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क्या देश में कानून सबके लिए समान है?

हर बच्चे को सिखाया जाता है कि कोई व्यक्ति कितना भी रसूखदार क्यों न हो, क़ानून के सामने सब समान हैंI लेकिन, भारत में लगातार हम देखते हैं कि कैसे क़ानून-व्यवस्था लागू करने वाले विभाग क़ानून अपने हाथ में लेते हैं, खुद ही जाँच करते हैं, वक़ील की तरह इल्ज़ाम लगाते हैं और जज की तरह सज़ा भी देते हैंI दिल्ली विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र के प्रोफेसर सतीश देशपांडे ने न्यूज़क्लिक के साथ खास मुलाकात में अपनी राय रखते हुए कहा कि हम ऐसी दुनिया में रह रहे हैं जहाँ शासक सत्तावादी पोपुलिज्म में विश्वास करते हैंI

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