कनाडा : कोर्ट ने गैस पाइपलाइन के ख़िलाफ़ स्वदेशी लोगों की याचिका को ख़ारिज किया
कनाडा की फ़ेडरल कोर्ट ने सर्वसम्मति से मल्टीबिलियन डॉलर की गैस पाइपलाइन के ख़िलाफ़ स्थानीय लोगों की याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया है। इसका मतलब यह है कि 1150 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन का यह प्रोजेक्ट अब शुरू हो गया है।
अपने फ़ैसले में कोर्ट ने कहा है कि अगर स्थानीय लोगों की सभी याचिकाओं को स्वीकार कर लिया जाता है तो "सलाह-मशविरा जारी रहेगा और प्रोजेक्ट कभी शुरू नहीं हो पाएगा, और याचिकाकर्ताओं का इस पर de facto veto अधिकार हो जाएगा।"
ट्रांस माउंटेन पाइपलाइन एडमोंटन, अल्बर्टा से ब्रिटिश कोलंबिया तट तक चलती है। क्षेत्र में स्वदेशी समूह ने परियोजना की अनुमति देने से पहले उनसे परामर्श करने में सरकार की विफलता के प्रति अपनी नाराज़गी व्यक्त की है। वे क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरण पर अपने अधिकारों पर पाइपलाइन के संभावित प्रभाव के बारे में भी चिंतित हैं।
कनाडा का क़ानून यह कहता है कि अगर कोई प्रोजेक्ट स्वदेशी जनजतियों के अधिकारों को प्रभावित करता है, तो यह अनिवार्य है कि सरकार उनसे मशविरा करे। इस मामले में स्वदेशी लोगों के लिए सुरक्षित पेयजल का अधिकार सवालों के घेरे में है।
पिछले साल अगस्त में जारी हुई एक अपील में फ़ेडरल कोर्ट ने इस प्रोजेक्ट की मंज़ूरी रोक दी थी क्योंकि सरकार स्थानीय आबादी से बात करने में विफल रही थी।
5.6 बिलियन डॉलर के इस प्रोजेक्ट को कनाडा की अर्थव्यवस्था के लिए ज़रूरी बताया जा रहा है। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडू ने इस फ़ैसले का स्वागत किया है और कहा है कि प्रोजेक्ट से आने वाला रेवेन्यू रिन्यूएबल एनर्जी के स्त्रोत बनाने में इस्तेमाल किया जाएगा।
स्थानीय लोगों को इस क्षेत्र में ट्रेफिक बढ़ने का डर सता रहा है, जिससे स्थानीय वातावरण और जलवायु पर प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने फ़ैसले से असहमति और निराशा जताई है और कहा है कि पाइपलाइन के ख़िलाफ़ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।
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