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बंगाल: जूनियर डॉक्टरों ने ‘आमरण अनशन’ किया समाप्त, लेकिन हर हफ़्ते के अंत में होगा विरोध प्रदर्शन

आरजी कर अस्पताल की पीड़िता के माता-पिता की अपील और कुछ मांगों पर मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद कल देर रात जूनियर डॉक्टरों ने अनशन समाप्त कर दिया है।
West Bengal

कोलकाता: 10 दिनों से चल रहे 'आमरण अनशन' के बाद, सोमवार को प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टरों ने, आरजी कर पीड़िता के माता-पिता की अपील के बाद भूख हड़ताल वापस ले ली। हालांकि, डॉक्टरों ने कहा कि वे "हर हफ्ते एक अंत में अपना विरोध प्रदर्शन" जारी रखेंगे।

जूनियर डॉक्टरों ने 240 घंटे से अधिक समय तक ‘आमरण अनशन’ किया जो 10 सूत्री मांगपत्र को लेकर था, जिसमें तिलोत्तमा/अभया (प्रदर्शनकारियों द्वारा पीड़िता को दिया गया नाम) की हत्या के सभी अपराधियों की तत्काल गिरफ्तारी, राज्य के चिकित्सा क्षेत्र में ‘धमकी संस्कृति’ को खत्म करना, राज्य के स्वास्थ्य सचिव को हटाना, राज्य द्वारा संचालित चिकित्सा सेवाओं में रिक्तियों को भरना, उचित शौचालय की सुविधा और निगरानी सुविधाएं बनाना, कार्यस्थल की सुरक्षा, स्वास्थ्य क्षेत्र में सभी छात्र निकायों के लिए चुनाव, पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल और पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य भर्ती बोर्ड में भ्रष्टाचार को तत्काल प्रभाव से खत्म करना, सभी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में एक केंद्रीय रेफरल प्रणाली बनाना, सभी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में डिजिटल बेड रिक्ति मॉनिटर बनाना, आदि शामिल हैं।

कुछ रिपोर्टों के विपरीत, जूनियर डॉक्टर (अनशन पर बैठे लोगों डॉक्टरों को छोड़कर) हालांकि राज्य सरकार के साथ टकराव की स्थिति में हैं, लेकिन वे यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि मरीजों को कोई परेशानी न हो, और अस्पताल में अपनी ड्यूटी देने के लिए शामिल हो चुके हैं और खाली समय में विरोध रैलियों में भाग ले रहे हैं।

हालांकि, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जूनियर डॉक्टरों द्वारा उठाई गई कुछ प्रमुख मांगों को मानने में अनिच्छुक दिखी, इसके लिए डॉक्टरों ने बुधवार को स्वास्थ्य क्षेत्र में राज्यव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है।

हड़ताल के आह्वान के बाद सोमवार को मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, गृह सचिव और अन्य ने जूनियर डॉक्टरों के 17 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ दो घंटे से अधिक समय तक बैठक की, जिसमें जूनियर डॉक्टरों के पांच प्रतिनिधियों सहित स्वास्थ्य क्षेत्र में एक राज्य स्तरीय टास्क फोर्स बनाने का निर्णय लिया गया। बैठक का बंगाल के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर सीधा प्रसारण किया गया था।

कॉलेज स्तर पर शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने का भी निर्णय लिया गया। मुख्यमंत्री ने अगले साल मार्च तक स्वास्थ्य क्षेत्र में निर्वाचित छात्र निकायों की मांग पर भी सहमति जताई।

हालांकि, मुख्यमंत्री राज्य के स्वास्थ्य सचिव को हटाने की मांग पर अड़े रहे।

रिपोर्टों के अनुसार, जूनियर डॉक्टर उक्त मांग के मामले में बैठक से “खाली हाथ” लौट आए, लेकिन उन्होंने भूख हड़ताल वापस लेने का फैसला किया, जो एक महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गई थी, क्योंकि पिछले दो दिनों में अनशन कर रहे डॉक्टरों का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा था।

बुधवार को हड़ताल का आह्वान भी फिलहाल टाल दिया गया है। सूत्रों के अनुसार, इसके बजाय जूनियर डॉक्टरों ने शनिवार को आरजी कर अस्पताल के सामने बड़ी रैली का आह्वान किया है, जिसमें वे अपनी अगली रणनीति तय करेंगे।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री या मुख्य सचिव के साथ प्रत्येक दौर की वार्ता के बाद जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधि धरना स्थल पर वापस लौट आते थे और अपना अगला कदम तय करने के लिए जनरल बॉडी मीटिंग करते थे।

बैठक में, जूनियर डॉक्टर कथित तौर पर मुख्यमंत्री पर तब भड़क गए जब उन्होंने “निलंबित डॉक्टरों (आरजी कर अस्पताल में ‘धमकी संस्कृति’ को भड़काने के आरोपी) का खुलेआम समर्थन किया। डाक्टरों ने खुले तौर पर कहा कि “मैडम, उन कुख्यात तत्वों के लिए मत खड़ी होइए जिन्होंने आरजी कर अस्पताल में इस संस्कृति की शुरुआत की जिसने अभया की जान ले ली थी,” जिसके अंजाम अच्छे नहीं होंगे।

न्यूज़क्लिक ने जूनियर डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन पर कुछ मरीजों की राय जानने के लिए उनसे बात की।

एसएसकेएम अस्पताल के नियमित मरीज 73 वर्षीय शक्तिनाथ बनर्जी, जो बढ़ती ऑस्टियोआर्थराइटिस बिमारी और मधुमेह के इलाज के लिए यहां आए हैं, ने कहा कि अगर डॉक्टरों की मांगें पूरी हो जाती हैं, तो इससे मरीजों को मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा कि, "चिकित्सा बिरादरी में पारदर्शिता की कमी है और आपूर्ति की जाने वाली दवाओं की गुणवत्ता भी ठीक नहीं है। डॉक्टरों द्वारा शुरू किया गया आंदोलन सही कदम है।" उन्होंने कहा कि जब जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर थे, तब वरिष्ठ डॉक्टरों ने अपने-अपने विभागों में मरीजों को देखने के लिए ओवरटाइम काम किया था।

वरिष्ठ डॉक्टरों के प्रतिनिधि और डॉक्टरों के आंदोलन के नेताओं में से एक डॉ सुवर्ण गोस्वामी ने न्यूज़क्लिक को बताया कि "झुकने का कोई सवाल ही नहीं उठता है। आंदोलन जारी रहेगा और हड़ताल होगी या नहीं, यह राज्य सरकार द्वारा जूनियर डॉक्टरों और चिकित्सा बिरादरी को न्याय दिलाने के वादे पर निर्भर करेगा।"

मूल अंग्रेज़ी में प्रकाशित इस आलेख को नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं–

Bengal: Junior Docs Withdraw ‘Fast Unto Death’, to Continue Week-End Protests

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