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बिहार: औराई में कालीन निर्यातक ने दलित कर्मचारी पर हमला किया और तेजाब फेंकने की धमकी दी, मामला दर्ज

कालीन निर्यातक अनुराग बरनवाल और एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
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फ़ोटो साभार : एमनेस्टी इंटरनेशनल

पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि बिहार के औराई में एक कालीन निर्यातक समेत दो लोगों पर दलित कर्मचारी पर हमला करने और उसे जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया गया है।

कालीन निर्यातक अनुराग बरनवाल और एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।

द ऑबजर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, 34 वर्षीय कर्मचारी ओम प्रकाश गौतम की शिकायत के अनुसार, बरनवाल ने उसे और 20 अन्य मजदूरों को मई से अगस्त तक 7.8 लाख रुपये के कालीन फिनिशिंग और पैकिंग के लिए काम पर रखा था। शुरुआत में बरनवाल ने 2.14 लाख रुपये का भुगतान किया, लेकिन शेष 5.65 लाख रुपये रोक लिए।

30 अगस्त को जब गौतम बकाया राशि लेने गया तो बरनवाल और एक अन्य व्यक्ति ने कथित तौर पर उसे एक ऑफिस में बंद कर दिया, उसके साथ मारपीट की और उसके कपड़े फाड़ दिए। पुलिस अधीक्षक मीनाक्षी कात्यायन ने बताया कि उन्होंने तेजाब डालकर उसे जान से मारने की धमकी भी दी।

गौतम की चीख-पुकार सुनकर फैक्ट्री के कर्मचारियों ने बीच-बचाव किया और उसे छुड़ाया। पुलिस ने पुष्टि की कि गौतम को बाद में इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया। जांच अभी जारी है।

बता दें कि दलितों पर हमले की ये कोई नई घटना नहीं है। हाल ही में तेलंगाना के मेडक जिले में पुलिस ने 16 लोगों को गिरफ्तार किया जिन्होंने मडिगा समुदाय के एक दलित परिवार का कथित तौर पर सामाजिक बहिष्कार किया था। यह बहिष्कार तब हुआ था जब परिवार ने दप्पू बजाने से इनकार कर दिया, जो गांव के अंतिम संस्कार जैसे समारोहों में इस्तेमाल किया जाने वाला पारंपरिक वाद्य यंत्र है। इस परिवार में स्नातकोत्तर कर चुके भाई शामिल हैं, जो हैदराबाद में कार्यरत हैं। उन्होंने पारंपरिक काम को न करने का निर्णय लिया, जिसके लिए उनके अपने समुदाय के कुछ लोगों और अन्य ग्रामीणों ने उन पर दबाव डाला।

गांव के उपसरपंच पर भेदभाव का आरोप लगाया गया। उन्होंने कथित तौर पर परिवार को बुनियादी सुविधाएं जैसे घर बनाने और पानी के कनेक्शन से भी वंचित रखा। 10 सितंबर को गांव में एक बैठक हुई, जिसमें परिवार के सामाजिक बहिष्कार का प्रस्ताव पारित किया गया। यह तय किया गया कि जो कोई भी इस परिवार से बातचीत करेगा, उस पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके बाद परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

ज्ञात हो कि एक सप्ताह पहले बिहार में ही नवादा जिले में दबंगों ने दलित बस्ती में आग लगा दी और 80 से अधिक घरों को जला दिया। घटना के सिलसिले में अब तक मुख्य आरोपी समेत कई लोगों को गिरफ्तार किया गया।

कई दिनों से जमीन विवाद को लेकर दो पक्षों में तनाव चल रहा था। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, दो समुदायों के लोगों के बीच गैर-खेती वाली जमीन को लेकर लंबे समय से विवाद था।

हेट डिटेक्टर द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर किए गए पोस्ट के अनुसार, बड़ी संख्या में उपद्रवियों ने मुफस्सिल के कृष्णनगर गांव में पहुंचकर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी थी जिससे इलाके में अफरा-तफरी मच गई थी।

साभार : सबरंग 

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