया है, जिससे लोगों को बहुत फायदा हुआ है। ठीक इसी दौरान, लंबे वक़्त में MAS हर सामाजिक क्षेत्र को हर बार संतोष देने में नाकामयाब रही है। वामपंथी खेमे में तभी दरारें उबर आईं थीं, जब मोराल्स सत्ता में थे। दरारें इतनी बड़ी थीं कि देश के सबसे बड़े ट्रेड यूनियन फेडरेशन (सेंट्रल ओब्रेरा बोलिवियाना या COB) ने सार्वजनिक तौर पर मोराल्स के इस्तीफे की मांग तक कर दी।
COB, पोंचोस रोजोस, नेशनल कंफेडरेशन ऑफ इंडिजनस पीजेंट वीमेन और पैक्ट ऑफ यूनिटी जैसे समूहों ने ही हाल में हुए प्रदर्शनों का नेतृत्व किया था। उन्होंने एनेज़ सरकार के इस्तीफ़े और चुनाव कराए जाने की मांग करने वाले लोगों को इकट्ठा किया। इन समूहों और MAS की एकता अब तक स्पष्ट नहीं है। संघर्ष और चुनावों की ओर बढ़ रहे वामपंथी खेमे को इस तरह की दरारें कमज़ोर करती हैं। अगर वामपंथियों एकसाथ रहते हैं, तो MAS की सत्ता में वापसी लगभग तय है। वामपंथियों के लिए मुख्य काम लोकप्रिय ताकतों को एक करना और युवा नेतृत्व को आगे बढ़ाना है। यही युवा नेतृत्व हाल में हुए प्रदर्शनों में खूब जोर-शोर से आगे आया है।
लेकिन बोलिविया में अब भी कई लोगों को डर है कि गलत तरीकों का इस्तेमाल कर उनसे चुनाव के नतीज़े छीन लिए जाएंगे। इन गलत तरीकों में वोटिंग के दौरान संभावित ब्लैकऑउट भी शामिल हैं। इस बात का अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल नहीं है कि तख़्तापलट के बाद सत्ता में आई सरकार के दिमाग में यही बातें होती है। उसने लोकतंत्र का खात्मा इसलिए नहीं किया था कि वह बाद में लोकतंत्र को अपनी सत्ता के खात्मे की अनुमति दे सके।
इस लेख को इंडिपेंडेंट मीडिया इंस्टीट्यूट के प्रोजेक्ट Globetrotter ने प्रकाशित किया था।
विजय प्रसाद एक भारतीय इतिहासकार, संपादक और पत्रकार हैं। वह इंडिपेंडेंट मीडिया इंस्टीट्यूट के प्रोजेक्ट Globetrotter के मुख्य संवाददाता हैं। साथ ही वे लेफ़्टवर्ड बुक्स के संपादक और टाईकांटिनेंटल: इंस्टीट्यूट फॉर सोशल रिसर्च के निदेशक हैं। वह रेनमिन यूनिवर्सिटी, चीन के चोंगयांग इंस्टीट्यूट फॉर फायनेंशियल स्टडीज़ के सीनियर नॉन रेसिडेंट फैलो भी हैं। उन्होंने 20 से ज़्यादा किताबें भी लिखी हैं, जिनमें द डॉर्कर नेशंस और द पूअरर नेशंस शामिल हैं। उनकी हालिया किताब वाशिंगटन बुलेट्स का परिचय इवो मोराल्स आयमा ने लिखा है।
मैनुएल बेरटोल्डी, अर्जेंटीना के फ्रैंटे पेट्रिया ग्रांडे अल्बा मोविमिएंटोस के नेता है। वह इंटरनेशनल पीपल्स असेंबली के कोआर्डिनेटर भी हैं।
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